सर्दियों की छुट्टियां शुरू होने ही वाली हैं. अगर आप किसी हिल स्टेशन के नजारों का लुत्फ उठाने की सोच रही हैं तो लंढौर एक अच्छा ऑपशन है. मसूरी के पास यह छोटा-सा पर्यटन स्थल है, जो अपनी खूबसूरती के कारण टूरिस्ट को आकर्षित करता है.

कहां घूमें?

मसूरी के नजदीकी पहाड़ों पर बसा छोटा-सा पुराना कस्बा है लंढौर. गोरखा युद्ध के बाद यहां ब्रिटिश सरकार का कब्जा था. लंढौर का नाम भी वेल्स स्थित ब्रिटिश सिटी लेंडौवरोर पर ही पड़ा.

ज्यादातर टूरिस्ट लंढौर का आनन्द डे-ट्रिप के तौर पर ही उठाते हैं. होटलों की कमी के कारण यहां ज्यादा टूरिस्ट नहीं रुकते. ‘रॉकवे मेनर’ ब्रिटिश कॉटेज के लिए फेमस है. बाकी छोटे-छोटे गेस्ट हाउस ही हैं, इसलिए मसूरी में रहना बेहतर विकल्प है. मसूरी से सुबह-सवेरे लंढौर की सैर पर निकला जा सकता है.

खास है चार दुकान इलाका

1897 से लंढौर बाजार मसूरी का मुख्य बाजार है. मसूरी से लंढौर बाजार के रास्ते ही लाल टिब्बा तक पहुंचते हैं. यहां की कुछ दुकानें तो सौ साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. यहां के चांदी के गहनों की कलात्मकता के किस्से दूर दूर तक मशहूर हैं.

पिकनिक स्पॉट ‘चार दुकान’ भी यहां से पास ही है. यहां से लंढौर का पोस्ट ऑफिस भी पास ही है, जो 100 साल से भी ज्यादा पुराना है.

लंढौर जाकर कैफे एवी भी जरूर ट्राई करें. यह चार दुकान इलाके में ही है. इस कैफे से पहाड़ों के बेहद खूबसूरत नजारें दिखते हैं. देवदार के दरख्तों की कतारें दिलकश लगती हैं.

अंग्रेजी के वर्ल्ड फेमस लेखक रस्किन बॉन्ड का घर भी लंढौर में ही है. उनके घर के पास ‘डोमाज इन’ है.

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