दिल्ली हर साल करीब 5 लाख नए लोगों को आश्रय देती है. लगातार महंगे हो रहे दिल्ली जैसे महानगरों में लोग सस्ते में कैसे रहें, यह सभी दिल्लीवासियों का प्रश्न है. वाकई बड़े शहरों में रिहाइश बड़ी समस्या है. घर खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन प्रौपर्टी के बढ़ते दामों की वजह से ज्यादातर लोगों के लिए पैसा दे कर घर खरीदना कठिन ही नहीं नामुमकिन भी है. ऐसे में किराए पर घर ले कर रहना एक बेहतर विकल्प है.
किराए के घर में भी आप सुकून से जिंदगी बिता सकते हैं और अपना मकान होने की जो चिकचिक है, उस से मुक्ति भी पा सकते हैं. रीयल ऐस्टेट ऐडवायजरी फर्म सैंचुरी 21 के एक सर्वे में यह सामने आया है कि कुछ खास प्रोफैशंस के युवा अपना घर बहुत जल्दी नहीं खरीदते. मीडिया, फाइनैंस, ऐडवर्टाइजिंग और आईटी जैसे फील्ड में काम करने वाला युवावर्ग अपनी जौब जल्दी जल्दी बदलता रहता है. ऐसे में यह तय ही नहीं होता कि ये युवा एक शहर में कितने समय तक रहेंगे, इसलिए वे घर खरीदने में जल्दबाजी नहीं दिखाते. कुल मिला कर वे एनसीआर में अपना घर लेने के बजाय पौश कालोनी में रैंट पर रहना पसंद करते हैं.
अपना घर न खरीद कर किराए के घर में रहना पसंद करने वाले इन युवाओं के अपनेअपने तर्क हैं. कई कहते हैं कि वे ऐसी लोकैलिटी में ही रहना चाहते हैं जहां उन के मकान के पास तमाम सुखसुविधाएं उपलब्ध हों, तो कई युवा लोन के झमेले में नहीं फंसना चाहते. उन का कहना है कि वे अपनी पूरी सैलरी का मजा लेना चाहते हैं. वे हर महीने उस का बड़ा हिस्सा लोन में नहीं दे सकते.