लिथुआनिया का खूबसूरत टाउन विल्नुस प्राचीन विरासतों के साथ आधुनिकता में भी पीछे नहीं है. विल्नुस शहर की नींव रखने वाले गैडीमिनास के नाम पर बना यह टाउन बेहद आकर्षक पर्यटन स्थल है, सैलानी यहां आ कर भावविभोर हो जाते हैं.
लिथुआनिया में जहांजहां भवननिर्माण हैं वे इलाके भी घने, ऊंचे पेड़ों से घिरे हुए हैं ताकि प्राकृतिक वातावरण बना रहे. एक दौर में प्रैसिडैंशियल पैलेस रह चुका यह शाही ठिकाना अब खूबसूरत म्यूजियम में तबदील हो चुका है.
यहां पर 7 से 10 यूरो प्रतिदिन के हिसाब से होटल उपलब्ध होते हैं जो सस्ते होने के साथसाथ साफसुथरे भी होते हैं. यहां बंकबैड वाले कमरे होते हैं जिन में एक बड़े से कमरे में एकसाथ 7-8 लोगों के रहने का इंतजाम होता है. इन में एक किचन और 2-3 बाथरूम की सुविधा होती है. यहां ठहरने वाले लोग किचन में अपना सामान ले कर खुद खाना बना सकते हैं. इन की बुकिंग पर्यटक यहां आने से पहले औनलाइन भी करा सकते हैं. हम भी यहां पहले से बुक किए गए होटल में रुके और 2 दिन विल्नुस शहर के मुख्य दर्शनीय स्थलों को देखने का आनंद उठाया.
विल्नुस के दर्शनीय स्थल
ओल्ड टाउन : विल्नुस के ओल्ड टाउन का वास्तुशिल्प और म्यूजियम देखने लायक है. यहां लिथुआनियन ज्यूयिश के इतिहास के चिह्न देखे जा सकते हैं, जो यहां आने वालों को 14वीं
शताब्दी की याद दिलाते हैं. यूनेस्को ने तो इस टाउन को विल्नुस शहर के हृदयस्थल की संज्ञा दे कर इस का महत्त्व और भी बढ़ा दिया है. यह टाउन छोटा लेकिन भीड़भाड़ रहित है. पर्यटक यहां एक ओर प्राचीन शिल्पनिर्माण देख कर हैरान होते हैं तो दूसरी ओर लिथुआनियन खाने का मजा लेने से नहीं चूकते.
सैंट एनीस चर्च : विल्नुस के इस चर्च की खूबसूरती और शिल्पनिर्माण से प्रभावित हो कर नैपोलियन ने कहा था कि ‘यदि संभव होता तो मैं इसे अपनी हथेली पर उठा कर अपने साथ पैरिस अवश्य ले जाता.’
सैंट्स पीटर ऐंड पौल चर्च : बाहर से प्राचीन व सामान्य दिखने वाले इस चर्च के भीतरी भाग में अद्भुत शिल्पनिर्माण है. पर्यटक यहां आ कर भावविभोर हो जाते हैं.
केजीबी म्यूजियम : मशहूर केजीबी म्यूजियम में वे सेल हैं जहां कम्यूनिज्म के शत्रु समझे जाने वालों पर बेहद अमानवीय अत्याचार किए जाते थे. यहां दिल दहला देने वाला सन्नाटा पर्यटकों को मासूम लोगों के सिरों को आरपार करती गोलियों की आवाज के साथ उन की चीखों का क्षणभर के लिए मानव का मानव के प्रति कू्ररता का आभास जरूर करवाता है, जिसे यहां फोटो प्रदर्शनी, उस समय इस्तेमाल की गई गोलियां, गोलाबारूद, हथियारों व इस्तेमाल किए गए अन्य सामान द्वारा प्रदर्शित किया गया है.
गैदीमिनास टावर : विल्नुस शहर की सुंदरता को पर्यटक गैदीमिनास टावर से निहार सकते हैं. वास्तव में लिथुआनिया के इतिहास में ग्रैंड ड्यूक गैदीमिनास एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति था जिस ने विल्नुस शहर की नींव रखी थी और इस टावर को बनाया था. इस टावर पर पर्यटक पैदल और एलिवेटर से भी जा सकते हैं.
गेट औफ डौन : विल्नुस शहर की सुरक्षा हेतु 16वीं शताब्दी में बनाई गई दीवार के शुरू में 9 दरवाजे हुआ करते थे. इस का वास्तुशिल्प देखते ही बनता है.
मनी म्यूजियम : चूंकि यह देश जनवरी 2015 से यूरोपीय यूनियन का सदस्य बन चुका है और अब यहां की करैंसी यूरो है, इसलिए इस म्यूजियम में जनवरी 2015 से पहले प्रचलित लिथुआनियन करैंसी लीटास के अलावा विश्व की कई प्रसिद्ध करैंसियों को सहेज कर रखा गया है. प्राचीनकाल में प्रचलित सोनेचांदी के सिक्कों व अन्य कई कीमती धातुओं के सिक्कों को भी प्रदर्शन के लिए रखा गया है.
इस के अतिरिक्त 13वीं सदी की याद दिलाता विल्नुस कैथेडरल, बरनारडाइन चर्च और चर्च औफ होली स्प्रिट जैसे स्थल भी देखने योग्य हैं. विल्नुस में रुकने के बाद हम लिथुआनिया के दूसरे सब से बड़े शहर कौनस, जो हमारा गंतव्य स्थान भी था, की ओर रवाना हो गए.
लिथुआनियन शीतोष्ण जलवायु वाला देश है, सो, यहां भरपूर वर्षा होती है. परिणामस्वरूप यहां हर जगह हरियाली ही हरियाली नजर आती है. जंगलों को यहां सहेज कर रखा गया है. जहां भी भवननिर्माण है वह जगह ऊंचेऊंचे, घने, जंगली पेड़ों से घिरी हुई है. ऐसा लगता है मानो जंगलों के बीच भवनों का निर्माण किया गया है.
घने जंगलों के बीच बने घरों में रहने वाले लोगों को स्वच्छ वायु तो मिलती ही है, उन्हें प्रकृति का सान्निध्य भी मिलता है. यहां घने जंगली पेड़ों के बीचोंबीच कुछकुछ दूरी पर बैंच लगाई गई हैं जो इन को पार्कनुमा बना देती हैं.
खुले मैदानों में जंगली घास और फूल अपनेआप हर वर्ष उगते रहते हैं जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं. यही घास जब बड़ी हो जाती है तो उसे मशीनों से काट दिया जाता है. सड़कों के किनारे सेब, चैरी, नाशपाती इत्यादि फलों के पेड़ दिखाई देते हैं.
लिथुआनिया में कहीं भी भारत जैसी भीड़भाड़ देखने को नहीं मिलती. इस देश की कुल आबादी 30 लाख है. यहां सभी सरकारी बसें बिजली चालित हैं. बसों का टाइमटेबल हर बसस्टैंड पर लगा होता है और बसें टाइम से स्टैंड पर पहुंच जाती हैं. देश पूरी तरह से साफसुथरा व सुव्यवस्थित है. यहां पुलिस हर समय चौकन्नी रहती है. निजी वाहन सिर्फ पार्किंगप्लेस पर ही खड़े किए जाने अनिवार्य होते हैं. पार्किंग के लिए किराया चार्ज करने के लिए आटोमैटिक मशीनें लगी हुई हैं.
किसी भी किस्म की असुविधा होने पर पुलिस को फोन करने पर पुलिस तुरंत कार्यवाही करती है और इस के लिए पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता से उस की न तो कोई व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है और न ही पुलिस उस से किसी प्रकार की पूछताछ करती है.
शहरों में तो लोग देखने को मिल भी जाते हैं, लेकिन गांवों में तो आंखें मनुष्यों को देखने को तरस जाती हैं. बस, दिखाई देते हैं तो सिर्फ खेत ही खेत. गांवों के घर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. फलदार पेड़ों से घिरे हर घर में अपना छोटा तालाब और वर्षा के पानी को सुरक्षित रखने के लिए हौद जरूर बनाए हुए हैं.
ऐतिहासिक प्रैसिडैंशियल पैलेस : कौनस के ओल्ड टाउन में ऐतिहासिक प्रैसिडैंशियल पैलेस पर्यटकों को अकर्षित करता है. इस भवन का निर्माण 1860 में किया गया था. वर्ष 1920 में विल्नुस जब आंतरिक युद्ध से जूझ रहा था तब सरकारी कामकाज चलाने के लिए राजधानी को कौनस में स्थानांतरित कर, राष्ट्रपति को यह महल आवंटित किया गया था. आजकल इस महल को आर्ट औफ म्यूजियम में तबदील कर दिया गया है. यहां तत्कालीन राष्ट्रपति के दस्तावेज, सिक्के, स्टैप, निजी जरूरत के दैनिक सामान इत्यादि रखा गया है. इस के अतिरिक्त फोटो प्रदर्शनी द्वारा उस दौर का इतिहास दर्शाया गया है.
सैरामिक्स म्यूजियम : कौनस टाउन हौल के बेसमैंट में स्थित प्रसिद्ध सैरामिक्स म्यूजियम है. पर्यटकों को यहां प्राचीनकाल में प्रयोग में लाए जाने वाले मिट्टी के बरतनों के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है.
ओपन एयर म्यूजियम : लिथुआनिया की 4 मुख्य संस्कृतियों को दर्शाता यह अपनी तरह का अद्भुत म्यूजियम है. यह एक खुले बड़े मैदान में बनाया गया है. यहां लिथुआनिया के पुराने घरों के निर्माण, उन में रहने वाले लोगों की आदतों और उन के रहनसहन के बारे में दर्शाया गया है. यहां प्राचीनकाल के औजारों, खिलौनों, बरतनों को भी रखा गया है.
डैविल म्यूजियम : इस म्यूजियम में अलगअलग प्रकार के शैतानों की मूर्तियां रखी हुई हैं और लिथुआनिया के पौराणिक इतिहास को भी दिखाया गया है.
चिडि़याघर : पूरे लिथुआनिया में सिर्फ इसी शहर में चिडि़याघर है. इसलिए छुट्टी वाले दिन यहां खासी भीड़ रहती है. यह सैंटर सिटी में स्थित है. यहां देशविदेशों से लाए गए हर प्रकार के पशुपक्षी, समुद्री जीवजंतु हैं. यहां शेर, जिराफ, गैंडा, ऊंट, भालू, जैबरा, बंदर इत्यादि बहुत से बड़बड़े जानवरों से ले कर छोटे से छोटे समुद्री जीवों को मिला कर लगभग 2,900 प्रजातियां हैं. यहां भारतीय तोते और मोर भी हैं.
भारतीय मोर के साथ जब यहां के सफेद मोर भी काली घटाओं को देख कर नाचने लगते हैं, तो अनायास ही दर्शक अपनेअपने कैमरे में इन तसवीरों को लेना नहीं भूलते.
ऐडवैंचर पार्क : यहां वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह सुरक्षित बाधाएं बनाई गई हैं. ये बाधाएं पेड़ों को एकदूसरे से स्टील के मोटेमोटे तारों से बांध कर जमीन से कई फुट ऊंची बनाई गई हैं. बाधाएं पार करने से पहले लोगों को सुरक्षा बैल्ट पहना दी जाती है और सुरक्षित हो कर खेल का आनंद लेने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए जाते हैं. यहां आने वाला छोटाबड़ा व्यक्ति इन बाधाओं को पार कर खेल का भरपूर आनंद लेता है.
इस के अतिरिक्त म्यूजियम औफ द हिस्ट्री औफ लिथुआनियन, मैडिसन ऐंड फौर्मेसी, कौनस बोटैनिकल गार्डन, वर्जिन मैरी चर्च, चर्च औफ सैंट फ्रांसिस, जेबियर चर्च और मेकोलस जिलनकास आर्ट म्यूजियम इत्यादि भी पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करते हैं.