मैं अपने परिवार के साथ अपनी कार से राजस्थान यात्रा पर गया था. लगभग तीनचौथाई राजस्थान की यात्रा कर के घर लौटा. यात्रा के दौरान ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरा राजस्थान अपने गौरवशाली अतीत की ऐतिहासिक गाथाओं, वैभवशाली महलों, ऐतिहासिक किलों के साथ ही अपनी आकर्षक लोककला, संगीत, नृत्य एवं रोचक आश्चर्यजनक रीतिरिवाजों तथा संस्कृति से पर्यटकोंको लुभाता है.
इस के साथ ही राजस्थान पर्यटन विभाग, होटल, रैस्टोरैंट एवं पर्यटकों की पसंद की सामग्री के व्यवसायी तथा पर्यटन से जुड़े लोग गाइड आदि भी पर्यटकों विशेषतौर पर विदेशी पर्यटकों को रिझाने में पूरी तरह से जागरूक हैं. राजस्थान में विदेशी पर्यटक भी बड़ी तादाद में आते हैं.
हम लोगों ने राजस्थान में प्रवेश सवाई माधोपुर से किया. सवाई माधोपुर में प्रवेश करते ही रेगीस्तान का जहाज ऊंट हमें दिखाई देने लगे. विचित्र बात यह थी कि ऊंट के बालों की कटिंग इस तरह की गई थी कि उन के पीठ एवं पेट पर जलते दिए एवं अन्य कलाकृतियां उभर आई थीं. पहले तो हमें लगा कि संभवत: काले पेंट से ये कलाकृतियां बनाई गई हैं, लेकिन पूछने पर पता चला कि ये कलाकृतियां ऊंट के बालों को काट कर बनाई गई हैं. ऊंट तो हम ने पहले भी देखे थे, लेकिन यह ऊंट पेंटिंग पहली बार देखी.
आकर्षण का केंद्र
रणथंभौर किले के पास पहुंचतेपहुंचते राजस्थान लोकसंस्कृति, ढांणी (राजस्थायनी ग्राम) की जीवनशैली आदि को उजागर करते तथा किले के आकार के होटल एवं रैस्टोरैंट नजर आए जोकि यकीनन पर्यटकों को लुभाने के लिए ही बने हैं. रणथंभौर किला एवं रिजर्व फौरैस्ट पर्यटन, जंगल सफारी हेतु हरे रंग से रंगी खुली छत वाले वाहन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे जबकि रणथंभौर किले तक जाने वाली सड़क बेहद खस्ता हालत में थी. यह जंगल के असली लुक के मद्देनजर था या फिर सवाई माधोपुर के फौरैस्ट डिपार्टमैंट की लापरवाही की वजह से समझ नहीं पाए.
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