‘‘क्या यार, तुम इतनी अपसैट क्यों हो?’’ नितिन ने अपनी गर्लफ्रैंड निशा से पूछा.निशा रोंआसी हो कर बोली, ‘‘तुम कभी मेरी बात नहीं मानते. मैं कितनी दफा कह चुकी हूं कि अपने आवारा, शराबी, दोस्तों का साथ छोड़ दो खासकर दीपू मु झे अजीब नजरों से घूरता रहता है.’’‘‘घूरने की चीज हो तो घूर लेता है. सब मानते हैं कि मेरी गर्लफ्रैंड पूरे कसबे में सब से सुंदर है. पर इस बात का घमंड मत रखो क्योंकि तेरे बौयफ्रैंड जैसा दिलदार और स्मार्ट भी पूरे इलाके में कोई नहीं. तभी तो सारे लड़के मेरे आगेपीछे घूमते रहते हैं. मेरे जैसा रईस बाप किसी का नहीं है.
मैं रोज ब्रैंडेड कपड़े पहनता हूं, इंग्लिश में बातें कर लेता हूं और शरीर ऐसा तगड़ा कि 10 को एक हाथ से गिरा दूं. तू और क्या चाहती है? चल आ जा मेरे घर पर. तु झे भी पूरा संतुष्ट नहीं किया तो मेरा नाम नहीं,’’ कहते हुए उस ने निशा का हाथ जोर से पकड़ते हुए अपनी तरफ खींचा तो उस ने मुंह फेर लिया.यह देख कर नितिन के अहम को चोट लग गई. उसे एक जोर का थप्पड़ जड़ता हुआ बोला, ‘‘अरे तू चाहती क्या है. मुझ से मुंह फेर रही है तो और कौन चाहिए तु झे?’’‘‘मैं इज्जत चाहती हूं. अपना आत्मसम्मान चाहती हूं. मैं तेरे हाथ की कठपुतली नहीं हूं. मुझे सही अर्थों में प्यार करने वाला चाहिए न कि मु झ पर हक जमाने वाला. कोई ऐसा जो मेरी केयर करे, मेरी बात सुने. भले ही उस के पास पैसे कम हों, मगर दिल का अच्छा हो, शरीफ हो, लफंगे दोस्तों और नशे से दूर हो. आज के बाद मु झे हाथ मत लगाना. फोन भी मत करना. मैं तु झ से अब कभी नहीं मिलना चाहती, ‘‘कह कर और उस का हाथ झटक कर निशा अपने घर आ गई.