हाल ही में की गई एक रिसर्च में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि युवा माताओं में अपने नवजात शिशु की देखभाल और उस के स्वास्थ्य को ले कर चिंता बढ़ती ही जा रही है. कुछ हद तक इस के लिए न्यूक्लियर फैमिली का सिस्टम और कुछ हद तक इंटरनैट पर बेहद सहजता से उपलब्ध तरहतरह की स्वास्थ्य सूचनाएं भी जिम्मेदार हैं.
मोनाश विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अनुसंधान में पाया गया कि ज्यादातर मांएं खुद को गैरजिम्मेदार, लापरवाह और खराब मां मान कर अपराधबोध से घिरी रहती हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि वे एक अच्छी मां नहीं हैं. इस से उन के मन में शर्म, एंग्जाइटी और स्ट्रैस जैसी भावनाएं घर कर जाती हैं.
अपराधबोध क्यों
सेहत विज्ञानियों ने पाया कि 40 फीसदी नई मांओं में ऐंग्जाइटी का स्तर थोड़ा ही ज्यादा था, जबकि 45 फीसदी में यह काफी अधिक था. कंसल्टैंट साइकिएट्रिस्ट डा. संजय गर्ग कहते हैं कि नई मांओं में अपने नवजात शिशु के प्रति चिंता आजकल एक आम समस्या है. उन का कहना है कि न्यूक्लियर फैमिलीज में अनुभवी सास तो होती नहीं, इसलिए पढ़ीलिखी आधुनिक बहुएं हर सवाल का जवाब इंटरनैट पर ढूंढ़ती हैं. इस में इतनी सारी बातें लिखी होती हैं कि वे कन्फ्यूज हो जाती हैं और काफी हद तक डर भी जाती हैं. उन्हें पलपल यह डर सताने लगता है कि वे तो अपने बच्चे के लिए इन में से बहुत सारी बातों पर अमल कर ही नहीं रहीं.
इस के अलावा नई मांओं में हारमोनल बदलाव भी आते हैं और उन की सामाजिक, पारिवारिक और कैरियर लाइफ में भी उतारचढ़ाव आते हैं. इन सब के साथ अचानक तालमेल बैठा पाना कोई सहज काम नहीं होता है. इसलिए नई मांएं आसानी से ऐंग्जाइटी स्ट्रैस का शिकार हो जाती हैं.