राहुल एक मध्यवर्गीय परिवार का होनहार युवक था. वह अपने जैसी मेहनती और पढ़ीलिखी लड़की से शादी करना चाहता था. मेरठ के अमीर परिवार से उस के लिए रिश्ता आ गया. शैली दिखने में खूबसूरत पर अल्हड़ थी. राहुल ने अपनी मम्मी और भैया को समझना भी चाहा परंतु किसी ने उस की ओर ध्यान नहीं दिया था. बहुत धूमधाम से विवाह हुआ और फिर शैली को ले कर राहुल बैंगलौर चला गया.
जल्द ही शैली के तौरतरीकों से राहुल परेशान हो उठा. जब भी राहुल शैली के परिवार से बात करता तो उन्हें उस की परेशानी समझ ही नहीं आती. जिसे राहुल फुजूलखर्ची मानता था वह शैली के घर वालों के हिसाब से सामान्य खर्च था.
सुशील की जब अनुराधा से शादी हुई तो शुरू में सुशील ससुराल की चमकदमक देख कर बहुत खुश था पर जल्द ही वह ससुराल वालों के अनावश्यक हस्तक्षेप से तंग आ गया. उन के हनीमून प्लैन से ले कर उन के बच्चे की डिलिवरी तक सबकुछ वही लोग तय करते थे. अनुराधा खुद अपने ससुराल वालों को दोयम दर्जे का मानती है.
सुशील अपने घर वालों और ससुराल वालों के बीच पिस रहा है और बहुत सारी बीमारियों ने उस के शरीर में घर बना लिया है.
मृणाल का नयना से पे्रम विवाह हुआ था. शुरू के 2 वर्ष तक तो प्रेम के सहारे नयना की जिंदगी चलती रही पर फिर जल्द ही वह प्रेम से ऊब गई. हकीकत से सामना होते ही नयना और मृणाल को समझ आ गया कि उन की सोच में जमीनआसमान का फर्क है. अब नयना के घर वालों ने ही मृणाल को अपने व्यापार में लगा लिया है. विवाह के 10 वर्ष के बाद भी मृणाल की हैसियत अपनी ससुराल में दामाद की कम, एक कर्मचारी की ज्यादा है.
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