प्राकतिक सौंदर्य एवं खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड राज्य के लातेहार जिले में समुद्र तल से 3,622 फीट ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट का मौसम सालभर खुशनुमा रहता है. इसे प्रकृति का अनमोल तोहफा कहा जाता है, यही वजह है इस अनुपम स्थल को निहारने के लिए पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं. आने वाले पर्यटक प्रकृति के इस खूबसूरत स्थल को 'नेचर हाट' भी कहते हैं.

नेतरहाट को 'छोटा नागपुर की रानी' भी कहा जाता है. नेतरहाट शब्द की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि नेतुर (बांस) और हातु (हाट) मिलकर यह शब्द बना है. प्राचीन समय में यहां बांस का जंगल था, जिस कारण इसका नाम नेतरहाट पड़ गया. नेतरहाट पठार के निकट की पहाड़ियां सात पाट कहलाती हैं. यहां बिरहोर, उरांव और बिरजिया जाति के लोग निवास करते हैं.

रांची से करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेतरहाट आने के लिए प्रतिदिन बसें चलती हैं. रांची से आने के दौरान नेतरहाट पहुंचने के 50 किलोमीटर पूर्व से ही पहाड़ियों पर बने टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर किसी वाहन की सवारी आपको रोमांचित कर देगी.

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नेतरहाट पहुंचने के लिए घने जंगलों और पहाड़ियों से होकर गुजरना पड़ता है. बनारी गांव से एक सर्पीला रास्ता हमें वहां तक ले जाता है. इन रास्तों से गुजरते हुए कभी-कभी लोग भयभीत भी हो जाते हैं. रास्तेभर बांस, सेमल, पलाश, पइन, साल और अयर के पेड़ आपका स्वागत करते नजर आएंगे तो कचनार फूल की महक आपको तरोताजा करती रहेगी.

नेतरहाट आने वाले पर्यटक यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना नहीं भूलते. सूर्योदय के दौरान इंद्रधनुषी छटा को देखकर ऐसा लगता है कि हरी वादियों से एक रक्ताभ

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