युवाओं में प्रेम होना एक आम बात है. अब समाज धीरेधीरे इसे स्वीकार भी कर रहा है. माता- पिता भी अब इतना होहल्ला नहीं मचाते, जब उन के बच्चे कहते हैं कि उन्हें अमुक लड़की/लड़के से ही शादी करनी है, लेकिन अगर कोई बेटी अपनी मां से आ कर यह कहे कि वह जिस व्यक्ति को प्यार करती है, वह शादीशुदा है तो मां इसे स्वीकार नहीं कर पाती.
ऐसे में बेटी से बहस का जो सिलसिला चलता है, उस का कहीं अंत ही नहीं होता लेकिन बेटी अपनी जिद पर अड़ी रहती है. मां समझ नहीं पाती कि वह ऐसा क्या करे, जिस से बेटी के दिमाग से इश्क का भूत उतर जाए.
ऐसे संबंध प्राय: तबाही का कारण बनते हैं. इस से पहले कि बेटी का जीवन बरबाद हो, उसे उबारने का प्रयास करें.
कारण खोजें :
मौलाना आजाद मेडिकल कालिज में मनोचिकित्सा विभाग के निदेशक, डा. आर.सी. जिलोहा का कहना है कि इस तरह के मामले में मां एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं.
मां के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि बेटी का किसी अन्य व्यक्ति की ओर आकर्षण का कारण घरेलू वातावरण तो नहीं है. कहीं यह तो नहीं कि जिस प्यार व अपनेपन की बेटी को जरूरत है, वह उसे घर में नहीं मिलता हो और ऐसे में वह बाहर प्यार ढूंढ़ती है और हालात उसे किसी विवाहित पुरुष से मिलवा देते हैं.
यह भी संभव है कि वह व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट न हो. चूंकि दोनों के हालात एक जैसे हैं, सो वे भावुक हो एकदूसरे के साथ न जुड़ गए हों. यह भी संभव है कि अपनी पत्नी की बुराइयां कर के और खुद को बेचारा बना कर लड़कियों की सहानुभूति हासिल करना उस व्यक्ति की सोचीसमझी साजिश का एक हिस्सा है.