फतेहपुर सीकरी परिसर में दाखिल होने के बाद आप नि:संदेह मुगलिया सल्तनत के वैभव, ताकत और सांस्कृतिक शैलियों से प्रभावित हो सकते हैं. पूरा परिसर राजस्थान से लाए गए लाल पत्थरों से बनाया गया हैं. फतेहपुर सीकरी का सीधा संबंध सम्राट अकबर से था, जिन्होंने भारतीय इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी. ताजमहल के करीब होने के कारण यह जगह लंबे समय तक उपेक्षित सरीखी भी रही. इसे 1986 में वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया था.

फतेहपुर सीकरी कई सवाल भी लिए हुए है, जो यहां आने वाले सैलानियों की जुबां पर स्वाभाविक तौर पर आते हैं- शहर क्यों बसाया गया? महज 14 सालों बाद यह वीरान क्यों हो गया? इस शहर का पराभव क्या इसलिए हो गया, क्योंकि यहां पानी नहीं था?

बाबर सन् 1527 में खानवा के युद्ध को फतह करने के बाद यहां आए. उसने अपने संस्मरण में इस जगह को सीकरी कहा. बाद में बादशाह अकबर संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. रास्ते में सीकरी पड़ा. वहां अकबर की मुलाकात सूफी फकीर शेख सलीम चिश्ती से हुई. फकीर ने अकबर से कहा बच्चा तू हमारा इंतजाम कर दे, तेरी मुराद पूरी होगी. कुछ समय बाद अकबर की हिंदू बेगम जोधाबाई गर्भवती हो गईं.

अकबर ने तय कर लिया था कि जहां बालक पैदा हुआ वहां एक सुंदर नगर बसाएंगे, जिसका नाम था फतेहबाद जिसे आज हम फतेहपुर सीकरी के नाम से जानते हैं. यह सही मायनों में मुगल शासनकाल की पहली योजनाबद्ध तरीके से बसाई गई स्मार्ट सिटी थी. यह सड़क मार्ग से दिल्ली और आगरा से जुड़ा हुआ है. हजारों सैलानी यहां रोज आते हैं.

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