एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाली मुंबई की 30 वर्षीय सुजाता हर साल 7 दिन के लिए ट्रैवल पर निकल जाती है, क्योंकि काम से थक जाने के बाद उन्हे कही जाना सुकून देता है, वह अधिकतर सिंगल टूर करती है, जिसमें वह वहां की रीतिरिवाज, संस्कृति, खान पान, पोशाक आदि पर अधिक ध्यान देती है. वह देश में ही नहीं, विदेश में भी कई बार घूमने जा चुकी है. उनके हिसाब से बजट के हिसाब से ट्रैवलिंग आजकल किया जा सकता है, ट्रैवल पर जाने के लिए बड़ी बजट की जरूरत नहीं होती, अपने देश में ही पहाड़ों पर कई ऐसे शहर और गांव है, जहां जाने पर भी सुकून मिलता है. इसमें वह अधिकतर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जाना पसंद करती है, जबकि विदेश में अमेरिका, यूरोप, साउथ अफ्रीका, थाईलैंड आदि जगहों पर सुजाता घूम चुकी है.
विज्ञान क्या कहता है
किसी स्थान की यात्रा करने से मस्तिष्क को उस स्थान की दृश्य, रहनसहन, आवाज, परिवेश आदि से एक उत्तेजना मिलती है, जिससे व्यक्ति में ज्ञान संबंधी फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ती है. मस्तिष्क में नई चीजों को अडाप्ट करने की क्षमता विकसित होती है, विचार बदलते है, क्योंकि जब व्यक्ति किसी नए जगह की यात्रा करता है, तो वहां के नए लोग और संस्कृति के साथ साथ नई परिवेश से व्यक्ति परिचित होता है, फिर चाहे वह अनुभव अच्छे हो या बुरे एक एडवेंचर का एहसास होता है. यही वजह है कि आज के यूथ से लेकर वरिष्ठ नागरिक सभी पर्यटन को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मान चुके है. कुछ तो इसके लिए पूरे साल थोड़ेथोड़े कर पैसे जमाकर घूमने जाते है, उनके लिए बिना ट्रैवल किए एक स्थान पर सालों से रहना मुश्किल होता है.
बढ़ी है पर्यटन व्यवसाय
देखा जाए तो पर्यटन का विकास पिछले कुछ 10 से 15 सालों से अधिक हुआ है. इसकी वजह पतिपत्नी का आत्मनिर्भर होना है, जिससे वे आराम से किसी नए स्थान को इक्स्प्लोर कर सकते है. ट्रैवल एजेंसी भी मानती है कि पिछले 10 सालों से उनका व्यवसाय बढ़ा है, खास कर आज के युवा खासकर महिलायें और वरिष्ठ नागरिक कही घूमने जाना पसंद करते है, इसलिए वे सीनियर सिटिज़न ग्रुप और लेडिज ग्रुप का आयोजन करती है और ये देश में ही नहीं विदेश में भी जाते है. ट्रैवल चाहे किसी भी रूप में हो हमेशा कुछ अच्छा सीखने का मौका देती है. इसके फायदे निम्न है,
रिलेक्स्ड फिलिंग
असल में ट्रैवलिंग किसी भी व्यक्ति को रिलेक्स्ड फ़ील करवाने के अलावा उस स्थान को जानने की उत्सुकता, संस्कृति और इतिहास से परिचय करवाती है. साथ ही किसी भी नकारात्मक सोच को हटाती है, जिससे डिप्रेशन होने का रिस्क नहीं होता.
स्ट्रेस रिलीफ
ट्रैवल से तनाव कम होता है और स्ट्रेस कम होने पर व्यक्ति किसी भी समस्या का समाधान जल्दी ढूंढ लेता है. विज्ञान के अनुसार स्ट्रेस कम होने पर कॉर्टिसॉल का लेवल कम होता है, जिससे व्यक्ति अधिक से आधिक खुद को काम पर केंद्रित रख सकता है.
बढ़ती है क्रीएटिवटी
ट्रैवलिंग क्रीऐटिवटी को बढ़ाती है, क्योंकि नई जगह की नई आइडियास, वहां की खानपान, संस्कृति को व्यक्ति सामने देख पाता है. यही वजह है कि क्रिएटिव फील्ड में काम करें वाले अधिकतर ट्रैवल करते है.
बढ़ती है लर्निंग
किसी नए जगह की यात्रा करने पर व्यक्ति की स्किल्स, वहाँ की इतिहास, भाषा और सोच में बदलाव होता है. इसके अलावा नए फ्रेंड्स बनते है और स्थानीय लोगों से संवाद बढ़ती है.
रिश्तों में बढ़ती है मिठास
लव्ड वन के साथ ट्रैवल करने से रिश्तों में मिठास बढ़ती है, रिसर्च बताती है कि तकरीबन 52 प्रतिशत कपल्स के रिश्ते छुट्टियों में कही घूमने जाने के बाद से इम्प्रूव हुए.
बनते है यादगार पल
यात्रा से कई यादगार पल बन जाते है, जिसे बाद में याद करने पर खुशी मिलती है. आप जब भी घूमने जाए, निम्न बातों पर अवश्य ध्यान दें, ताकि आप यात्रा सुखद और यादगार हो,
- उस स्थान की नई जगह और संस्कृति को जाने,
- वहां की लोकल खाने और पेय पदार्थ को टेस्ट करें,
- वहां की तस्वीरें ले और जर्नी को यादगार बनाएं,
- वहां की खास वस्तु की सौवेनियर्स की शौपिंग करें, पर अधिक शौपिंग से बचें,
- आउट्डोर एक्टिविटीज में भाग लें मसलन हाइकिंग, वाटर स्पोर्ट्स आदि
- सभी ऐतिहासिक साइट्स और लैंडमार्क्स को देखें और उसके बारें में जानने की कोशिश करें.
वैज्ञानिक मानते हैं कि ट्रैवल मस्तिष्क को बदल देती है, क्योंकि नई भाषा, गंध, टेस्ट और दृश्य सभी से व्यक्ति को एक नई ऊर्जा मिलती है. यही वजह है कि एंटरटेन्मेंट इंडस्ट्री में समय मिलते ही कलाकर अपने परिवार या अकेले यात्रा पर निकल जाते है, इस बारें में उनका कहना क्या है आइए जानते है.
माधुरी दीक्षित
माधुरी दीक्षित हर साल व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर ट्रैवल करती है, जो अधिकतर अमेरिका में होता है, उनके हिसाब से ट्रैवलिंग से मुझे अधिक काम करने की प्रेरणा मिलती है और मैँ अधिकतर अमेरिका जाती हूँ, क्योंकि वहाँ मेरे काफी फैंस और दोस्त है.
अजय देवगन
अजय देवगन कहते है कि काम से अलग मैं जिस किसी भी स्थान पर जाता हूँ, वह मेरे लिए ट्रैवल होता है, जिसे मैं अपने परिवार के साथ गुजारना चाहता हूँ और यह मेरे लिए बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि काम से थकने के बाद एक शांतिपूर्ण यात्रा पूरी थकान को मिटा देती है. इसमें मैँ अधिकतर लॉन्ग ड्राइव पर जाना पसंद करता हूँ, देश में राजस्थान, लद्दाख और विदेश में लंदन और आस्ट्रेलिया मेरा पसंदीदा जगह है. मैँ शौपिंग नहीं करता, लेकिन वहां की हैन्डीक्राफ्ट को खरीदना पसंद करता हूँ.
सारा अली खान
सारा कहती है कि समुद्र ऊंची – ऊंची लहरे, आसपास की शांति और पहाड़ों की खूबसूरत वादियाँ मुझे हमेशा से ही आकर्षित करती है. मैँ एक पर्यटक के रूप में इन्ही स्थानों पर जाना पसंद करती हूँ. मेरे हिसाब से जब आप ऐसी जगहों की यात्रा करते है, तो सही माइने में आप खुद को पहचान पाते है.
जान्हवी कपूर
अभिनेत्री जान्हवी कपूर को ट्रैवल करना बहुत पसंद है, उन्होंने बचपन से अपने पेरेंट्स के साथ कई स्थानों पर यात्रा की है. उनका मानना है कि ट्रैवल से व्यक्ति खुद को समझ पाता है और यह जरूरी है, क्योंकि हर जगह का अपना एक इतिहास होता है, जिसे ट्रैवल के द्वारा ही जाना जा सकता है. इसमें मुझे इटली का परिवेश बहुत अच्छा लगा, जहां शाम को साथ बैठकर लोग गपशप और गाना बजाना करते है.
बौक्स में
ट्रैवल पर बनी कुछ फिल्में, जो यात्रा को प्रेरित करती है,
दिल चाहता है (2001), हम तुम (2004)
रंग दे बसंती (2006), जब वी मेट (2007)
लव आजकल (2009), थ्री इडियट्स (2009)
जिंदगी न मिलेगी दुबारा (2011), हाइवै (2014)
क्वीन (2014) पी के (2014), पिकू (2015) आदि.