ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए बिहार न सिर्फ परंपरा और आधुनिकता की अनूठी तसवीर पेश करता है, बल्कि शिक्षा और ज्ञानविज्ञान की अंतर्राष्ट्रीय पहचान के लिए यह मशहूर भी है.
बिहार ऐसा प्रदेश है जो अपनी अलग पहचान रखता है. चंद्रगुप्त और अशोक के समय में मगध और इस की राजधानी पाटलिपुत्र का विश्व भर में नाम था. बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. जब तक झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था तब तक यहां खनिज संपदा की कोई कमी नहीं थी लेकिन झारखंड बनने पर खनिज संपदा से लबरेज इलाका वहां चला गया. इस तरह बिहार की आर्थिक संपन्नता को काफी नुकसान पहुंचा है.
पर्यटन व ऐतिहासिक दृष्टि से बिहार का आकर्षण आज भी कायम है. देशविदेश से अनेक सैलानी यहां के ऐतिहासिक स्थलों को देखने हर साल आते हैं. बिहार की राजधानी पटना का नाम पाटलिपुत्र और अजीमाबाद भी रहा है. यह शहर अपने सीने में कई ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए हुए है.
पटना के दर्शनीय स्थल
बुद्ध स्मृति पार्क
पटना रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही विशाल और चमचमाते स्तूप पर नजर टिक जाती है. वह इंटरनैशनल लेवल का बना नया पर्यटन स्थल बुद्ध स्मृति पार्क है. उस जगह पर पहले पटना सैंट्रल जेल हुआ करता था.
म्यूजियम
पार्क के भीतर बुद्ध म्यूजियम को बड़ी खूबसूरती से गुफानुमा बनाया गया है जिस में बुद्ध और बौद्ध से जुड़ी चीजें प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं. इसे सिंगापुर के म्यूजियम की तर्ज पर विकसित किया गया है.
मैडिटेशन सैंटर
बौद्ध-कालीन इमारतों की याद दिलाता मैडिटेशन सैंटर बनाया गया है. यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से प्रेरित है. इस में कुल 5 ब्लाक और 60 कमरे हैं. सभी कमरों के सामने के हिस्सों में पारदर्शी शीशे लगाए गए हैं ताकि ध्यान लगाने वाले सामने बौद्ध स्तूप को देख कर ध्यान लगा सकें.