भारत में प्रकृति के न जाने कितने खजाने हैं. कुछ को तो बाहरवालों ने नष्ट कर दिया और कुछ को घर वाले ही बचा नहीं पाए. इंसानों ने अपने फायदे के लिए समय समय पर प्रकृति को बुरी तरह प्रताड़ित और बेआबरू किया है. अब भी इंसान वैसा ही करते हैं. न जाने कितनी ही नदियों को पानी के लिए तरसाया गया है और न जाने कितने ही पर्वतों के सीने चीरकर हमने अपनी छाती गर्व से चौड़ी की है.
जब भी इंसानों का जी शहरों से भर जाता है, वे गांव का रूख कर देते हैं. जो गांव का रूख नहीं कर सकते वे प्रकृति की गोद में चैन की सांस लेने जाते हैं. गौरतलब है कि यही इंसान प्रकृति की ऐसी-तैसी करने में लगे रहते हैं. जो लोग विदेशों का रूख करते हैं, उन्हें पहले अपने देश की ओर चलना चाहिए. भारत की जैवविवधता, आबोहवा बाहर से आने वालों के लिए उम्र भर की सुखद याद बन कर रह जाती है. इतिहास गवाह है कि जब पूरा विश्व पश्चिम का रूख कर रहा था, तब पश्चिम ने भी भारत का रूख किया था.
पहाड़ों की चोटियों से जब पानी तेजी से गिरता है, उस एहसास को शब्दों में बयां कर पाना आसान नहीं है. झरने या जलप्रपातों से गिरता स्वच्छ, पारदर्शी जल, मन में गुदगुदी कर जाता है. आज बात करते हैं, देश के कुछ विशाल और खूबसूरत झरनों के बारे में.
यूं तो झरने बारहों महीने बहते हैं, पर कुछ झरने गर्मियों में सुख जाते हैं. पर बरसात के मौसम में झरनों की खूबसूरती देखते ही बनती है.