अलर्ट रहना आज के लाइफस्टाइल की जरूरत है. समय से अपने टार्गेट पूरा करना यह सिर्फ दबाव की बात ही नहीं है, ये काम की जरूरत भी है. इसलिए आज हर पल, हर क्षण, हर कोई उपलब्ध है. ऑनलाइन है. ऑनलाइन से कहीं ज्यादा मोबाइल ने आदमी को हर पल, हमेशा उपलब्ध बनाया है. देश में इस समय 1 अरब से ज्यादा मोबाइल फोन हैं. इससे अंदाजा लगया जा सकता है कि हमारी जिंदगी में मोबाइल कितना महत्वपूर्ण है. अगर मोबाइल ऑफ हुआ तो लगता है कि जैसे हम अपनी सक्रिय जीवंत दुनिया से कट गए हैं. इसलिए आज मोबाइल लोगों की दूसरी सांस बन चुका है. अगर 200 ग्राम का दिल बाईं छाती में धड़कता है तो 100 ग्राम का मोबाइल जेब से लेकर आपके इर्द-गिर्द कहीं भी धड़कने के लिए मौजूद रहता है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि मोबाइल ने बहुत चीजें आसान की हैं. संपर्काें को बनाए रखने में इसने एक ऐसी अदृश्य डोर का काम किया है, जो हममें से ज्यादातर को उन लोगों के साथ भी जोड़े रखती है, जिनके साथ शायद हम कभी जुड़े न रह सकें अगर यह डोर न हो. लेकिन दूसरी तरफ यह बात भी सही है कि मोबाइल ने हमें अपनी घंटियों का, अपनी धड़कनों को कुछ ज्यादा ही गुलाम बना लिया है और यह सब हमारी किसी अज्ञानता के चलते नहीं हो रहा, एक किस्म से इसका चक्रव्यूह हमीं ने रचा है. हमने अपनी कामकाजी जिंदगी को एक किस्म से इसके हवाले कर दिया है. हम पूरी तरह से इस पर निर्भर हो चुके हैं. निश्चित रूप से इसका फायदा भी है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं.