भले ही सासबहू के रिश्ते को 36 का आंकड़ा कहा जाता हो पर सच यह भी है कि एक खुशहाल परिवार का आधार सासबहू के बीच आपसी तालमेल और एकदूसरे को समझने की कला पर निर्भर करता है.

एक लड़की जब शादी कर के किसी घर की बहू बनती है तो उसे सब से पहले अपनी सास की हुकूमत का सामना करना पड़ता है. सास सालों से जिस घर को चला रही होती हैं उसे एकदम बहू के हवाले नहीं कर पातीं. वे चाहती हैं कि बहू उन्हें मान दे, उन के अनुसार चले.

ऐसे में बहू यदि कामकाजी हो तो उस के मन में यह सवाल उठ खड़ा होता है कि वह अपनी कमाई अपने पास रखे या सास के हाथों पर? बात केवल सास के मान की ही नहीं होती बहू का मान भी माने रखता है. इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले कुछ बातों का खयाल जरूर रखना चाहिए.

बहू अपनी कमाई सास के हाथ पर कब रखे

जब सास हों मजबूर:

यदि सास अकेली हैं और ससुर जीवित नहीं हों तो ऐसे में एक बहू यदि अपनी कमाई सास को सौंपती है तो सास उस से अपनापन महसूस करने लगती हैं. पति के न होने की वजह से सास को ऐसे बहुत से खर्च रोकने पड़ते हैं जो जरूरी होने पर भी पैसे की तंगी की वजह से नहीं कर पातीं. बेटा भले ही अपने रुपए खर्च के लिए देता हो पर कुछ खर्चे ऐसे हो सकते हैं जिन के लिए बहू की कमाई की भी जरूरत पड़ सकती. ऐसे में सास को कमाई दे कर बहू परिवार की शांति कायम रख सकती है.

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