प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्यार से सुंदर कुछ नहीं पर जिद या ग्रांटेड ले कर प्यार करना बेकार है. प्यार को प्यार की नजर से करना ही सही है. कई बार व्यक्ति प्यार समझ नहीं पाता. प्यार अचानक होता है और इस में ऐज फैक्टर, कास्ट, क्रीड आदि कोई माने नहीं रखते.
1. प्रेम बन सकता है तनाव का सबब
प्यार किसी के लिए दवा का काम करता है तो किसी के लिए तबाही और बदले का सबब भी बन जाता है. हर इंसान अपने व्यतित्त्व और परिस्थितियों के हिसाब से प्यार को देखता है. प्यार अंधा होता है पर कितना यह बाद में पता चलता है. इसीलिए फौल इन लव कहते हैं यानी आप प्यार में गिर जाते हैं. गिर जाना यानी अपनी आईडैंटिटी, अपना सबकुछ भूल जाते हैं. इस के अंदर आप खुद को भूल कर दूसरे को सिर पर चढ़ा लेते हैं. इसलिए प्यार में बहुत से लोग पागल हो जाते हैं, तो कुछ आत्महत्या तक कर लेते हैं.
प्यार किस तरह की पर्सनैलिटी वाले शख्स ने किया है इस पर काफी कुछ डिपैंड करता है. इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी के लिए प्यार हमेशा डिपैंडैंट फीचर रहता है. उस की सोच होती है कि दूसरा शख्स उस का ध्यान रखेगा, उसे प्यार करेगा, उसे संभालेगा. इस तरह के लोग काफी कमजोर होते हैं. वे बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं तो बहुत जल्दी डिप्रैशन में भी आ जाते हैं.
प्यार में 3 फैक्टर्स बहुत हाई लैवल पर रहते हैं- पहला त्याग, दूसरा कंपैटिबिलिटी और तीसरा दर्द. दूसरा बंदा आप को किस तरह से देख रहा है, आप को कितने अंकों पर आंक रहा है यह भी काफी महत्त्वपूर्ण है. वह आप से किस लैवल तक क्या चाहता है, यह देखना भी जरूरी होता है.