पूर्वोत्तर राज्यों में कुदरती खूबसूरती सौगात बन कर बरसती है. यहां आ कर एक नए भारत के दर्शन होते हैं. आदिवासी जीवन, नृत्यसंगीत, लोककलाएं व परंपराओं से रूबरू होने के साथसाथ प्राकृतिक सुंदरता और सरल जीवनशैली भी यहां के खास आकर्षण हैं.

पूर्वोत्तर राज्यों की  खूबसूरती का जवाब नहीं. यहां के घने जंगल, हरेभरे मैदान, पर्वत शृंखलाएं सैलानियों को बहुत लुभाते हैं. सरल स्वभाव के पूर्वोत्तरवासी अपनी परंपराएं और संस्कृति आज भी कायम रखे हुए है. यहां आ कर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं. यहां के हर राज्य का अपना नृत्य व अपना संगीत है.

गुवाहाटी

गुवाहाटी असम का प्रमुख व्यापार केंद्र है. गुवाहाटी उत्तरपूर्व सीमांत रेलवे का मुख्यालय है. सड़क मार्ग से भी यह आसपास के राज्यों के अनेक शहरों शिलौंग, तेजपुर, सिलचर, अगरतला, डिब्रूगढ़, इंफाल आदि से जुड़ा हुआ है. यही कारण है यह पूर्वोत्तर का गेटवे कहलाता है.

असम

यहां का सब से बड़ा आकर्षण कांजीरंगा नैशनल पार्क है. गैंडे, बाघ, बारहसिंगा, बाइसन, वनविलाव, हिरण, सुनहरा लंगूर, जंगली भैंस, गौर और रंगबिरंगे पक्षी इस नैशनल पार्क के आकर्षण हैं. बल्कि बर्ड वाचर्स के लिए तो कांजीरंगा बर्ड्स पैराडाइज है. पार्क में हर तरफ घने पेड़ों के अलावा एक खास किस्म की घास, जो हाथी घास कहलाती है, भी देखने को मिलती है. इस घास की खासीयत यह है कि इस की ऊंचाई आम पेड़ जितनी है. यहां की घास इतनी लंबी है कि इन के बीच हाथी भी छिप जाएं. इसी कारण यह घास हाथी घास कहलाती है. कांजीरंगा ऐलीफैंट सफारी के लिए ही अधिक जाना जाता है. यहां हर साल फरवरी में हाथी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस महोत्सव का मकसद सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में पाए जाने वाले एशियाई हाथियों का संरक्षण और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना भी है.

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