आभानेरी राजस्थान का एक प्रसिद्ध गांव है, जिसे बावड़ियों का गांव भी कहा जाता है. यहां विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी के साथ कई छोटी-छोटी अन्य बावड़ियां भी हैं. इन बावड़ियों के साथ आभानेरी का हर्षत माता मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. आभानेरी गांव का नाम आभा नगरी(चमकने वाला शहर) था, लेकिन धीरे-धीरे भाषा की तोड़ मरोड़ से इसका नाम आभानेरी पड़ गया.

आभानेरी के ये दोनों ही आकर्षण के केंद्र वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं. प्राचीन काल में वास्तुविदों और नागरिकों द्वारा जल संरक्षण के लिए बनाई गई इस प्रकार की कई बावड़ियां इस क्षेत्र में मौजूद हैं, जिनमें काफी पानी जमा रहता है और जो क्षेत्र के निवासियों के काम आता है. चांद बावड़ी इन सभी बावड़ियों में सबसे बड़ी और लोकप्रिय है.

विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी, चांद बावड़ी

विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी चाँद बावड़ी का निर्माण राजा चांद ने 8वीं या 9वीं शताब्दी में कराया था. इसे ‘अंधेरे उजाले की बावड़ी’ भी कहा जाता है. चांदनी रात में यह बावड़ी एकदम सफेद दिखायी देती है. बावड़ी के तह तक पहुंचने के लिए लगभग 1300 सीढ़ियां बनाई गयीं हैं जो एक अद्भुत कला का उदाहरण है. भुलभुल्लैया जैसी बनी इन सीढ़ियों के बारे में कहा जाता है, कि कोई व्यक्ति जिस सीढ़ी से नीचे उतरता है वह वापस कभी उसी सीढ़ी से ऊपर नहीं आ पाता है. यह वर्गाकार बावड़ी चारों ओर स्तंभयुक्त बरामदों से घिरी हुई है.

इस बावड़ी में एक सुंरगनूमा गुफा भी है जो 17 किलोमीटर लंबी है. यह गुफा पास ही स्थित भंडारेज गांव में निकलती है. कहा जाता है कि कई सालों पहले एक बारात इस गुफा के अंदर गयी जो दोबारा कभी वापस नहीं लौटी. कथानुसार कहा जाता है कि इस बावड़ी और इसके पास ही कुछ अन्य बावड़ियों को एक रात में ही बना कर तैयार किया गया था.

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