आप वन्यजीवों को नजदीक से देखने के शौकीन हैं और जंगल का सन्नाटा आप को रोमांचित करता है तो मध्य प्रदेश आप के इस रोमांच को पूरा कर सकता है. आप यहां वन्यजीवों को करीब से देखने के साथ ही वनों के प्राकृतिक सौंदर्य, चिडि़यों की चहचहाहट, टाइगर की शान के रोमांच को महसूस कर सकते हैं. इस के लिए आप को वहां के करीबी किसी रिजोर्ट या सफारी कैंप में ठहरना होगा.
मध्य प्रदेश में 9 नैशनल पार्कों के अलावा 11 वाइल्ड लाइफ सैंचुरीज हैं जिन्हें एकसाथ घूम पाना संभव नहीं है लेकिन बाघ देखने वाले घुमंतू लोग एक सफारी कौरिडोर बना कर यहां के सब से विशाल और बाघ की अधिकतम संख्या वाले नैशनल पार्कों को देख सकते हैं. आप जबलपुर से शुरू कर के कान्हाकिसली, बांधवगढ़, पन्ना नैशनल पार्क होते हुए खजुराहो, ओरछा जा कर अपना पर्यटन टूर खत्म कर सकते हैं.
शुरुआत करते हैं जबलपुर से जो देश के सभी प्रमुख शहरों से रेलमार्ग और वायुमार्ग से जुड़ा है. जबलपुर से 128 किलोमीटर की दूरी पर कान्हाकिसली राष्ट्रीय उद्यान स्थित है. सागौन के घने जंगलों के बीच से गुजरती सड़क पर से चलने से यह एहसास हो जाता है कि हम जंगल के राजा के आशियाने की तरफ बढ़ रहे हैं.
खूबसूरत कान्हा
940 वर्ग किलोमीटर में फैला सदाबहार साल वनों से घिरा हुआ कान्हा क्षेत्रफल और जानवरों की संख्या के लिहाज से मध्य प्रदेश का सब से बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है. इसे 1955 में बनाया गया था और 1974 में इसे टाइगर प्रोजैक्ट के अधीन ले लिया गया था.
मंडला और बालाघाट जिलों में मैकल पर्वत शृंखलाओं की गोद में बसा कान्हा देश के सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रीय उद्यानों में एक है. कान्हा महज एक पर्यटन केंद्र ही नहीं, बल्कि भारतीय वन्यजीवन के प्रबंधन और संरक्षण की सफलता का प्रतीक भी है. स्वस्थ व फुरतीले जंगली जानवरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर कान्हा में प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक सैलानी घूमने आते हैं.