पेरू के जंगलों में एक रहस्यमयी उबलते पानी की नदी है. 25 मीटर चौड़ी और 6 मीटर गहरी इस नदी के पानी का तापमान 50 से 90 डिग्री सेल्सियस तक रहता है और कुछ स्थानों पर 100 डिग्री तक पहुंच जाता है, जिससे आप चाय तक बना सकते हैं.
आधा सेकंड से कम समय तक पानी में हाथ डालने से जलने की थर्ड डिग्री तक घाव हो सकते हैं. इसमें गिरने से अनेक छोटे प्राणियों की मौत हो जाती है. अंशानिका के निवासियों के अनुसार यह रहस्यमयी ‘शनय टिम्पिश्का ’ नदी सदियों पुरानी है, जिसका मतलब है ‘सूरज की गर्मी से उबलने वाली नदी’.
1930 तक ऐसे किसी भी उबलती नदी का वैज्ञानिक पुष्टि नहीं मिलती, क्योंकि ऐसी नदी की कल्पना ज्वालामुखी के निकटतम स्थानों पर की जाती सकती है. जबकि अमेज़ौन बेसिन की यह नदी, एक सक्रिय ज्वालामुखी से 400 मील की दूरी पर स्थित है. मयंतुयकु के निवासियों और कुछ मुट्ठी भर शोधकर्ताओं के अतिरिक्त सारी आबादी सच में उबलती हुई नदी से आज तक अनजान है.
सरकारी तौर पर 2011 में इस नदी की पुष्टि हुई, जब बचपन में सुनी गयी अनेक पौराणिक कथाओं और कहानियों को सुनने के बाद, भू-वैज्ञानिक एंड्रेस रुज़ो ने 20 साल बाद अपनी आंटी के कहने पर इस रहस्यमयी नदी के सच को जानने में उत्सुकता दिखाई.
रुज़ो ने नदी का वर्णन एक किताब में किया है ‘द बौयलिंग रिवर-एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजौन’. नदी में गिरने वाली प्राणियों की दशा का विस्तृत वर्णन करते हुए रुजो कहते हैं कि ‘मैंने बहुत से प्राणियों को इसमें गिरते हुए देखा है, उसके बाद जो होता है वह बहुत ही दयनीय है.
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