Sexual Guilt : पतिपत्नी के बीच यौन संबंधों के दौरान चिंता, अपराधबोध, शर्म या संकोच को सैक्स गिल्ट या यौन शर्म कहा जाता है. विकासशील देशों में यौन कुंठा एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है.

मनोचिकित्सक स्वाति के अनुसार इन दिनों उनके मानसिक रोगियों में 70% सैक्स गिल्ट के शिकार हैं. सैक्स गिल्ट के शिकार 90% मरीज महिलाएं हैं. भारत में 18 से 40 वर्ष की हर 1000 औरत में 1 औरत यौन कुंठा का शिकार है. यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं तथा युवाओं के लिए चिंता करने की आवश्यकता है.

सैक्स गिल्ट एक जीवनशैली से संबंधित मनोविकार है. जब देश धीरेधीरे तरक्की करता है तो लोगों को उपभोग में अन्य वस्तुओं की तरह सैक्स संबंधित मनोरंजन भी बढ़ जाता है. सैक्स का अधिक उपयोग कुछ युवाओं को यौनकुंठा का शिकार बना देता है.

डा. स्वाति बताती हैं कि यौन कुंठा के शिकार उन के अधिकांश मरीजों को पता ही नहीं होता कि वे यौन कुंठा के शिकार हैं. जब वे बहुत उम्र तक शादी या सैक्स के लिए तैयार नहीं होते या पुरुष को संतुष्ट न करने के कारण उन के तलाक की नौबत आ जाती है तब फैमिली काउंसलर या मनोचिकित्सकों द्वारा उन्हें उन की बीमारी बताई जाती है.

ऐसे में निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार कीजिए-

क्या आप को अपने परिवार की महिलाओं के सामने कपड़े बदलने में शर्म महसूस होती है?

पति के साथ सैक्स करने के लिए अंधेरे कमरे की आवश्यकता होती है?

पति के जिद्द करने पर ही सैक्स के लिए तैयार होती हैं?

पति के साथ सैक्स से संबंधित वार्तालाप पसंद नहीं है?

पुरुषों के बीच असहज महसूस करती हैं?

किट्टी पार्टी में महिलाओं द्वारा अपने बेडरूम की कहानियां शेयर करना पसंद नहीं हैं?

अपनी बहनों या भाभियों से सैक्स रिलेटेड मुद्दों पर बातें करना पसंद नहीं है?

क्या आप को शादी करने में डर लगता है?

क्या आप पति को बिस्तर पर खुश नहीं रख पाती हैं?

क्या आप सैक्स करते समय दिन, समय या नैतिकअनैतिक का विचार करती हैं?

क्या सैक्स के पश्चात पति से बात करना पसंद नहीं है?

क्या पति की अपेक्षा हस्तमैथुन में सहज हैं?

क्या आप चोरीछिपे अत्यधिक पोर्न देखती हैं?

क्या आप के साथ बचपन में कोई यौन अपराध हुआ है?

क्या आप को अपनी शारीरिक बनावट अच्छी नहीं लगती?

यदि इन प्रश्नों में किन्हीं 3 प्रश्नों के उत्तर हां हैं तो आप भी यौन कुंठा की शिकार हो सकती हैं.

सैक्स गिल्ट के प्रकार

अव्यक्त कुंठा: इस में कुंठा की मात्रा कम होती है. व्यक्ति कुंठित तो है लेकिन उस ने सैक्स को पूरी तरह नहीं त्यागा है. वह सैक्स में शामिल होता है लेकिन पूरी तरह उस से आनंदित नहीं होता है. अव्यक्त कुंठा उस समय समस्या बन जाती है जब महिला अपने पुरुष साथी को संभोग के दौरान संपूर्ण संतुष्टि प्रदान नहीं करती. इस प्रकार की महिलाएं पति की सैक्स फेंटैसी का खुल कर विरोध करने के कारण विवाद का कारण बन जाती हैं.

प्रकट कुंठा: यह प्राय: गंभीर हादसे से गुजरे हुए वे लोग हैं जो सैक्स का नाम सुनते ही भयभीत हो जाते हैं. इन लोगों के लिए शारीरिक संबंध बनाना असंभव हो जाता है. जैसाकि इस के नाम से स्पष्ट है कि इन लोगों को अपनी सैक्स लाइफ को एडजस्ट करना लगभग असंभव हो जाता है.

सैक्स गिल्ट का कारण

सैक्स को धर्म तथा संस्कृति द्वारा नकारात्मक, प्रतिबंधित तथा अनैतिक बताने के कारण यौन कुंठा का जन्म होता है. 27 अप्रैल, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत की प्राचीन संस्कृति समावेशी थी, अनेक सैक्स कृत्यों को असामाजिक नहीं माना जाता था.

हमारे साहित्य में वात्स्यायन का कामसूत्र है तो उड़ीसा के कोणार्क और मध्य प्रदेश के खजुराहो के मंदिरों में देवीदेवताओं की नग्न मूर्तियां हमारी वैचारिक समृद्धि को बताती हैं. 325 ईस्वी में कैथोलिक चर्च ने अपने कायदेकानून बनाए जिन में शरीर को खराब वस्तु तथा शारीरिक सुख को फुजूल बताया गया. इसे विक्टोरियन नैतिकता कहते हैं जिस के प्रभाव में हम यौन स्वतंत्रता को असामाजिक मानने लगे हैं. इसी का परिणाम है यौन कुंठा.

यौन कुंठा महिलाओं में मुख्यत: हस्तमैथुन, समलैंगिकता, यौन अपराध, अत्यधिक धार्मिक विश्वास या शारीरिक अक्षमता के कारण जन्म लेती है. प्रकट कुंठा के अधिकतर मामलों में महिलाओं से उन की इच्छा के विपरीत शारीरिक संबंध बनाने के कारण उन में सैक्स गिल्ट पैदा होती है. विशेषज्ञों के अनुसार इन में से कोई भी कुंठा ऐसी नहीं है कि जिसे मैनेज नहीं किया जा सके.

क्या कहते हैं ऐक्सपर्ट

मनोचिकित्सक डा. यशपाल के अनुसार, यौन कुंठा, मानवीय विकार है. जानवरों को कभी भी, कहीं भी, कैसे भी और किसी के साथ भी सैक्स करने की खुली छूट होती है. इस कारण उन्हें यौन कुंठा होने का प्रश्न ही नहीं उठता.

उच्च श्रेणी के स्तनपायी में भी सैक्स से संबंधित कोई रोक नहीं है. शेर, हाथी इत्यादि जानवरों में जनसंख्या वृद्धि के लिए खून के रिश्ते में भी सैक्स प्रतिबंधित नहीं है जबकि मानव जाति को जनसंख्या वृद्धि की आवश्यकता नहीं है, इसलिए उस ने जैविक उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रजनन के लिए नियम बना रखे हैं.

कुछ देशों में सैक्स से संबंधित इतने उदार नियम हैं कि यौन कुंठा हो ही नहीं सकती है-

प्राचीन मिस्त्र के लोगों का विश्वास था कि नील नदी उन के देवता ऐटम के वीर्यपात से बनी है. इसी बात को आदर्श मानते हुए प्राचीन मिस्त्र निवासी नील नदी में जा कर हस्तमैथुन किया करते थे.

ऐसा ही एक नियम अमेरिका के गुआम में देखने को मिलता है. गुआम में पुरुषों का काम है कि वे पूरे देश में घूमें और कुंआरी युवतियों का कौमार्य भंग करते रहें. मजे कि बात तो यह है कि ये युवतियां उन्हें जीवन का पहला सैक्स अनुभव प्रदान करने के लिए धन भी देती हैं.

बोल्विया में सैक्स को ले कर अजीब कानून है कि यहां कोई पुरुष किसी महिला के साथ उस की बेटी से भी सैक्स कर सकता है.

दक्षिणी प्रशांत महासागर के मंगाई द्वीप में बूढ़ी औरतें 13 साल के युवकों के साथ सैक्स करती हैं ताकि उन्हें समझाया जा सके कि अपने पार्टनर को किस तरह खुश रखना है.

कोलंबिया में महिला को पहली बार अपने पति के साथ सैक्स करते समय गवाह के तौर पर अपनी मां को सामने खड़े रख कर प्रत्यक्षदर्शी बनाना पड़ता है.

लेबनान देश में आप जानवरों से सैक्स कर तो कर सकते हैं लेकिन उस का मादा होना आवश्यक है. अगर जानवर मादा नहीं है तो आप को मौत की सजा मिलती है.

इस के विपरीत कुछ समुदायों में ऐसे नियम हैं कि अपनी पत्नी के सामने निर्वस्त्र होने को भी कदाचार ठहरा दिया जाता है. जैसे- वर्जीनिया और बुडापोस्ट में अगर किसी ने सैक्स के दौरान कमरे की लाइट को जलाया तो वह एक अपराध के तौर पर माना जाता है और ऐसे में सैक्स करने वाले जोड़े के खिलाफ कानूनी काररवाई की जाती है.

मिडल ईस्ट के देशों में एक में बड़ा अजीब ही इसलामिक कानून है और उस के बारे में सुनने वाला हैरान हो जाता है. यहां के कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति भेड़ के साथ सैक्स करता है तो उसे उसी भेड़ का मांस खाना पड़ता है.

चीन में महिलाएं अपने घर या बाथरूम में निर्वस्त्र नहीं घूम सकतीं.

बहरीन में स्त्रीरोग डाक्टर अपने महिला मरीज के निजी अंगों को केवल सीसे की सहायता से देख सकती हैं.

समाज में यौन कुंठा का बहुत बड़ा कारण समाजिक रीतिरिवाज हैं. अपने विकास के साथ लोकाचार संबंधित नियमों में बदलाव ला कर हम आसानी से युवाओं को यौन कुंठा से बचा सकते हैं.

सैक्स गिल्ट का उपचार

मनोचिकित्सक बताते हैं कि यौन कुंठा के शिकार व्यक्तियों को इस से बाहर निकालने के लिए उन्हें समझना होता है कि जो उन के साथ हुआ है उस के लिए वे कतई दोषी नहीं हैं. उन्हें सैक्स से आनंदित होने की प्रेरणा दी जाती है. उन्हें समझाया जाता है कि जिस प्रकार मलमूत्र का त्यागना एक आवश्यक शारीरिक प्रक्रिया है उसी प्रकार महिलाओं को अपनी सैक्स डिजीज को भी त्यागने में संकोच नहीं करना चाहिए.

डा. स्वाति अपनी महिला मरीजों को सैक्स के लिए 5 सिद्धांत का सुझाव देती हैं-

सैक्स में जल्दी न करें

आप का साथी मल्टिपल और्गेज्म महसूस कर सकता है. सैक्स को रेस बना कर जल्दी खत्म करने के बजाए 1-1 पल को अच्छी तरह से और अपने यौन साथी के हिसाब से ऐंजौय करें. अगर आप म्यूचुअल बैनिफिशल रिलेशनशिप में हैं तो आप को इस का फायदा जरूर देना चाहिए. यह पुरुष आप के लिए दीवान बन जाए यह सोच कर उस की हर फेंटैसी को पूरा करने की कोशिश करें.

शारीरिक जरूरतों को पूरा करने तक सीमित

पुरुष एवं महिलाओं दोनों को बगैर घबराहट या शर्मिंदगी महसूस किए अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने का हक है. डेटिंग ऐप्स और टिंडर के इस जमाने में कैजुअल सैक्स, वन नाइट स्टैंड और इमोशनलैस सैक्स आम बात हो गई है.

पार्टनर की खुशी के बारे में भी सोचें

सैक्स के दौरान हर बार एक जैसा सबकुछ करने की वजह से कई बार सैक्स से एक्साइटमैंट खत्म हो जाती है. लिहाजा, इंप्रूवमैंट की जरूरत होती है. आपको पूछना चाहिए कि आप का साथी और क्या चाहता है. आप जिस के साथ सैक्स कर रहे हैं उस के साथ अगर आप का कोई इमोशनल अटैचमैंट नहीं है तो भी उस की जरूरतों को प्रायौरिटी दें और ऐक्ट के दौरान किसी भी तरह का अपराधबोध मन में फील न करें. अगर आप का साथी ऐक्ट को ऐंजौय ही नहीं करेंगी तो उसे आप के साथ रहने का फायदा क्या होगा?

आप जैसी हैं वैसी न रहें

सैक्सुअल इंटरकोर्स के आखिर में हरकोई जो चाहता है वह है आत्मसंतुष्टि यानी और्गेज्म. हालांकि इन सब के बीच में हम फोरप्ले की अहमियत को कम नहीं आंक सकते. बहुत सी महिलाओं के मन में इस बात का डर रहता है कि अगर वे अपने यौन साथी से पूछेंगी कि कौन सी चीज है जिस के जरीए उन्हें और्गेज्म महसूस होता है तो उन्हें बहुत ज्यादा बोल्ड समझा जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्हें जो चीज संतुष्टि देती है उस के बारे में आप जरूर सोचें.

खुशी पाने से ज्यादा देने की कोशिश करें

सैक्स आप के साथी के लिए तभी आनंददायक होगा जब आप जरूरत से ज्यादा सोचने के बजाय इसे खुल कर ऐंजौय करेंगी और ऐंजौयमैंट तभी हो पाएगा जब आप सामने वाले को खुशी देंगी. इस तरह की फीलिंग को इमोशनल अटैचमैंट के लिए छोड़ दें.

लेखिका – पूर्णिमा अतुल गोयल

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