भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों की प्राकृतिक सुंदरता के कारण दुनियाभर में अलग ही पहचान है. यहां के राज्यों की कला और हस्तशिल्प की भव्यता ही अलग है. यहां के त्यौहार भी यहां के लोगों के प्रकृति प्रेम को दर्शाते हैं. अरुणाचल प्रदेश के प्राचीन शहरों में से एक है जाइरो. यह समुद्र तल से 5754 फीट (1,780 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. अपनी खूबसूरती की वजह से ही यह शहर यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल है.
जाइरो एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो पाइन के पेड़ों से भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है. पूरे क्षेत्र में फैले घने जंगल ही आदिवासी लोगों के घर हैं. यह क्षेत्र अपनी धान की खेतों की वजह से भी काफी फेमस है. जाइरो पेड़-पौधों और जन्तुओं के मामले में काफी धनी है.
जाइरो के लोग प्रकृति को भगवान की तरह पूजते हैं और खुद को प्रकृति से जोड़कर देखते हैं. वहां के लोग खेतों के अलावा हस्तशिल्प तथा हैन्डलूम उत्पादों को बनाकर अपना जीवनयापन करते हैं.
जाइरो के पर्यटक स्थल
जीरो पूटु
इसे आर्मी पूटु के नाम से भी जाना जाता है. आजादी के बाद यहां पर अरुणाचल प्रदेश के पहले प्रशासनिक केन्द्र की स्थापना की गई थी. इसके बाद छठे दशक में यहां पर सेना के कैम्प का निर्माण किया गया.
डोलो मांडो
हपोली से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोलो-मांडो डोलो और मांडो के प्रेम-संबंध के लिए प्रसिद्ध है. यहां से जाइरो और हपोली शहर के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं.
तारीन मछली फार्म
पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगहों में से एक 'मछली फार्म' हपोली से 3.5 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह बहुत ही खूबसूरत जगह है. यहां आने वाले पर्यटक अनेक प्रजातियों की खूबसूरत मछिलयों को देख सकते हैं.