सवाल
मेरी उम्र 16 वर्ष है. मैं लड़कियों से बात करने में घबराता हूं. अभी तक मैं ऐसे स्कूल में पढ़ता था जहां सिर्फ लड़के ही थे, पर यह कोऐजुकेशन है. जब अन्य लड़के लड़कियों से बिंदास बातें करते हैं, तो मुझे खुद पर खीझ होती है. मैं क्या करूं?
जवाब
पहले तो अपने को सहज कीजिए और लड़का लड़की का फर्क दिमाग से निकाल कर सहपाठी जैसी मानसिकता बनाइए. फिर लड़की हो या लड़का आप को उस से बात करने में हिचक नहीं होगी. ठीक उसी तरह लड़कियों से बात करें जिस तरह दोस्तों से करते हैं, परेशानी अपनेआप हल हो जाएगी. लड़कियां कोई हौआ तो हैं नहीं जो आप को डर लगे. साथ ही अपने को अंतर्मुखी के बजाय बहिर्मुखी बनाइए. जब आप सब से बोलने लगेंगे तो वे भी आप से बात करेंगे, फिर धीरेधीरे आप भी बिंदास हो जाएंगे.
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भरोसेमंद
‘‘बड़ी खुशी हुई आप से मिल कर. अच्छी बात है वरना अकसर लोग मुझे पसंद
नहीं करते.’’
‘‘अरे, ऐसा क्यों कह रहे हैं आप?’’
‘‘मैं नहीं कह रहा, सिर्फ बता रहा हूं आप को वह सच जो मैं महसूस करता हूं. अकसर लोग मुझे पसंद नहीं करते. आप भी जल्द ही उन की भाषा बोलने लगेंगे. आइए, हमारे औफिस में आप का स्वागत है.’’
शर्माजी ने मेरा स्वागत करते हुए अपने बारे में भी शायद वह सब बता दिया जिसे वे महसूस करते होंगे या जैसा उन्हें महसूस कराया जाता होगा. मुझे तो पहली ही नजर में बहुत अच्छे लगे थे शर्माजी. उन के हावभाव, उन का मुसकराना, उन का अपनी ही दुनिया में मस्त रहना, किसी के मामले में ज्यादा दखल न देना और हर किसी को पूरापूरा स्पेस भी देना.