कुछ समय पहले तक विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना या देशविदेश की यात्राएं अकेले करना केवल पुरुषों के अधिकार क्षेत्र की बात मानी जाती थी, पर आज महिलाओं का अकेले यात्रा करने का ट्रैंड जोर पकड़ रहा है. अधिक से अधिक महिलाएं ऐडवैंचरस स्पोर्ट्स, चाहे वह माउंटेनियरिंग हों, रिवर राफ्टिंग हो या फिर ट्रैकिंग, की ओर उन्मुख हो रही हैं. कामकाजी महिलाओं को अकसर काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ता है. ऐसे में अकेले यात्रा करना उन के लिए कोई वर्जित क्षेत्र नहीं रहा है. ऐसी महिलाएं भी हैं, जो नौकरी नहीं करतीं, पर संपन्न परिवारों की हैं और घूमने की शौकीन हैं. पर किसी कंपनी के न मिलने से वे अपने इस शौक को दबाए रखने को मजबूर होती हैं. एक साथ की तलाश उन्हें यात्रा करने से रोकती है. ऐसी ही महिलाओं की उड़ान को पंख देने के लिए बना ट्रैवल क्लब ‘वाओ’ ‘वूमन औन वैंडरलस्ट’ की जब सुमित्रा सेनापति ने नींव रखी तो उन्हें बहुत ही अच्छा रिस्पौंस मिला.

खुद घूमने की शौकीन व ट्रैवल राइटर सुमित्रा कहती हैं, ‘‘बरसों तक मैं देशविदेश की यात्रा करती रही और उसी दौरान मुझे एहसास हुआ कि ऐसी अनगिनत महिलाएं, जो अकेली हैं या जिन के पति के पास उन्हें घुमाने का समय नहीं है, वे ट्रैवल करने के लिए किसी न किसी कंपनी की तलाश में लगी रहती हैं. तब मैं ने आज से 5 साल पहले इस क्लब को बनाया, जो केवल महिलाओं के लिए ही है. सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो भी यह एक बेहतर विकल्प है. आज ऐडवैंचर ट्रैवल महिलाओं के जीवन का एक हिस्सा बन गया है.’’

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