घर से ऑफिस ,ऑफिस से घर ये रूटीन बन गया .2 से 3 साल और निकल गए. मेरी उम्र 25 की हो गयी और फिर शादी हो गयी. मेरे जीवन की कहानी शुरू हो गयी. अपने जीवनसाथी के हाथों में हाथ डालकर घूमना -फिरना ,रंग बिरंगे सपने  देखना ,जीवन से एक अलग सा ही लगाव महसूस होने लगा.पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए .फिर बच्चे के आने की आहट  हुई.अब हमारा सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया. उठाना-बैठाना ,खिलाना-पिलाना ,लाड-दुलार ,समय कैसे फटाफट निकल गया मुझे पता ही नहीं चला.

इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया ,बातें करना ,घूमना -फिरना कब बन्द हो गया दोनों को पता ही नहीं चला. वो बच्चे में व्यस्त हो गयी और मैं अपने काम में.

घर और गाडी की क़िस्त ,बच्चे की पढाई लिखी और भविष्य की जिम्मेदारी और साथ ही साथ बैंक में शून्य बढ़ाने  की चिंता ने मुझे घेर लिया .उसने भी अपने आपको काम में पूरी तरह झोंक दिया और मैंने भी.

इतने में मै  35 साल का हो गया .इसी बीच दिन बीतते गए,समय गुजरता गया ,बच्चा बड़ा होता गया .एक नितांत, एकांत पल में मुझे वो गुज़रे दिन याद आये और मौका देखकर मैंने अपने जीवन साथी से कहा “अरे यहाँ आकर मेरे पास बैठो ,चलो हाथ में हाथ डालकर कहीं घूम कर आते है .” उसने अजीब नज़रों से मुझे देखा और कहा ‘आपको  घूमने की पड़ी है और यहाँ इतना सारा काम पड़ा है आप  भी हद करते हो ‘.मैं शांत हो गया .

बेटा उधर कॉलेज में था इधर बैंक में शून्य बढ़ रहे थे .देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म हो गया और वो परदेश चला गया.

ये भी पढ़ें- लड़कों में क्या खोजती हैं लड़कियां

मैं भी बूढा हो गया वो  भी उम्रदराज़ लगने लगी .दोनों 55 से 60 की ओर बढ़ने लगे .बैंक में शून्य बढ़ रहे थे और हमारे जीवन के भी.

बाहर आने जाने के कार्यक्रम बन्द होने लगे.अब तो गोली ,दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे.जब बच्चे बड़े होंगे तब हम सब साथ रहेंगे ये सोचकर बनाया गया घर बोझ लगने लगा.बच्चे कब वापस आयेंगे यही सोचते-सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे.

एक शाम ठंडी हवा का झोका चल रहा था .वो भी दिया- बाती कर रही थी और मैं अपनी  कुर्सी पर बैठा अपने अतीत के कुछ खुशनुमा पल याद कर रहा था . आज भी उस पल  को याद करके मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है जब हमारी शादी की बारहवी  सालगिरह पर उसने मुझसे सालगिरह का तोहफा माँगा. उसने मुझसे कहा की मैं  जो भी मांगूंगी आप मुझे दोगे . मैंने हाँ में सिर हिला दिया .वो अन्दर कमरे से जाकर 2 डायरी ले आई और मुझसे बोली कि मुझे आपसे बहुत कुछ कहना रहता है लेकिन हमारे पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं होता.इसलिए हमारी जो भी शिकायतें होंगी हम पूरा साल अपनी -अपनी डायरी में लिखेंगे और अगली सालगिरह पर हम एक दूसरे की डायरी पढेंगे .मैं भी सहमत हो गया की विचार तो अच्छा है.

देखते ही देखते साल बीत गए. शादी की अगली सालगिरह आई .हम दोनों ने एक दूसरे की डायरी ली.उसने कहा की पहले आप पढ़िए.मैंने पढना शुरू किया.पहला पन्ना,दूसरा पन्ना, तीसरा पन्ना शिकायते ही शिकायते “आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा नहीं दिया ”.

“आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए “.

“आज जब शौपिंग के लिए कहा तो जवाब मिला की मैं बहुत थक गया हूँ “ ऐसी अनेक रोज़ की छोटी छोटी फरियादें लिखी हुई थी.ये सब पढ़कर मेरी आँखों में आंसू आ गए. मुझे एहसास हुआ की वाकई में इन औरतों की ज़िन्दगी हमारे इर्द-गिर्द ही घूमती है.मैंने कहा की मुझे पता ही नहीं था मेरी गलतियों का .मै ध्यान रखूंगा की आगे से  ऐसा न हो.

अब बारी उसकी थी .उसने मेरी डायरी खोली .

पहला पन्ना कोरा? दूसरा पन्ना कोरा? अब उसने दो,चार पन्ने साथ में पलटे  वो भी कोरे? फिर पचास –सौ पन्ने साथ में पलटे  वो भी कोरे?

उसने कहा कि मुझे पता था की आप  मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकेंगे .मैंने पूरा साल इतनी मेहनत से आपकी सारी  कमियां लिखी ताकि आप  उन्हें सुधार सको.

मै मुस्कुराया और मैंने कहा की मैंने सबकुछ अंतिम पन्ने पर लिख दिया है.उसने उत्सुकता से अंतिम पन्ना खोला उसमे मैंने लिखा था;- “मैं तुम्हारे मुंह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूं लेकिन तुमने मेरे और मेरे परिवार के लिये जो  त्याग किये है मैं उनकी भरपाई कभी नहीं कर सकता.

मैं इस डायरी में लिख सकूं ऐसी कोई कमी मुझे तुममे दिखाई नहीं दी.ऐसा नहीं है की तुममे कोई कमी नहीं है, लेकिन तुम्हारा प्रेम,तुम्हारा समर्पण,तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है.मेरी अनगिनत भूलों के बाद भी तुमने जीवन के हर समय में मेरी छाया  बनकर मेरा साथ निभाया है.अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे निकाल सकता है.” अब रोने की बारी उसकी थी .वो मेरे गले लगकर  बहुत रोई .शायद अब उसके सारे गिले शिकवे दूर हो चुके थे.

तभी अचानक phone की घंटी बजी . मैं अपने अतीत के उस खुशनुमा पल से बाहर आ चुका था .मैंने लपक कर phone उठाया .बेटे का phone था जिसने कहा की उसने शादी कर ली है अब वो परदेश में ही रहेगा.उसने कहा’पिताजी आपके बैंक के शून्य आप दोनों के लिए पर्याप्त होंगे ,आप आराम से अपना जीवन बिता लीजियेगा और अगर जरूरत पड़े तो वृदाश्रम चले जाइएगा  वहां आप लोगों की देखभाल हो जाएगी.’ और भी कुछ ओपचारिक बातें करके उसने phone रख दिया.

मैं वापस आकर कुर्सी पर बैठ गया उसकी भी दिया- बाती ख़त्म होने को आई थी .मैंने उसे आवाज़ दी “चलो आज फिर हाथों में हाथ लेकर बातें करते है.” वो तुरंत बोली “अभी आई “.उसने शेष पूजा की और मेरे पास आकर बैठ गयी.”बोलो क्या कह रहे थे “लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा.उसने मेरे शरीर को छूकर देखा शरीर बिलकुल ठंडा पड़  गया था. “मैं उसकी ओर एक टक  देख रहा था “.

उसने मेरा ठंडा हाथ अपने हाथों में  लिया और बोली “चलो कहाँ घूमने चलना है तुम्हे?क्या बातें करनी है तुम्हे? “

बोलो !! ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !! वो एकटक मुझे देखती रही.उसकी आँखों से आंसू बह निकले .मेरा सर उसके कंधे पर गिर गया . ठंडी हवा का झोका अब भी चल रहा था.

ये भी पढ़ें- इन 5 टिप्स से बन सकती हैं आप अपनी सास की फेवरेट बहू

जी हाँ दोस्तों ये तो सिर्फ एक कहानी है पर शायद ये बहुत से लोगों के जीवन ही हकीकत भी है . हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते -निभाते अपने जीवन साथी के लिए समय निकालना ही भूल जाते है .

पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा रिश्ता होता है. इसमें कई तरह की भावनाएँ होती हैं जैसे की प्यार, देखभाल, परवाह, लड़ना-मनाना व छोटी मोटी नोंक-झोंक. यह नोंक झोंक भी वहां होती हैं जहाँ प्यार होता है.

जीवनसाथी, जीवन की ऐसी आवश्यकता है, जिसे किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता . वह आपको सहज महसूस कराने के लिए सब कुछ करेगा. आपका साथी हमेशा आपके मुश्किल समय में आपके साथ रहेगा . वो  हर कठिन परिस्थिति में आपके ठीक पीछे खड़ा होगा . आपका जीवनसाथी मृत्यु तक आपकी हर चीज का ख्याल रखेगा. सच्चाई ये है की जीवनसाथी के बिना जीवन बिलकुल अधूरा है

सब अपना अपना नसीब साथ लेकर आते हैं .इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो . जीवन अपना है ,जीने के तरीके भी अपने रखो .शुरुआत आज से करो क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा.

“कभी कभी किसी से ऐसा रिश्ता बन जाता है कि हर चीज़ से पहले उसी का ख्याल आता  है”

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...