अगर आप उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहर को करीब से देखना चाहती हैं तो बुंदेलखंड में पर्यटन का आनंद मॉनसून में लें. बरसात में बुंदेलखंड का सौंदर्य और भी निखर उठता है. बरसात में यहां की नदियां पानी से भर जाती हैं और नदीयों में उठती लहरें बहुत खूबसूरत लगती हैं.

बरसात के दिनों में झांसी का किला, महोबा की वीर भूमि, चित्रकूट, कालिंजर किला, देवगढ़ और बरुवासागर घूमने के लिए अच्छी जगहें हैं.

झांसी का किला

मौनसून पर्यटन की शुरुआत झांसी से ही करें. रानी लक्ष्मीबाई का किला इस शहर की सब से खास घूमने वाली जगह है. 1857 में आजादी की लड़ाई में अंगरेजों ने जिस किले पर गोले बरसाए थे वह आज भी वैसा का वैसा खड़ा है. बंगरा कीपहाड़ियों पर बना यह किला 1610 में राजा वीर सिंह जूदेव द्वारा बनवाया गया था. 18वीं शताब्दी में झांसी और उस के किले पर मराठों का अधिकार हो गया था. मराठों के अंतिम शासक गंगाधर राव थे, जिनकी 1853 में मृत्यु हो गई थी. इस के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने शासन की बागडोर संभाली.

झांसी का किला अपनी अद्भुत कला के लिए जाना जाता है. इस किले में ‘कड़क बिजली’ और ‘भवानी शंकर’ नामक 2 तोपें आज भी रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का बखान करती नजर आती हैं.

कालिंजर का किला

झांसी के बाद कालिंजर का किला इतिहास की झलक दिखाता है. यह उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बना है. चंदेल शासकों के द्वारा बनवाया गए इस किले मुगलों को हमेशा चुनौती दी. बड़ी मुश्किल से अकबर ने इसे जीतने में कामयाबी पाई थी. जीत के बाद अकबर ने इसे बीरबल को दे दिया था. उन के बाद यह किला राजा छत्रसाल के अधीन हो गया. यह किला चारों ओर से ऊंची दीवारों से घिरा था.

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