प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर भूटान अपनी संस्कृति और परंपराओं को संजो कर रखे हुए है. वहां के रहनसहन, पर्यटन स्थलों और खानपान का लुत्फ उठा कर पर्यटकों का दिल खुश हो जाता है.
दुनिया में ऐसे देश हो सकते हैं जहां रेलगाड़ियां नहीं दौड़तीं मगर शायद ही ऐसा कोई देश होगा जिस की सड़कों पर एक से बढ़ कर एक लग्जरी कारें दौड़ती हैं, वह भी बिना ट्रैफिक सिग्नल के. भारत के पूर्वोत्तर में बसे नन्हे, हिमालयी देश भूटान में ऐसी कई रोचक चीजें देखी जा सकती हैं. यहां की सड़कों पर दोपहिया वाहन दिखना दुर्लभ है.
यहां फैशन और स्टाइल है और परंपराओं का भी उतनी ही शिद्दत से पालन होता है. स्कूली बच्ची से ले कर बुजुर्ग महिला तक पारंपरिक ड्रैस ‘कीरा’ मे टहलती है तो खूबसूरत, रेशमी बालों को फैशनेबल अंदाज में बिखरा कर चलती युवती भी भूटान की इस पारंपरिक ड्रैस में बेहद सहज दिखाई देती है. युवकों के बालों के स्टाइल आकर्षक हैं, लेकिन वे भी पारंपरिक पोशाक ‘घो’ (जो बाथरोब की तरह लगता है) में ज्यादातर दिखते हैं. सचमुच 15वीं और 21वीं सदी यहां एकसाथ कदमताल करती दिखती हैं.
इस देश ने बहुत धीमी मगर संभली हुई रफ्तार से आधुनिकता को अपनाया है. इंटरनैट, मोबाइल, टैलीविजन सरीखे आधुनिक बोध के साधनों को जैसे भूटान के हिमालयी शिखरों ने लंबे समय तक यहां दाखिल नहीं होने दिया.
भूटान की राजमाता आशी दोरजी वांग्मो वांग्चुक कहती हैं कि भूटान ने अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रखने की खातिर खुद पर अंकुश लगाए रखा. अलबत्ता, पिछले एक दशक में देश ने करवट लेनी सीखी है और धीरेधीरे ही सही मगर बदलाव की बयार राजधानी थिंपू समेत अन्य जगहों पर महसूस की जा रही है. लेकिन यहां के जीवन को देख कर लगता है कि भूटानी समाज अपनी परंपराओं को आज भी जकड़े हुए है.