किसी भी पति को अपनी पत्नी पर हाथ उठाने का हक नहीं होना चाहिए भले ही वह दावा करे कि उसे फूहड़ पत्नी मिली है, वह उस से परेशान है. किसी भी स्त्री को यह कह कर प्रताडि़त किया जाना बेहद शर्मनाक है.
एक छोटे से शहर की मेधा जब विवाह के बाद एक बड़े शहर में आई तो वह बहुत खुश थी. सुशिक्षित थी, सुंदर थी, पर पति को बातबात पर उसे फूहड़ कह कर अपमान करने की आदत थी.
मेधा बताती है, ‘‘मेरा पति विनोद मु झे फूहड़ कह कर ऐसीऐसी जलीकटी सुनाता है कि मेरा मन कराह उठता है. मैं छोटे शहर की हूं, यह तो उसे शादी के समय भी पता था. मेरे जीने के आसान तरीके उसे फूहड़ों वाले लगते हैं. कहता है कि तुम फूहड़ हो, मु झे तो डर लगता है कि तुम बच्चों को भी कैसे संभालोगी, तुम्हारे जैसी फूहड़ तो मां कहलाने के लायक भी नहीं होगी. सब मु झे ही देखना पड़ेगा.
‘‘वह मु झे फूहड़ कह कर सारा पैसा अपने पास रखता है. मु झे फूटी कौड़ी भी नहीं देता. अब तो फूहड़ कहने के साथसाथ हाथ भी उठाने लगा है. बेकार की बातों पर मेरा अपमान करना उस की आदत बन गई है. तभी तो बच्चे भी नहीं हुए. होंगे तो उन के सामने भी फूहड़ कह कर यही सब करेगा. सोच कर ही बहुत परेशान रहने लगी हूं.’’
सुमन को ड्राइविंग आती है पर उस का पति उसे कार को हाथ तक नहीं लगाने देता, कहता है कि तुम फूहड़ हो. सुमन बताती है कि शादी से पहले वह अपने पापा की कार चला कर आराम से घर के काम कर आती थी, मगर अब उस का पति कपिल वह कहां है, क्या कर रही है यानी उस की पलपल की खबर रखने के लिए बारबार फोन करता है. वह गलती से भी किसी बात पर अपनी राय जाहिर कर दे तो उस पर हाथ तक उठा देता है, इसीलिए अब वह अपने मन की बात जबान पर नहीं लाती.