हर मौसम में खूबसूरत मालशेज घाट प्रकृति प्रेमियों, ट्रैकर्स, साहसिक पर्यटन प्रेमियों सभी को समान रूप से लुभाता है. शहर की हलचल से दूर मात्र साढ़े तीन घंटे की यात्रा के बाद अप्रतिम सौंदर्य से परिपूर्ण प्रकृति की गोद में स्वयं को पाना एक कौतूहलपूर्ण आश्चर्य लगता है, मगर मालशेज घाट की यही खासियत है. मुंबई से आधी दूरी तय करने के बाद से ही आप छोटे-छोटे झरने, जलप्रपात, हरे-भरे खेत, पर्वतश्रेणियां, काले अंगूर, केले आदि के फार्म, खूबसूरत जंगल व झील आदि का नजारा लेते हुए यहां पहुंचते हैं.

यह एक ऐसा पर्वतीय स्थल है, जहां किसी भी मौसम में जाइए आप प्रकृति के रंग-रूप देख मुग्ध हो जाएंगे और यहां की खूबसूरती में खो जाएंगे. मगर मॉनसून में यहां का सौंदर्य देखते ही बनता है, बादल आपके संग चलते हुए प्रतीत होंगे.

महाराष्ट्र के पुणे जिले के पश्चिमी घाटों की श्रेणी में स्थित है प्रसिद्ध मालशेज घाट. समुद्र तल से 700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मालशेज एक बेहद आकर्षक पर्वतीय पर्यटन स्थल है, जो आम पर्यटकों के अलावा प्रकृति प्रेमियों, हाईकर्स, ट्रैकर्स एवं इतिहासकारों को समान रूप से लुभाता है. वीकेंड या दो-तीन दिन की यात्रा के बाद आप कई महीनों तक अपने को तरोताजा महसूस करेंगे.

मालशेज घाट में ठहरने के लिए यहां सबसे ऊंचाई पर महाराष्ट्र पर्यटन विभाग का गेस्ट हाउस भी एक बेहतरीन जगह पर है. गेस्ट हाउस के परिसर में घूमते हुए आप पर्वतों एवं घाटियों के सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं. परिसर के पीछे अनेक हिल प्वाइंट, जैसे-कोंकण, वाटर रिवर्स प्वाइंट, हरिश्चंद्र प्वाइंट, कालू आई प्वाइंट, मालशेज प्वाइंट आदि बने हुए हैं और उसके पीछे सघन वन है. यहां से नीचे की ओर गहरी घाटियों को और मई से सितंबर महीनों में अनेक जलप्रपातों के सौंदर्य को निहारा जा सकता है.

मालशेज घाट और इसके आसपास भीम नदी प्रवाहित होती है. यहां की झीलों में और आसपास सफेद एवं नारंगी फ्लेमिंगो को देखना एक अनूठा अनुभव है, जो दूसरी जगह दुर्लभ है. इसी प्रकार और भी कई खूबसूरत प्रवासी पक्षी यहां की प्रकृति में रमने के लिए आते हैं. मालशेज घाट कोंकण और डक्कन के पठार को जोडऩे वाला सबसे पुराना मार्ग है, इसलिए यह विश्वास किया जाता है कि बौद्ध भिक्षुओं ने यहां थोड़ी दूरी पर स्थित लेनयाद्री में गुफा मंदिरों का निर्माण कराया.

मालशेज घाट के आसपास मात्र एक घंटे की ड्राइव के बाद कई आकर्षक स्थल हैं. इनमें अष्टविनायक मंदिर, शिवाजी की जन्म स्थली, नैने घाट, जीवधन और कुछ जल प्रपात प्रमुख हैं.

शिवनेरी

सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि भारत के इतिहास में भी शिवनेरी का विशेष स्थान है, क्योंकि यह महाराज शिवाजी की जन्मस्थली है. सैकड़ों खड़ी चट्टानी सीढ़ियां चढ़ने के बाद इस स्थान पर पहुंचना भी एक उपलब्धि है. यहां एक छोटा कमरा है, जहां शिवाजी का जन्म हुआ था. यहां पर उनका पालना सुरक्षित रखा गया है. इसे

कई लोग शिवाजी का मंदिर मानते हैं और एक तीर्थस्थल की तरह ही यहां भी कुछ लोग समूह में शिवाजी की जयकार करते हुए इतनी ऊंचाई तक पहुंचते हैं. शिवनेरी की बौद्ध गुफाएं तीसरी सदी की हैं.

हरिश्चंद्रगढ़

ट्रैकिंग के लिहाज से हरिश्चंद्रगढ़ का अपना महत्व है. यह काफी लंबा और कठिन ट्रैक भी है, इसलिए गर्मियों में यहां ट्रैकिंग नहीं करें, तो बेहतर होगा. यहां की ट्रैकिंग के लिए खिरेश्वर गांव उपयुक्त बेस माना जाता है. इसके अलावा, पचनाई और कोठाले को भी बेस बनाया जा सकता है.

जीवधन

जीवधन भी एक कठिन ट्रैकिंग रूट है. प्राचीन काल में नैनेघाट एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग था और सुरक्षा की दृष्टि से यहां किलों का निर्माण किया गया था. यह क्षेत्र जीवधन, हदसर, महिषगढ़ और चावंड से सुरक्षित किया गया था. जीवधन वंदारलिंगी के कारण भी प्रसिद्ध है.

पिपलगांव जोग बांध

इस रमणीय स्थल में विविध सुंदर प्रवासी पक्षियों को देखने का मौका मिलता है. धवल नदी और घने वन से सुसज्जित यह स्थान पक्षी प्रेमियों के लिए बेहतरीन है.

कैसे पहुंचे?

रेलवे स्टेशन- मुंबई-कल्याण-घाटघर-मालशेज निकटतम रेलवे स्टेशन कल्याण (90 किमी.), थाणे (112 किमी.), पुणे (116 किमी.)

निकटतम हवाई अड्डा- पुणे (116 किमी.), मुंबई (136 किमी.)

प्रमुख शहरों से दूरियां- थाणे (112 किमी.), नवी मुंबई (130 किमी.), पुणे (116 किमी.), मुंबई (136 किमी.)

कब जायें?

उपयुक्त मौसम यहां की खासियत है कि पूरे साल खुशनुमा मौसम रहता है, मगर जून से सितंबर तक यहां घूमने का अलग ही रोमांच है.

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