यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने को ट्रैवल सिकनैस भी कहते हैं. यह बहुत अनियमित स्थिति होती है, जो पूरी तरह तोड़ देती है. सफर में होने वाली यह पीड़ा किसी को भी हो सकती है, हालांकि महिलाओं और 3 से 12 साल तक के बच्चों को यह परेशानी ज्यादा प्रभावित करती है.
ट्रैवल सिकनैस कान के अंदरूनी हिस्से को बेचैन कर देने वाला प्रभाव है, जो बारबार होने वाली गतिविधियों जैसे समुद्र की लहरों, औटो की आवाज, हवाईजहाज के चलने आदि के कारण होता है. कानों के अंदरूनी भाग उन चीजों के विविध इशारों को महसूस करते हैं, जिन्हें आप की आंखें देखती हैं और फिर वे दिमाग को संदेश भेजते हैं और परेशानी उत्पन्न करते हैं.
ट्रैवल सिकनैस के लक्षण: उबकाई आना, त्वचा का पीला पड़ना, पसीना आना, उलटियां आना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, थकान महसूस करना आदि.
ट्रैवल सिकनैस के कारण: यात्रा के दौरान होने वाली इस परेशानी का सब से बड़ा कारण यह है कि यह न्यूरोटौक्सिन के विरुद्ध मानसिक सुरक्षा के रूप में उत्पन्न होता है. आप का शरीर जिस गति में होता है, उस की पहचान आप का दिमाग संवेदी सिस्टम के 3 अलग अलग हिस्सों- कानों के अंदरूनी भागों, आंखों और शरीर के गहरे ऊतकों से करता है. उदाहरण के लिए अगर आंखें दिमाग को बताती हैं कि व्यक्ति ठहरा हुआ है जबकि वैस्टिबुलर फ्रेमवर्क में सिर की गतिविधियों का पता चलता है तो यह दिमाग को संदेश दे कर चकरा देता है और यात्रा के दौरान होने वाली परेशानी का संकेत देता है. कानों के अंदरूनी भागों द्वारा गतिविधियों की पहचान नहीं किए जाने के बिना यात्रा के दौरान होने वाली पीड़ा नहीं होती है, जिस से पता चलता है कि यात्रा में होने वाले कष्ट के बढ़ने के लिए कानों के अंदरूनी भाग मूल भूमिका निभाते हैं.