आप दोनो कामकाजी हैं. आपका बच्चा बीमार है. आपके पति बच्चे की देखरेख के लिए छुट्टी न ले पाने की अपनी मजबूरी बताते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको उसकी देखभाल के लिए छुट्टी लेनी होगी. ऐसे में आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है? दूसरी और आपके पति आपको आॅफिस से घर लौटकर आकर बताते हैं कि कल रात उन्होंने अपने दोस्तों को डिनर के लिए आमंत्रित किया है. ऐसे में आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है? इस तरह की स्थितियां अकसर विवाहित पति पत्नी के जीवन में आती ही हैं और उस दौरान इनके जवाब किस तरह दिये जाते हैं. इसी से पता चलता है कि पति और पत्नी दोनो में से कौन डोमिनेटिंग हैं. सवाल पैदा होता है ये डोमिनेशन क्या है? डोमिनेशन का मतलब है अपने पार्टनर की इच्छाओं का सम्मान न करना, जबरन उसपर अपनी मर्जी थोपना. यह पति और पत्नी दोनो पर ही लागू होता है. कंसलटेंट साइकेट्रिक्ट डाॅ. समीर पारिख, डोमिनेशन को शारीरिक, वित्तीय, वरबल और साइकोलाॅजिकल इन तमाम श्रेणियों में विभाजित करते हैं. मसलन पति का यह कहना कि तुम आज किट्टी पार्टी के लिए नहीं जा सकती; क्योंकि तुम्हें मेरी मां को डाॅक्टर के पास लेकर जाना है. इस कथन के द्वारा पति अपनी इच्छा या अपेक्षा को जबरदस्ती पत्नी पर थोपता है. कई घरों में ऐसा भी देखा गया है कि पत्नी पति के इजाजत के बगैर अपने माता-पिता से मिल नहीं सकती.

समाज में क्या होता है?

हमारे समाज का ढांचा कुछ इस तरह बना है कि महिलाओं को इस बात का एहसास ही नहीं होता कि वह पति द्वारा शासित होती हैं. उनके रोजमर्रा की जिंदगी में अनेक ऐसी चीजें होती हैं, जिनमें उनकी इच्छाओं के कोई मायने ही नहीं समझे जाते. अब रमा और राहुल का ही मामला लें. दोनो साॅफ्टवेयर इंजीनियर है. रमा राहुल की तुलना में ज्यादा प्रतिभाशाली है. राहुल द्वारा उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता है. वह ज्यादा समय अपने बच्चों को देती है, पति के अहं के आगे उसने अपने कॅरिअर को एक किनारे करके खुद को घर परिवार के बीच ही रमा लिया है.

बलि का बकरा बनती हैं पत्नियां

सवाल पैदा होता है कि अपने कॅरिअर, इच्छाओं और अपेक्षाओं का गला घोंटने के लिए महिलाएं ही क्यों मजबूर होती हैं? यदि पत्नी पति की तुलना में ज्यादा प्रतिभाशाली हो तो वही अपने कॅरिअर की बलि चढ़ाती है. अगर महिलाओं से पूछा जाये कि उसके सपनों का राजकुमार कैसा हो, तो उसका जवाब होता है कि उससे बढ़कर हो. यही वजह है कि पढ़ने लिखने के बावजूद महिलाएं इन बातों पर समझौता करने के लिए आसानी से तैयार हो जाती हैं. बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों के नाम पर वही अपने कॅरिअर के साथ समझौता कर लेती है. यही वजह है कि वह पढ़ाने जैसी ऐसी जाॅब करना पसंद करती हैं या फ्रीलांसर के तौरपर काम करने लगती हैं, जिससे वह अपने घर और बच्चों को ज्यादा समय दे सकें ताकि पति पत्नी दोनो के बीच तनाव की स्थिति पैदा न हो.

आमतौर पर माना जाता है कि पति पत्नी के रिश्ते में पति ही डोमिनेट करता है. घर में उसकी इच्छा ही सर्वोपरि होती है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पुरुषों को समझौते नहीं करने पड़ते. या कहें तो वे भी शोषण का शिकार होते हैं. क्लिनिकल साइकोलाॅजिस्ट राखी आनंद का कहना है कि मर्द और औरत दोनो ही कई तरह की हीनभावना का शिकार हो सकते हैं. डिप्रेशन, निराशा, आत्मविश्वास की कमी या अपने पार्टनर पर अत्याधिक निर्भरता यह स्थितियां पति और पत्नी दोनो के साथ हो सकती है. हमारे इर्दगिर्द तमाम ऐसे परिवार होते हैं, जहां पर तानाशाह पत्नियों के सामने उनके पतियों की आवाज दबकर रह जाती है.

तस्वीर का दूसरा रूख

रोहित और सुनैना की शादी को चार साल हो चुके हैं. सुनैना के बारे में यह कहा जाता है कि वह बेहद डोमिनेटिंग है. इस बारे में सुनैना का कहना है कि यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने पति को कैसे अपनी इच्छा के अनुसार चला सकती हैं. पति रोहित चाहकर भी सुनैना का विरोध नहीं कर पाते. घर में सब कुछ सुनैना की मर्जी से होता है इसका नतीजा है कि दोनो के बीच लड़ाई झगड़ा नहीं होता. दोनो को एक दूसरे कोई शिकायत नहीं हैं और दोनो एक दूसरे के साथ बेहद खुश हैं. अब सवाल पैदा होता है कि दरअसल रोहित क्या सोचता है? क्या कभी उसकी विरोध करने की इच्छा नहीं होती? क्या कभी उसके मन में यह सवाल पैदा नहीं होता कि वही क्यों समझौता करता है? सुनैना का घर में एकछत्र राज्य उसे भी अब बुरा नहीं लगता. क्योंकि वह चाहता है कि अगर ऐसा करने में उसकी पत्नी को खुशी मिलती है तो वह भी इसी में खुश है. पतियों को जब कहा जाता है कि वह जोरू के गुलाम है तो उन्हें कैसा लगता है. क्या वे खुश रहते हैं या क्या उन्हें ऐसा लगता है कि इससे उनकी अपनी पहचान खो गई है? और उनका एकमात्र लक्ष्य सिर्फ घर के भीतर शांति बनाये रखना है?

उदय एक गैर शादीशुदा युवक है. जिसकी सगाई हो चुकी है. उसका कहना है कि यदि मैं अपने पत्नी के कहे अनुसार सब कुछ करता हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उसका गुलाम हूं. वास्तव में डोमिनेशन का होना या न होना पूरी तरह से स्थिति पर निर्भर होता है. यह काफी हद तक किसी समस्या पर भी टिका होता है. घर में कई बार ऐसा होता है कि पत्नी की बात मानी जाती है. वहीं दूसरी तरफ अकसर पतियों के कहे आदेश ही अंतिम होते हैं. शादी के बाद मैं पहले अपनी पत्नी की बात सुनूंगा, अगर मुझे उसकी बात सही लगती है तो उसे मानने में हर्ज ही क्या है?

राजन और शीतल की शादी को तीन साल हो चुके हैं. शीतल शुरु से ही सेल्फ डिपेटेंट है. आत्मविश्वास से भरी शीतल को अपनी मनमर्जी के अनुसार जीवन जीने की आदत है. लेकिन राजन के साथ ऐसा नहीं है, चूंकि उसकी मां काफी डोमिनेटिंग रही हैं. नतीजतन शीतल की मर्जी के अनुसार घर चलता है, राजन यहां पर समझौता न कर पाने के कारण गहरे अवसाद में जा चुका है. इस बारे में क्लिनिकल साइकोलाॅजिस्ट राखी आनंद का कहना है, ‘जिन घरों में पुरुष घर की मामलों में निरपेक्ष होते है. उनके व्यक्तित्व में कई किस्म की खामियां पैदा हो जाती हैं. पत्नी के सामने तो वह झुककर रहते हैं लेकिन पत्नी के घर में न होने पर वह वैसा ही जीवन जीना पसंद करते हैं. दरअसल जैसा उन्हें अच्छा लगता है.’ यही वजह है कि पत्नी के न होने पर उन्हें वही करना अच्छा लगता है, जिसकी छूट उन्हें पत्नी के होने पर करने की नहीं होती. ऐसे लोग ही विवाहेत्तर संबंधों के जाल में फसंते जाते हैं.

क्या होना चाहिए

पति पत्नी के रिश्तों में दोनो इस तरह का समीकरण बनाते हैं कि उनके जीवन में सुख शांति बनी रहे. हर रिश्ते के भीतर कई कहानियां होती हैं. कई घरों में तो पति पत्नी के बीच में डोमिनेट कौन करता है इस बात का पता ही नहीं चलता. क्योंकि दोनो के बीच के रिश्ते बेहद अच्छे होते हैं. लेकिन तमाम चीजों के बावजूद पति और पत्नी दोनो को एक दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए और घर की जिम्मेदारियों में बराबरी की साझेदारी करनी चाहिए. क्योंकि पति और पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास, समानता और एक दूसरे की इच्छाओं के सम्मान पर ही टिका होता है. एक ऐसा रिश्ता जिसमें एक पार्टनर दूसरे पार्टनर को कुछ स्पेस दे ताकि दोनो के बीच अच्छे रिश्ते कायम हो सकें और जिसमें न तो दोनो एक दूसरे पर हावी हों और न ही घर में किसी एक का एकछत्र राज्य चले.

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