रोहिणी में रहने वाली संगीता ने अपनी सहेलियों को कौन्फ्रैंस कौल की, ‘‘क्या हाल हैं सब के? मैं बस अभीअभी फ्री हुई. आज मेरे पति को थोड़ी देर के लिए औफिस जाना पड़ा. कितना सुकून मिल रहा है, मैं बता नहीं सकती वरना अधिकतर वह वर्क फ्रौम होम करते हैं तो सारा दिन मेरे आसपास ही मंडराते रहते हैं.

किसी भी बहाने से उठूं, पीछेपीछे चले आते हैं. किचन में जाओ तो संग खाना बनवाने लगते हैं, सफाई करो तो डस्टिंग करने लगते हैं, कपड़े धोऊं तो निचोड़ने चले आते हैं...कम से कम तुम लोगों के पति औफिस तो जाते हैं, यहां तो सुख भी नहीं. ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, चाय सबकुछ साथ में.

कुछ कहो तो कहते हैं मैं तुम से एक पल की दूरी भी बरदाश्त नहीं कर सकता. मैं तुम से इतना प्यार करता हूं कि तुम दूसरे कमरे में भी जाती हो तो तुम्हारी याद सताने लगती है.’’

संगीता की बातें सुन कर सभी सहेलियों के मुंह बनने लगे. एक ने तो कह भी दिया, ‘‘तुम्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि इतना प्यार करने वाला पति मिला है. औरतें तरसती हैं इतने प्यार के लिए. तुम्हें मिल रहा है और तुम हो कि शिकायत कर रही हो.’’

दूसरी ने भी कहा, ‘‘बिलकुल सही बात है. क्या पता यह प्यार कब तक मिले. मैं ने तो सुना है कि जैसेजैसे उम्र बढ़ती जाती है, प्यार कम होता है. तुम्हें तो अपने पति पर उन से भी ज्यादा प्यार लुटाना चाहिए. उन की सराहना करो, उन के लिए कुछ अच्छा पकाओ, उन के गुण गाओ.’’

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