Andaman : अपनी यात्राओं के सफर में हम ने सैलूलर अंडमान निकोबार के जेल, हैवलाक और नील आइलैंड जाने का प्रोग्राम बनाया. तीनों जगहों के बारे में बहुत कुछ सुना हुआ था. मुंबई से पोर्ट ब्लेयर जिस का नाम अब विजय नगर कर दिया गया है की फ्लाइट 3 घंटे की थी. तो शुरू हुआ मजेदार सफर.

मेरे बराबर में एक महिला और विंडो सीट पर उस का करीब 10 साल का बेटा गट्टू बैठा था जिस का मुंह लगातार चलता रहा, गट्टू उस का नाम था. गोलमटोल गट्टू खानेपीने वाला बच्चा था. उस का मुंह 3 घंटे लगातार चला.

मैं कभी फ्लाइट में सोती नहीं, किताब ले कर चलती हूं. फ्लाइट टाइम से पहुंची. एअरपोर्ट के बाहर ही सावरकर की बड़ी सी मूर्ति लगी है. बुक की हुई कैब लेने आई थी. होटल के रिसैप्शन पर सब को अच्छी हिंदी आती थी, इस ट्रिप में जहां भी गए, हिंदी सब को आती थी. यहां साउथ इंडियंस और बंगाली बहुत हैं.

फ्रैश हो कर होटल में ही लंच कर के आराम किया, फिर शाम को चाय पी कर यों ही शहर की सैर की, फिर सैलुलर जेल का साढ़े 7 बजे का ‘लाइट ऐंड साउंड’ शो बुक किया. यह नवंबर का आखिरी हफ्ता था. यहां सनसेट साढ़े 4 बजे हो जाता है, यह हमें जाने से पहले नहीं पता था. शो देखने के लिए काफी टूरिस्ट थे. सबकुछ बहुत व्यवस्थित था. अंदर जाने के लिए लंबी लाइन थी. अंदर जाते हुए जेल से जुड़ा इतिहास याद कर के दिल उदास होता है.

ऐतिहासिक आकर्षण

बैठने के लिए अच्छी चेयर्स थीं. आज भी एक ऐतिहासिक, बड़ा पेड़ है जो उस समय की क्रांति, पीड़ा और यातनाओं का साक्षी है. शो में  आवाज गुलजार, कबीर बेदी और आशीष विद्यार्थी की है. सूत्रधार पेड़ में गुलजार की आवाज बहुत प्रभावित करती है.

2 जगह अमर ज्योति जलती रहती है. शो में क्रांतिकारियों और आजादी के मतवालों के बलिदान के बारे में बहुत कुछ बताया गया है. शो काफी असरदार है. जेल के बाहर ही एक छोटा सा गार्डन है जहां कई शहीदों- बाबा भान सिंह, महावीर सिंह, रामरखा, इंदु भूषण राय, मोहन किशोर नामदास, मोहित मोइत्रा और सावरकर की गोल्डन मूर्तियां लगी हैं जो रात में चमक रही थीं.

जेल के बारे में और भी बहुत कुछ जानना था, दिन में भी विस्तार से देखना था इसलिए हम ने अगले दिन गाइडेड टूर लिया. इस का टिकट 2 सौ रुपए का था जिस में 5 फैमिली मैंबर जा सकते हैं. बहुत ईमानदार गाइड था, उस ने टिकट के पैसे भी खुद नहीं मांगे, बस जो रेट 200 बाहर लिखा था चुपचाप वही लिया.

छोटीछोटी कोठरियां देख कर उस समय के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है. जेल 3 फ्लोर की है. कुल 689 एकांत कमरे हैं. इन सैलों के कारण ही जेल का नाम सैलुलर जेल पड़ा. किसी भी एक सैल से दूसरे सेल की ओर देखना संभव नहीं. मनोवैज्ञानिक मानसिक यातनाएं देने का यह षड्यंत्र और उस की व्यवस्था की क्रूरता है. 1942 में इस आइलैंड पर जापान ने कब्जा कर लिया था. कइयों को इसी जेल में बंदी बना कर रखा गया. सुभाष चंद्र बोस भारत को आजाद घोषित करने के नाम पर यहां आए पर जापानियों के जहाज में 3 दिन में चलते बने. जापानी सैनिकों ने यहां के तबके निवासियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया पर जापानियों ने कुछ न सुनने दिया न बोस को कुछ करने दिया था.

सावरकर की कोठरी कौन सी है, इस का अंदाजा इस बात से लगाया गया है कि उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि फांसी वाले कमरे के सामने उन की कोठरी थी, उसी अंदाजे से उस कमरे में सावरकर की तसवीर रख दी गई है. फोटो ले सकते हैं.

राष्ट्रभक्ति का प्रमाण

विडंबना यह है कि वह गाइड रील बनाने वालों से दुखी था. ऐसी जगह भी बेहद आधुनिक लड़कियां बहुत छोटेछोटे कपड़ों में कोठरियों में रील बना रही थीं, गाइड इस बात से नाराज था कि इतिहास की इतनी गंभीर महत्त्वपूर्ण जगह पर भी लोग रील बना रहे हैं.

15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ तो सब स्वतंत्रता सेनानियों को जेल से मुक्त कर दिया गया. 11 फरवरी, 1979 को सैलुलर जेल राष्ट्रीय स्मारक घोषित हो गई. यह जेल आज देशविदेश में रहने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है और राष्ट्रभक्ति का प्रेरणास्रोत है. यहां रोज शाम को ‘लाइट ऐेंड साउंड’ शो होता है. यातनाओं की यादगार हथकड़ी बेड़ी, टाट के कपड़े, कोल्हू, फांसी के फंदे, बेंत आदि भी रखे हुए हैं.

एक जगह एक स्टैचू बना है, जिस में एक भारतीय कैदी ही एक क्रांतिकारी को कोड़े मार रहा है, यह अंगरेजों की कूटनीति थी. उस समय नारियल का तेल निकालने के लिए क्रांतिकारियों को कोल्हू के बैल की जगह जोत दिया जाता था.

एक स्टैचू में यह बताया गया है. कई क्रांतिकारी डेंगू, मलेरिया से मर जाते थे, कुछ ठंड से. आजादी के लिए संघर्ष करते दीवानों की बात ही कुछ और थी. आज भी अंगरेजों का बनाया हुआ आर्टिटैक्चर ही है, टूटफूट की रिपेयर कर दी जाती है.

क्रांतिकारियों की दुनिया

जहां अब कुछ युवा धार्मिक उन्माद में पागल हुए जा रहे हैं, वहां इन क्रांतिकारियों की दुनिया ही अलग थी. यहां एक म्यूजियम भी है जहां इतिहास से जुड़ी तसवीरें और आज के नेताओं की कुछ तसवीरें हैं.

जेल देख कर जब बाहर निकले तो एक मार्केट दिखी. मेरी आदत है अगर मुझे किसी शहर में कोई बुक शौप दिखती है तो मैं उस का एक चक्कर जरूर लगाती हूं. मुझे बड़ी खुशी हुई जब मुझे यहां 3 हिंदी की पत्रिकाएं- सरिता, गृहशोभा और सत्यकथा दिखी. पत्रिकाओं में यही 3 थीं.

शाम को हम कैब से चिडि़या टापू बीच गए. यह सुंदर बीच शहर से लगभग 28 किलोमीटर दूर है. यह बीच सनसेट देखने, मनोरम प्राकृतिक सुंदरता देखने और समुद्र के दृश्य देखने के लिए प्रसिद्ध है. कैब ड्राइवर ने बताया कि पोर्ट ब्लेयर में हर चीज बाहर से आती है, यहां कुछ भी नहीं बनता. खाने में सीफूड फेमस है. सनसैट का दृश्य बहुत ही सुंदर था.

अगले दिन हैवलाक बीच जो अब स्वराज द्वीप हो गया है, जाना था. नाटिका कंपनी की फेरी में सवा 12 की बुकिंग थी. फेरी 20 मिनट लेट चली. चली तो बहुत स्मूथ थी पर 5 मिनट के बाद ही फेरी ने जो उछाल मारी उस से सब की हालत खराब हो गई. बाद में पता चला कि ‘बे औफ बंगाल’ में फिंगल साइक्लोन के कारण ऐसा हुआ था जिस का फाल चेन्नई में हुआ था. फेरी 2 बज कर 20 मिनट पर हैवलाक पहुंचनी थी तब तक यात्रियों की हालत पस्त हो चुकी थी.

अटैंडैंट लड़की सब के साथ बहुत नम्रता से पेश आ रही थी, किसी यात्री का मुंह पोंछ रही थी तो किसी को हिम्मत बंधा रही थी, उस लड़की का यह काम बहुत मुश्किल रहता होगा.

हमारी हालत भी खराब थी पर हमें उलटी नहीं हुई क्योंकि हम ऐसी यात्राओं में पहले ही एवोमिन टैबलेट ले लेते हैं और उलटी से बच जाते हैं.

अंडरवाटर का रोमांच

इस फेरी में बैठते ही जो ?ाटके लगे थे, उन से पता नहीं क्यों थकान बहुत हुई थी, हम जल्द ही सो गए. अगले दिन सुबह स्कूबा डाइविंग का प्रोग्राम था. इस में 5-5 लोगों का गु्रप बना दिया जाता है. एक फौर्म पर साइन करने होते है. एक व्यक्ति से साढ़े 5 हजार लिए जाते हैं. पानी में अंदर जाने के लिए अलग कपड़े देते हैं. चेंजिंगरूम होता है, डिवाइस से आधा घंटा ब्रीदिंग और बाकी चीजें सिखाते हैं.

बोट से स्पौट पर ले जाते हैं. 1-1 गाइड सब के साथ रहता है, फिर गियर पहना देते हैं तथा हाथों से कुछ इशारे सिखा दिए जाते हैं. नीचे की दुनिया बहुत अलग और सुंदर है. ग्राउंड तक ले जाते हैं, कोरल लीव्स, मछलियां और भी बहुत कुछ होता है. 25 मिनट अंडरवाटर रहते हैं. यह नौनस्विमिंग ऐक्टिविटी है, वे लोग कहते हैं कि अगर स्विमिंग आती भी हो तो करनी नहीं है.

शाम को राधा नगर बीच गए जिसे भारत का बैस्ट बीच कहा जाता है. टाइम्स मैगजीन ने इसे दुनिया का 7वें नंबर का बैस्ट बीच कहा है. ऐसा साफ और सुंदर बीच कि आप हैरान हो जाएंगे, कहीं एक कंकर नहीं, कहीं एक जरा सा भी गंदगी का टुकड़ा नहीं. ऐसा लगता कि रेत जैसे मुलायम सा चिकना आटा या मैदा आप के पैरों के नीचे किसी ने बिछा दिया हो. यहां जाएं तो आराम से बैठनेलेटने के लिए एक चादर, एक तौलिया ले जाएं, जम कर स्विमिंग करें, भीगें, लहरों का आनंद लें. ऐसा बीच हम ने मौरिशस और थाईलैंड में ही देखा था. कोशिश करें कि वहां 3 बजे तक पहुंच जाएं और सनसैट का भरपूर आनंद लें.

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