आलोक के खर्राटे पूरे कमरे में गूंज रहे थे. सीमा कभी करवटें बदलती, कभी तकिया कानों पर रखती, तो कभी सिर आलोक के पैरों की तरफ करती. यही सब करतेकरते रोज रात को 3 बज जाते थे. सुबह उठती तो उस का सिर भारी रहता. बातबात पर चिढ़ती रहती, दिन भर औफिस में काम करना मुश्किल हो जाता. तबीयत हर समय बिगड़ी रहने लगी तो दोनों डाक्टर के पास गए. डाक्टर ने पूरी बात सुनने के बाद स्लीप डायवोर्स के बारे में बात करते हुए दोनों को अलगअलग सोने की सलाह दी, तो दोनों हैरानपरेशान घर लौट आए. 1 हफ्ते में ही भरपूर नींद के बाद सीमा प्रसन्नचित्त और चुस्तदुरुस्त दिखने लगी, तो दोनों इस से खुश हुए और फिर डाक्टर को जा कर धन्यवाद दिया.
आहत न हों भावनाएं
मनोचिकित्सकों के अनुसार, कई पतिपत्नी ऐसे होते हैं, जो अलगअलग सोना चाहते हैं. कारण कई हैं, साथी के बारबार करवट बदलने से, बिस्तर में खर्राटे भरने से नींद डिस्टर्ब होने के कारण वे अलग सोना तो चाहते हैं पर साथी की भावनाएं आहत न हों, इसलिए कह नहीं पाते. कई पतिपत्नी ऐसे भी होते हैं, जो एकदूसरे को प्यार तो बहुत करते हैं पर सोना अलगअलग चाहते हैं और चली आ रही परंपराओं के अनुसार पतिपत्नी को एक बैडरूम में ही सोना चाहिए पर अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए जब भी अकेले सोने का मन करे, तो स्लीप डायवोर्स की स्थिति को समझ लेना चाहिए.
स्लीप डायवोर्स है क्या
इसे नाइट डायवोर्स भी कहते हैं. इस का मतलब है पतिपत्नी का अलगअलग सोना. ठीक से न सोने से रिश्ते के साथसाथ हैल्थ भी प्रभावित होती है. कई पतिपत्नियों को जिन्हें नींद न आने की समस्या होती है. उन्हें अलगअलग सोने की सलाह दी जाती है ताकि उन की नींद का स्तर सुधर सके. कम सोने से रिश्ते पर, घर की अन्य समस्याओं पर इस का नकारात्मक असर पड़ सकता है. डाक्टरों के अनुसार, अलगअलग सोने में कुछ भी गलत नहीं है. वास्तव में इस से पतिपत्नी का रिश्ता और मजबूत होता देखा गया है. साथ ही सोना है, यह पुरानी सोच है. कई घरों में पति सुबह जल्दी उठता है, मौर्निंग वौक पर जाता है, जबकि पत्नी थोड़ी देर और सोना चाहती है. यदि वे साथ सोते हैं, तो पत्नी जरूर डिस्टर्ब होगी. तब पति अपनी पत्नी को डिस्टर्ब न करने के खयाल से अपनी सैर छोड़ देता है, जिस से भविष्य में किसी भी तरह की समस्या हो सकती है.
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