कोरोना वायरस के प्रति जिज्ञासाओं और उत्सुकुताओं की जगह अब सवालों और आशंकाओं ने ले ली है कि अब क्या होगा , क्या हमें बाकी जिन्दगी भी ऐसी ही गुजारनी पड़ेगी जिसमें मौत का डर हर वक्त सर पर मंडराता रहता है क्या लाक डाउन के पहले बाले दिन अभी कभी नहीं लौटेंगे . ऐसे ढेरों सवाल सभी के दिलोदिमाग पर एक आतंक की तरह छाए हुए हैं जिनका सटीक जबाब कोई नहीं दे पा रहा और जो दे पा रहे हैं वे यह आस भर बंधाते हैं कि बस कोरोना का वेक्सीन आ जाने दो फिर सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा . 

लेकिन अमेरिका के 80 वर्षीय तजुर्बेकार डाक्टर एंथोनी स्टीफन फौसी की मानें तो सब कुछ पहले जैसे हो जाने का मतलब होगा कि कोरोना महामारी कुछ थी ही नहीं .  इस वरिष्ठ डाक्टर और नॅशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ एलर्जी एंड इन्फेक्शन डिसीज के डायरेक्टर के कथनों को और विस्तार से समझें तो कोरोना से 2021 तक तो मुक्ति नहीं मिलने बाली .  इसका वेक्सीन आएगा यह तय है लेकिन कब आएगा इस सवाल का सटीक जबाब भी किसी के पास नहीं यानी हमें अभी और कम से कम एक साल इसी हाल में रहना पड़ेगा .

और जब ऐसे ही रहना मज़बूरी और जरुरी है तो बहुत सी दुश्वारियों से खुद को बचाए रखने जरुरी है कि हम खुद को कोरोना से बचाए रखें जो बहुत ज्यादा मुश्किल काम भी नहीं है . हालाँकि यह कम हैरानी की बात नहीं जिसे लेकर सरकार आम और ख़ास लोगों के निशाने पर है कि लाक डाउन उस वक्त लगाया गया जब मौतें कम हो रहीं थीं और जानकारियों के नाम पर दहशत ज्यादा परोसी गई और अब जब संक्रमितों की संख्या और कोरोना से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है तब लाक डाउन धीरे धीरे हटाया जा रहा है . लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है कि जियो या मरो हमें क्या . 

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