जब भी हम किसी पुरानी रचना को देखते हैं तो हमारे मन में यह प्रश्न जरूर उठता है कि, उस समय बिना किसी आधुनिक तकनीक के इतने विशाल और भव्य इमारत बनाए कैसे जाते थे? महाराष्ट्र के ऐसे ही कुछ समुद्री किलों की कहानी भी रहस्यमय और दिलचस्प है. इनमें से कुछ जर्जर हालत में हैं पर ये अभी भी किसी नई इमारत की तरह मजबूत हैं.

आज की इस आधुनिक दुनिया में भी हम पानी के किसी वाहन के बिना किसी द्वीप या समुद्री तट पर नहीं पहुंच सकते. तो जरा सोचिए, यह पुराने जमाने में कैसे होता होगा? ये समुद्री तट पर बने किले हमे आराम के कुछ क्षण देते हैं जब हम यहां से इसके लोकेशन का नजारा देखते हैं. खैर यह तो स्पष्ट है कि ये किले दुश्मनों को अपने क्षेत्र से दूर रखने के लिए बनाए गये थे.

मुरुद जंजीरा किला

विशाल काले रंग की यह रचना तट पर बसे मुदूर गांव में देखी जा सकती है. राजपुर के घाट से नौका की सवारी आपको भारत की सबसे मजबूत समुद्री किले की ओर ले जाएगी. मुरुद जंजीरा किला निजामशाही राजवंश की रचना है, जिन्होंने कभी अपने दुश्मनों को इससे अंदर आने नहीं दिया. बड़े-बड़े तोप, प्राकृतिक झीलें, ध्वस्त महल आदि इस किले के अंदर आपको देखने को मिल जाएंगे. मुरुद जंजीरा की अपनी अलग ही शान है.

अलीबाग किला

अलीबाग का किला उन स्थानों में से एक है जिसे छत्रपति शिवाजी ने कोंकण तट को अधिग्रहित करने के लिया चुना था. इस छोटे से समुद्री किले ने अंग्रेजों से लड़ाई के वक्त बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अलीबाग जिसे कोलाबा किले के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुत ही प्रसिद्ध स्मारक है जो पर्यटकों के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय है.

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