कनाडा के एल्बर्टा प्रदेश की राजधानी एडमन्टन के दक्षिणपूर्व की ओर 300 किलोमीटर की दूरी पर ड्रमहैलर नामक एक प्रसिद्ध स्थान है. कनाडा के बैडलैंड इलाके में वर्ष 1913 में एक बहुत छोटे गांव के रूप में बसने के बाद इसे वहीं के एक व्यक्ति सैमुअल ड्रमहैलर के नाम से जाना जाने लगा. उसी समय इस गांव के समीप कोयले का विशाल भंडार पाए जाने से वह स्थान कनाडा के सब से तेजी से विकसित स्थान में परिवर्तित हो गया.
केवल 17 वर्षों के अल्पकाल में वर्ष 1930 तक यह गांव पूरे पश्चिमी संसार का सब से तेजी से विकसित हो कर एक अत्यंत सुंदर शहर में परिवर्तित होने वाला केवल कनाडा का ही नहीं, बल्कि विश्व का एक ज्वलंत उदाहरण बन गया. दरअसल, जैसे ही कोयला भंडार पाए जाने की खबर कनाडा के साथ अमेरिका तथा यूरोप में पहुंची, वहां उथलपुथल सी मच गई, विशेषकर उन देशों की कोलमाइंस की कंपनियों में. एल्बर्टा प्रदेश बेहद ठंडा होने के कारण कोयला वहां के घरों को गरम रखने तथा भोजन आदि बनाने के लिए एक प्राकृतिक देन थी. कोल भंडार की विशालता को देखते हुए तमाम देशों से आ कर 139 माइंस कंपनियां रजिस्टर्ड हो गईं और सभी ने कार्य प्रारंभ कर दिया.
हजारों की संख्या में यूरोप, अमेरिका आदि से इन कंपनियों में काम करने वाले ड्रमहैलर पहुंच गए. उन के रहने के लिए बहुत से मकान आदि बनाए जाने लगे. इधर अच्छी बात यह हुई कि उस स्थान से निकलने वाला कोयला, मकानों में जलाने के दृष्टिकोण से बहुत उत्तम क्वालिटी का था. कनाडा सरकार ने बिना समय नष्ट किए ड्रमहैलर से, समीप के पूर्ण विकसित शहर कैलगरी तक 1913 में ही रेल लाइन बिछा दी ताकि कोयला ढोने तथा वितरण में आसानी हो जाए.