लेखक-Lalita Bhatia

अक्सर सुनती विदेशों में वर्क फ्रॉम होम होता है कैसे करते होंगे काम?  क्या घर के सदस्य डिस्टर्ब नहीं करते होंगे?  पर मजा भी कितना आता होगा सुबह उठने की जल्दी नहीं होती होगी मन में इच्छा जागती थी कभी मैं भी घर से काम करूं.  करोना देव ने अवतार लेकर मेरी यह इच्छा पूरी कर दी करोना के चलते पूरे शहर में  लॉक डाउन हो गया.  ऑफिस बंद कर दिए और सब के लिए घर से काम करने के आर्डर हो गए मुझे तो मालूम मुराद मिल गई कहीं जाने की जल्दी नहीं होती. 8:30 बजे उठो और  नहा धो कर टेबल पर बैठ जाओ. सुबह की चाय भी  मम्मी टेबल  पर ही देती और उसके बाद नाश्ता भी दोपहर का लंच मैं अपने परिवार के साथ करती.  2-4  दिन तो सब ठीक-ठाक चला उसके बाद कुछ हास्यास्पद परिस्थितियां होने लगी.

एक दिन मेरी अपने बॉस के साथ मीटिंग चल रही थी और मम्मी गैस पर   कुक्कर चढ़ाकर नहाने चली गई  साथ ही मुझे हिदायत दे गई कि 4 सिटी आने के बाद गैस बंद कर देना.  मम्मी नहा कर आई मैं तब भी मीटिंग में थी आते ही मम्मी ने पूछा कितनी सीटें आई?

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मैंने जवाब दिया - 4
नहीं 5सिटी आ गई है उधर से मेरे बॉस बोले बताइए उस समय मेरी क्या हालत  हुई होगी.
मैं 1 दिन  फोन को स्पीकर पर लगा अपने एक  कलीग से बात कर रही थी और उससे किसी का फोन नंबर लेना था जब मैं नोट कर रही थी   98 96  हां उसके बाद
अरे उसने 156 भी बोला है मेरी मम्मी बोली तुम्हारा ध्यान किधर रहता है ?
लो और लो घर से काम करने का स्वाद.
सच में घर में सब सुख सुविधा होते हुए भी मैं ऑफिस को बहुत मिस करती हूं ऑफिस  मैं लंच के समय एक दूसरे से टिफन शेयर करना जब मिल बैठकर के  गप्पे मारना साथ मिल बैठकर शाम की चाय पीना सच में क्या दिन होते थे.

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