लेखक- शाहनवाज
21वीं शताब्दी की शुरुआत को टैक्नोलौजी की आमजन तक पहुंच का समय माना जाता है. यह वही समय है जिस के बाद से मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटौप जैसी चीजें आमजन भी अफोर्ड कर पाया और अपने जीवन को मुख्यधारा से जोड़ पाया. शुरुआती समय में लोग मोबाइल का उपयोग सिर्फ एकदूसरे से कम्यूनिकेट करने के लिए किया करते थे लेकिन समय बीतने के साथसाथ मोबाइल की उपयोगिता बढ़ती ही चली गई. पहले साधारण फोन हुआ करते थे, लेकिन एक समय बाद ‘स्मार्टफोन’ की ईजाद हुई जिस ने लोगों के स्टेटस को बदल कर रख दिया.
स्मार्टफोन, नौर्मल फोन की तुलना में कहीं ज्यादा काम करने में सक्षम हैं. आजकल के समय में लोग मोबाइल सिर्फ एकदूसरे से संपर्क साधने के लिए नहीं खरीदते बल्कि कई तरह के काम करने के लिए खरीदते हैं, जैसे वीडियो देखने के लिए, गाने सुनने के लिए गेम्स खेलने के लिए आदि. वास्तव में आजकल तो स्मार्टफोन का निर्माण ही मोबाइल गेमिंग को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है.
गेम्स खेलना किसे पसंद नहीं होता. हर कोई हलकेफुलके मनोरंजन के लिए थोड़ाबहुत गेम खेल कर दिमाग में चल रही भागदौड़ से खुद को शांत महसूस करता है. जब तक व्यक्ति अपने स्मार्टफोन में गेम्स खेल रहा होता है उस समय तक वह अपनेआप को शेष दुनिया से काट लेता है. कुछ पल के लिए ही सही, लोग अपनी नजरें अपने स्मार्टफोन में गढ़ा कर गेम्स खेल कर मानो सारी चिंताओं से खुद को मुक्त कर लेते हैं. लेकिन गेमिंग तब समस्या बन कर उभरती है जब लोग इस के एडिक्ट हो जाते हैं. गेमिंग का एडिक्शन इतना खतरनाक और इस के परिणाम इतने भयानक हो सकते हैं कि ये इंसान को पागलपन की ओर ले जा सकता है.
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