अकसर नवजात शिशु के रात में न सोने पर प्रसूता मां परेशान रहती है. उसे सास या मां द्वारा यह तसल्ली भी दी जाती है कि 40 दिन तक यह परेशानी झेलनी पड़ेगी. उस के बाद बच्चा रात में ज्यादा तंग नहीं करेगा. लेकिन कई बच्चे 4-6 महीने तक, तो कई डेढ़ से 2 साल तक मां को रात में जगाते रहते हैं और मांएं अकसर परेशान रहती हैं कि उन के बच्चे बड़ों की तरह पूरी रात लगातार क्यों नहीं सोते? उन के इसी प्रश्न को ले कर हम ने पश्चिमी दिल्ली में अपना क्लीनिक चला रहे बालरोग विशेषज्ञ डा. अरुण कुमार सागर से बातचीत की. उन्होंने बताया, ‘‘दरअसल, हम सब के सोनेजागने का एक चक्र होता है, उसी हिसाब से हम सोते और जागते हैं. नवजात शिशु में इस चक्र के नियमित होने में समय लगता है. इसी वजह से वह अनियमित नींद लेता है. इस नियम के बनने में लगभग 6 सप्ताह लग जाते हैं और तब शिशुओें का नियमित सोनेजागने का चक्र बन जाता है.’’

बच्चे की नींद को पहचानना सीखें

सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि नएनए मातापिता बने दंपती को बच्चे की नींद पहचानना आना चाहिए. नींद की 2 दशाएं होती हैं- एक कच्ची या सक्रिय नींद, जिसे वैज्ञानिक भाषा में रेम (रेपिड आई मूवमेंट) कहते हैं. दूसरी, गहरी नींद (नौन रेम). वयस्क व्यक्ति बिस्तर में जाते ही आसानी से गहरी नींद में सो जाता है. उस की गहरी नींद का चक्र 90 मिनट का होता है. इस दौरान व्यक्ति का शरीर बिलकुल स्थिर रहता है, श्वास की गति नियमित होती है, मांसपेशियां ढीली होती हैं. 90 मिनट के बाद शरीर तो सुप्त अवस्था में रहता है लेकिन मस्तिष्क जाग जाता है और काम करना शुरू कर देता है और उसे गहरी नींद से सक्रिय नींद या कच्ची नींद में ले आता है. इस दौरान बंद पलकों के अंदर पुतलियां सक्रिय हो जाती हैं. वह करवट बदलता है, सपने देखता है और कुछ देर बाद पुन: गहरी नींद में चला जाता है. सारी रात यह चक्र चलता रहता है.

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