महाराष्ट्र के औरंगाबाद से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दौलताबाद किले को पहले देवगिरि कहा जाता था. हालांकि, बाद के समय में इसका नाम बदल गया. यह किला राज्य के सेवन वंडर्स में से एक होने के साथ ही मशहूर टूरिस्ट स्पाट भी है. सालभर यहां पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है.
1187 में बनाया गया था किला
पहाड़ी पर बने इस किले को मजबूती के लिए जाना जाता है. 1187 में इसे यादव राजा भिल्लामा वी ने बनवाया था. साल 1327 की शुरुआत में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में देवगिरि क्षेत्र राजधानी भी रहा है. हालांकि, बाद में पानी की कमी के कारण फिर से दिल्ली को राजधानी बना दिया गया था. मुहम्मद बिन तुगलक ने ही इस किले का नाम बदलकर दौलताबाद रखा था.
किले में आकर्षण के केंद्र
यह किला करीब 200 मीटर ऊंचा है. इसमें प्रवेश करने का रास्ता सिर्फ एक पुल है जिसे सिर्फ दो ही व्यक्ति एक बार में इस्तेमाल कर सकते हैं. कहा जाता है कि किले को इस तरह से बनाया गया है कि इसे कभी कोई बादशाह अंदर घुसकर जीत नहीं सका.
किले में स्थित चांद मिनार, चिनी महल और बरदरी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध हैं. 1435 ईस्वी में अलाउद्दीन बहमन शाह द्वारा चांद मिनार का निर्माण करवाया गया था. यह 63 मीटर ऊंचा है और मस्जिद के विपरीत है. चिनी महल इस किले के निचले हिस्से में स्थित है. कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां राजा गोलकुंडा को 1687 ईस्वी में औरंगजेब ने कैद किया था. वहीं बरदरी शिखर पर स्थित है.