नए साल का जश्न मनाने के लिए जरूरी नहीं कि आप महंगे पर्यटन स्थलों की तरफ ही रुख करें. देशविदेश में कई ऐसे सस्ते शहर भी हैं जहां आप नए साल का जश्न मना सकते हैं. जानिए, कुछ ऐसी ही मनोरम जगहों के बारे में, जो हर तरह के सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं:

ओरछा की छतरियां

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे ओरछा के पुराने महलों और हवेलियों को देखा जा सकता है. यहां के राजाओं की स्मृतियों के रूप में छतरियों का निर्माण कराया गया था, जो आज भी देखने वालों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं.

ओरछा में राजाओं की स्मृतियों में बनी 14 छतरियां बेतवा नदी के किनारे कंचनघाट पर स्थित हैं. 1800 में बना शीशमहल हैरिटेज होटल के रूप में बदल गया है. ओरछा झांसी से आधे घंटे की दूरी पर स्थित है. जहांगीर महल यहां का प्रमुख महल है. इस के प्रवेशद्वार पर 2 झुके हाथी बने हैं. तीनमंजिला यह महल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है. इस के अलावा फूलबाग, सुंदर महल और राय प्रवीन महल भी देखने लायक हैं.

यहां के बाजारों में डोकरा धातु से बनी चीजों को खरीदा जा सकता है. ओरछा के सब से करीबी हवाईअड्डे खजुराहो और ग्वालियर हैं. करीबी रेलवे स्टेशन झांसी है. दिगी मुंबई और दिगी चेन्नई राजमार्ग झांसी हो कर ही गुजरता है. ओरछा के लिए सभी करीबी शहरों से बस सेवा भी उपलब्ध है.

मुन्नार की मट्टुपेट्टी झील

दक्षिण भारत के केरल राज्य में स्थित मुन्नार पर्यटन स्थल से सभी परिचित हैं. यह केरल के इड्डुक्की जिले में आता है. यह दक्षिण भारत का प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थल है. यहां का मुख्य आकर्षण 12 हजार हैक्टेयर में फैले चाय के खूबसूरत बागान हैं. हर साल यहां हजारों पर्यटक चाय संग्रहालय और टी प्रोसैसिंग देखने आते हैं. चाय बागान के अलावा यहां मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर एर्नाकुलम राष्ट्रीय उद्यान भी है. यह देवीकुलम में पड़ता है. इस का निर्माण नीलगिरी जंगली बकरों की रक्षा के लिए किया गया था. यहां पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

चाय बागानों के अलावा पर्यटक मट्टुपेट्टी झील भी देख सकते हैं. यहां पर्यटक पिकनिक मनाने आते हैं. मट्टुपेट्टी समुद्रतल से 1,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मट्टुपेट्टी के जंगलों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों का निवास है. मट्टुपेट्टी के साथसाथ पर्यटक अथुकड फाल्स भी देख सकते हैं. यह झरना मुन्नार से 8 किलोमीटर दूर कोगि रोड पर गहरी घाटी में स्थित है. अथुकड फाल्स के अलावा चीयापरा और वलार फाल्स भी देखने लायक हैं. मुन्नार घूमने आने वाले पर्यटक चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य भी घूम सकते हैं, जो यहां से 60 किलोमीटर दूर केरल तमिलनाडू बौर्डर पर स्थित है.

मुन्नार का करीबी हवाईअड्डा कोचीन इंटरनैशनल एअरपोर्ट है. मुख्य रेलवे जंक्शन एर्नाकुलम है. राष्ट्रीय राजमार्ग 49 कोगि और मुन्नार को जोड़ता है. यहां सस्ता और अच्छा खाना मिलता है. एमजी रोड पर सरवन भवन का शाकाहारी भोजन बहुत मशहूर है. इस के अलावा आर्यभवन और एसएन एनैक्स भी देखने लायक हैं.

शीतलखेत में बर्फ से ढकी पहाडि़यां

अगर आप पहाड़, सुंदर घाटियां, चीड़ और देवदार के ऊंचेऊंचे पेड़, संकरे रास्ते और पक्षियों का कलरव सुनना चाहते हैं तो आप के लिए रानीखेत से बेहतर दूसरी कोई जगह नहीं. 25 वर्ग किलोमीटर में फैले रानीखेत को फूलों की घाटी भी कहा जाता है. यहां पहाड़ों पर सुबह, दोपहर और शाम का अलगअलग रंग मन मोह लेता है. रानीखेत में पहले छोटेछोटे खेत थे. इसी कारण इस का नाम रानीखेत पड़ा. यहां पंतनगर हवाईअड्डा सब से करीब है. काठगोदाम सब से करीबी रेलवे स्टेशन है.

काठगोदाम से रानीखेत 84 किलोमीटर दूर है. यहां से बस और टैक्सी दोनों की सुविधा है. रानीखेत शहर से 6 किलोमीटर दूर स्थित चिलियानौला में ट्रैकिंग की भी सुविधा है. यहां फूलों के सुंदर बाग हैं, जिन की सुंदरता देखते ही बनती है.

रानी खेत से 35 किलोमीटर दूर शीतलखेत है. यहां बर्फ से ढकी पहाडि़यां देखना बहुत अच्छा लगता है. यहां से पूरा रानीखेत दिखता है. रानीखेत से 10 किलोमीटर दूर चौबटिया है. यहां सब से बड़ा फलों का बगीचा है. यहां 3 झरने भी हैं, जो पर्यटकों को बहुत लुभाते हैं.

घने जंगलों से घिरा सोलन

हिमाचल प्रदेश में घूमने वाली जगहों में सब से पहला नाम शिमला का आता है. मगर शिमला में बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से तमाम परेशानियां आती हैं. ऐसे में पर्यटन के लिए सोलन सब से अच्छी जगह है. सोलन जिला घने जंगलों से घिरा होने के कारण पर्यटकों को खूब लुभाता है. समुद्र तट से 1,467 मीटर ऊंचा होने के कारण सोलन अपने सुंदर दृश्यों से पर्यटकों को आकर्षित करता है. यह पूरा क्षेत्र घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों से घिरा है. यहां की सब से ऊंची चोटी मतिउल है. यह शहर के पूर्व में स्थित है. शहर के उत्तर में कारोल चोटी है. कंडाघाट, कसौली, चैल और दगशाई भी यहां की दर्शनीय जगहें हैं. कारोल पर्वत के ऊपर एक गुफा भी है.

सोलन एक औद्योगिक शहर भी है. यहां बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती होती है. चंडीगढ़ यहां का सब से करीबी हवाईअड्डा है. यह सोलन से 67 किलोमीटर दूर है. नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका है, जो सोलन से 44 किलोमीटर दूर है.

सब से मशहूर रौस द्वीप

पर्यटक अब ज्यादातर ऐसी जगहों का चुनाव करते हैं जहां प्रकृति और इतिहास दोनों को देखा जा सके. अंडमान निकोबार द्वीप समूह इस के लिए सब से मुफीद जगह है. यह भारत सरकार के केंद्र शासित प्रदेशों में आता है. यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित है. अंडमान निकोबार 572 छोटे द्वीपों का एक समूह है. यहां की राजधानी पोर्टब्लेयर है.

रौस द्वीप यहां की सब से मशहूर जगह है. यहां पर ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों को देखा जा सकता है. सुबह और शाम को यहां तमाम तरह के पक्षियों को देखा जा सकता है. इसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है.

रौस द्वीप पहुंचने के लिए फीनिक्स सागर से नाव मिलती है. पोर्टब्लेयर तक पहुंचने के 2 रास्ते हैं. पहला रास्ता हवाई मार्ग है. चेन्नई, कोलकाता, दिगी और भुवनेश्वर से पोर्टब्लेयर के लिए हवाईजहाज मिलते हैं. दूसरे रास्ते के तहत कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से पानी के जहाज मिलते हैं, जिन के जरीए पोर्टब्लेयर तक पहुंचा जा सकता है. पानी के जहाज से यहां पहुंचने में करीब 2 दिन लग जाते हैं.

नक्की झील से देखें माउंट आबू

राजस्थान रेगिस्तान की वजह से मशहूर है. यहां के सिरोही जिले के समीप स्थित माउंट आबू नीलगिरी पहाडि़यों की सब से ऊंची चोटी पर बसा है. अंगरेजों के शासनकाल में इसे प्रमुख पर्यटक शहर के रूप में विकसित किया गया. यहां सर्दी और गरमी दोनों ही मौसम में पर्यटक आते हैं. यहां घूमने के लिए तमाम जगहें हैं. सब से मशहूर नक्की झील है. इस में नौकायान का मजा लिया जा सकता है. झील के चारों ओर पहाडि़यों का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है. यहां एक सनसैट पौइंट भी है, जहां से डूबते सूरज को देखा जा सकता है.

माउंट आबू का सब से करीबी हवाई अड्डा उदयपुर है. यहां से माउंट आबू 185 किलोमीटर दूर है. उदयपुर से टैक्सी और बस के द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है. यहां से माउंट आबू 28 किलोमीटर दूर है. अहमदाबाद, दिगी, जयपुर और जोधपुर से सीधी बस सेवा के द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है.

पणजी में रिवर कू्रज का आनंद

नए साल के जश्न की बात हो और गोवा का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता है. गोवा चारों तरफ समुद्र से घिरा होने के कारण भारत का सब से आकर्षक पर्यटन स्थल है. यहां पहुंचने के 2 रास्ते हैं. पहला मुंबई हो कर और दूसरा कर्नाटक के बैलगाम के रास्ते. गोवा पहुंचने के लिए हवाई मार्ग, सड़क और रेल का प्रयोग किया जा सकता है. कोंकण रेल सेवा के शुरू होने से गोवा का सफर सरल और किफायती हो गया है. गोवा में समुद्र तट पर वाटर सर्फिंग, पैरासीलिंग और तमाम अन्य वाटर स्पोर्ट्स का मजा लिया जा सकता है.

गोवा की राजधानी पणजी भी पर्यटन के लिए बहुत मशहूर है. ज्यादातर पर्यटक गोवा में समुद्री किनारों का ही मजा लेते हैं. पणजी मांडवी नदी के किनारे बसा है. यहां का रिवर ब्रिज देखने लायक है. मांडवी नदी में रिवर कू्रज में म्यूजिक और डांस का मजा लिया जा सकता है. नए साल में यहां बहुत सारे आयोजन होते हैं. जो समुद्र के सौंदर्य और जीवन की मस्ती का मजा लेने विदेश नहीं जा सकते उन के लिए गोवा की यात्रा विदेश यात्रा से कम नहीं है.

खरीदारों का स्वर्ग दुबई

संयुक्त अरब अमीरात देशों में दुबई सब से खास है. यहां प्राकृतिक गैस के भंडार हैं. इस का विकास आधुनिक हिसाब से किया गया है. सरकारी नीतियां यहां ऐसी हैं जिन से कि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. वास्तुकला के लिहाज से यह दुनिया के सब से प्रमुख आधुनिक शहरों में आता है. यहां की इमारतें बहुत आलीशान हैं. बुर्ज खलीफा देखने पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं. जब विश्व में आर्थिक उदारीकरण का दौर नहीं था दुबई तब से खरीदारों के लिए जाना जाता है. पूरी दुनिया से दुबई सीधे रूप से जुड़ा है. यहां के बाजारों में कपड़े, गहने, इलैक्ट्रौनिक सामान, खेल उपकरण, इंटीरियर का सामान और सौंदर्य प्रसाधन सब से अधिक मिलते हैं. इसलिए जिन लोगों को खरीदारी करनी है उन के लिए दुबई स्वर्ग जैसा है. दुबई में आधुनिक जीवन के हिसाब से हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

थाईलैंड का कोरल आईलैंड

विदेशी पर्यटन में थाईलैंड सब से करीब है. यहां पर्यटकों को हर तरह की सुविधाएं मिलती हैं. थाईलैंड में राजधानी बैंकौक के अलावा पट्टया, फुकेट, चियांग माई और नखोन पथोम घूमने वाले शहर हैं. थाईलैंड में पट्टया शहर सब से सुंदर जगह मानी जाती है. इस के करीब ही कोरल आइसलैंड है. यहां पर पैरासोलिंग और वाटर स्पोर्ट्स का मजा ले सकते हैं. यहां घूमने के लिए कांच के तले वाली नाव मिलती है. इस से जलीय जीवों और कोरल को भी देखा जा सकता है.

इस के अलावा पट्टया में अलकाजर कैबरट भी देखने वाली जगह है. यहां पर डांस और म्यूजिक के शो देख सकते हैं. यहां के कार्यक्रमों में काम करने वाली खूबसूरत अभिनेत्रियां वास्तव में पुरुष होते हैं.

थाईलैंड का सब से बड़ा और अधिक आबादी वाला द्वीप फुकेट है. रंगों से भरी इस जगह का विकास पर्यटन के कारण ही हुआ है. समुद्र के खूबसूरत किनारों को देखने का आनंद लेना है तो थाईलैंड से सुंदर कोई दूसरी जगह नहीं है. इस में कोरल आइसलैंड सब से प्रमुख है.

जिम कार्बेट में वाइल्ड लाइफ पर्यटन

जो लोग वाइल्ड लाइफ पर्यटन का शौक रखते हैं वे जिम कार्बेट नैशनल पार्क जा सकते हैं. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित यह पार्क 1,318 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस के 821 वर्ग किलोमीटर में बाघ संरक्षण का काम होता है. दिगी से यह पार्क 290 किलोमीटर दूर है. मुरादाबाद से काशीपुर और रामनगर होते यहां तक पहुंचा जा सकता है.

यहां पर तमाम तरह के जानवर मिलते हैं. इन में शेर, भालू, हाथी, हिरन, चीतल, नीलगाय और चीता प्रमुख हैं. यहां वन्य पशुओं के संरक्षण का काम होता है. 1935 में इस का निर्माण हुआ था. पहले इस का नाम हेली नैशनल पार्क था, जो अंगरेज गवर्नर मालकम हेली के नाम पर पड़ा था. मालकम हेली ने ही इस पार्क का निर्माण कराया था. आजादी के बाद इसे रामगंगा नैशनल पार्क के नाम से जाना जाने लगा. आजादी के बाद यहां पर आदमखोर शेरों ने लोगों को बहुत परेशान किया.

जिम कार्बेट एक बड़े शिकारी थे. उन का पूरा नाम जेम्स एडवर्ड कार्बेट था. कुमाऊं के आदमखोर शेरों को मार कर उन्होंने लोगों की जानें बचाई थीं. उन के नाम पर ही लोग इसे जिम कार्बेट के नाम से भी जानते हैं.

1957 में भारत सरकार ने इस पार्क का नाम जिम कार्बेट नैशनल पार्क रखा. आज का जिम कार्बेट पार्क बहुत अच्छा है. इस में 200 पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था है. यहां अतिथिगृह, कैबिन और टैंट उपलब्ध हैं. यह रामनगर रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर दूर है. रामनगर रेलवे स्टेशन से पार्क के लिए छोटीबड़ी हर तरह की गाडि़यां मिलती हैं. यहां से जिप्सी के द्वारा पार्क घूमने की व्यवस्था है. घूमते समय गाड़ी के शीशे बंद रखने पड़ते हैं, क्योंकि जंगली जानवरों के हमले का डर बना रहता है. सुबह 6 से शाम 4 बजे के बीच नेचर वाक का आयोजन किया जाता है.

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