दोस्तों ऐसा कौन होगा जिसे फूल पसंद न हो? फूल प्रकृति मां का एक ऐसा तोहफा है जो चुटकियों में आपका मूड फ्रेश कर देता है. आप कितने ही गुस्से में हों फूल देख कर आपके चेहरे पर मुस्कान आ ही जाएगी. यह मेरे अलावा वैज्ञानिक अनुसन्धान भी कहते हैं.
एक शोध के अनुसार जो लोग फूल पाते हैं या फिर फूलों के सानिध्य में रहते हैं उनमें तनाव का स्तर लगातार घटता जाता है. वह ज़्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं. फूल हमारे इमोशन्स के लिए हीलर का काम करते हैं. स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू जर्सी में हुए एक शोध से यह जानकारियां मिली.
फूल हमारी भावनाओं को प्रकट करने के लिए सबसे सशक्त मध्याम हैं. यह हमारे सभी प्रकार के भावों को अपने अलग अलग रंगों से बड़े ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं. खुशी, उल्लास, भक्ति, प्रेम, समर्पण, शोक जैसे सभी अवसरों पर हम अलग अलग प्रकार के फूलों का प्रयोग करते हैं.
और फिर बात अगर हो ट्यूलिप्स की तो कहने ही क्या हैं. हिमालय से निकल लम्बी यात्रा कर ट्यूलिप नीदरलैंड का राष्ट्रीय पुष्प ट्यूलिप ऐसे ही नहीं बन गया. और जिन देशों से होकर यह यूरोप पहुंचा, ट्यूलिप उनकी सभ्यता का भी अभिन्न अंग बना.
मुझे ट्यूलिप बहुत पसंद हैं, शायद इसलिए जब भी बसंत ऋतु आती है मेरा यायावर मन ट्यूलिप फ्लावर्स की खोज मे निकल पड़ता है. शायद मेरे भीतर भी कहीं एक “फ्लॉवर हंटर”की आत्मा छुपी हुई है. पिछली साल इन दिनों मैं ट्यूलिप देखने दुनिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन क्यूकेन्होफ पहुंच गई थी. क्यूकेन्होफ गार्डेन यूरोप के हॉलैंड में स्थित है.
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