चीन सिर्फ दुनियाभर में इलैक्ट्रौनिक सामान के लिए ही नहीं बल्कि पर्यटन के शानदार ठिकानों के लिए भी मशहूर है. चाहे वह बीजिंग हो या फिर शंघाई, यहां के अद्भुत नजारों को देख कर आप का मन गद्गद हो उठेगा.

बीजिंग

चीन की राजधानी होने के साथ बीजिंग ऐसा शहर है जहां विश्व के 7 अजूबों में ‘चीन की दीवार’ यानी ग्रेट वाल औफ चाइना तो देखी ही जा सकती है. कई प्राचीन राजाओं व राजवंशों की ऐतिहासिक इमारतें, किले व स्मारक भी देखे जा सकते हैं. चीन की भव्य प्राचीन सभ्यता, चाहे वह किसी भी राजवंश युआन, मिंग या किंग राजवंश से जुड़ी हो, यहां की भव्य ऐतिहासिक इमारतों में देखी जा सकती है.

बीजिंग में विश्व का सब से बड़ा केंद्रीय स्क्वायर है. यहां विश्व के अन्य बड़े महानगरों की भांति बहुमंजिली इमारतें, फैशनेबल लोग, भारी ट्रैफिक, बडे़बड़े शौपिंग मौल व व्यापारिक प्रतिष्ठान भी हैं. दर्शनीय स्थलों में मुख्य रूप से सभी स्थल प्राचीन व ऐतिहासिक ही हैं.

भाषा व मुद्रा : यहां के लोगों की आपसी भाषा चीनी ही है. गिनेचुने लोग ही अंगरेजी जानते हैं. आप की बात किसी भी दुकानदार या व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए आप की मदद लोकल टूर गाइड ही कर सकता है. यहां की मुद्रा युआन है जो भारतीय रुपए के हिसाब से अभी लगभग 9 रुपए है. बीजिंग एअरपोर्ट पर ही मुद्रा बदल लेना बेहतर होगा.

दर्शनीय स्थल

चीन की दीवार : बीजिंग का मुख्य आकर्षण है चीन की दीवार. विश्व के 7 आश्चर्यों में से एक यह प्रसिद्ध दीवार, जो 4163 मील लंबी तथा लगभग 15 फुट चौड़ी है, विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. मुझे भी चीन की दीवार का यही आकर्षण बीजिंग खींच लाया. यह 2 हजार वर्ष पुरानी है जो चीन की दूसरे देशों के आक्रमण से रक्षा करती है. चीन की दीवार के दूसरी ओर मंगोलिया है. कहा जा सकता है कि यह चीन की प्राचीन सभ्यता की खूबसूरत निशानी है.

वास्तव में जमीन पर बनी यह मात्र एक सीधी दीवार नहीं है, बल्कि पहाड़ी व जंगली इलाकों को पार करती हुई ऊंचीनीची दीवार है जिस के दोनों ओर मुंडेर बनी है. सुना था कि यह मोटर चलने लायक चौड़ी सड़क की भांति है. यह चौड़ी तो अवश्य है परंतु हर 20-30-50 गज की दूरी पर बनी सीढ़ियां पर्यटकों को जल्दी ही थका देती हैं. यहां मोटर या कोई अन्य वाहन जाना संभव ही नहीं क्योंकि बीजिंग में यह कमरेनुमा भाग से शुरू होती है, जहां सीढ़ियां ही सीढ़ियां हैं. सड़क के दोनों ओर मुंडेर बनी होने से गिरने का खतरा नहीं रहता. परंतु पूरी सड़क पर पहाड़ी जैसी ढलान होने के कारण मात्र 1-2 किलोमीटर तक ही पर्यटक मुश्किल से जा पाते हैं. मैं मुश्किल से 1 किलोमीटर ही जा सकी. सीढ़ियां एकदम ऊंची व खड़ी हैं.

हां, ऊपर जाने के बाद चारों तरफ निगाहें दौड़ाने पर दूरदूर तक पहाड़ों व पेड़ों के बीच दीवार दिखाई देती है. यह हो सकता है कि प्राचीन काल में युद्ध के घोड़े इस ऊंची-नीची दीवार पर चढ़ते व दौड़ते रहे हों.

मिंग टौंब : यह प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है जहां मिंग राजवंश के 13 राजाओं की भव्य समाधियां हैं. चारों ओर घिरे पहाड़ व प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों का मिंग टौंब देखने का उत्साह दोगुना कर देते हैं.

समर पैलेस : शाहीबाग, पहाडि़यों व लेक से घिरा यह पैलेस पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केंद्र है. यहां लगभग 3 हजार ऐसे ‘खूबसूरत प्राकृतिक स्थल’ हैं जहां आप फोटोग्राफी का आनंद उठा सकते हैं. पैलेस के बड़ेबड़े बरामदे, हौल, पवेलियन, हरेभरे बाग तथा साथ में विकसित की गई लेक दृश्यों को आकर्षक बनाते हैं.

टियानमेन स्क्वायर : यह विश्व का सब से बड़ा स्क्वायर यानी वर्गाकार जमीन का टुकड़ा है जो शहर के बीचोबीच वहां की संसद के चारों ओर बना है. इस का आकार 4 लाख वर्ग मीटर है. इस स्क्वायर में तरीके से लगी हरीभरी घास व पौधे इसे सुंदर पिकनिक स्थल होने जैसा आभास देते हैं. इस के चारों ओर महत्त्वपूर्ण इमारतें हैं.

पैलेस म्यूजियम : यह एक संग्रहालय है जिसे ‘फौरबिडन सिटी’ के नाम से जाना जाता है. 72 हैक्टेअर में फैले इस संग्रहालय के भीतर अनेक राजमहल कौंप्लैक्स हैं. बहुत बड़े भूखंड में फैले होने के कारण पर्यटक जहां सुंदर शाही महलों के भवनों का आनंद उठाते हैं वहीं बाहर निकलने तक वे काफी थक भी जाते हैं. यह विश्व का सब से बड़ा महलों का कौंप्लैक्स है.

कैसे पहुंचें

अनेक टूर कंपनियां चीन का 10 दिन का पैकेज बनाती हैं जिन में बीजिंग भी शामिल रहता है. इस पैकेज में आनेजाने व रहने का खर्च लगभग 1 लाख रुपए आता है. आप सीधे हवाई टिकट ले कर भी बीजिंग की सैर कर सकते हैं. यहां आनेजाने का किराया लगभग 35 से 40 हजार रुपए है.

चीन की चाय की चुस्की

बीजिंग जा कर चीन की चाय का आनंद अवश्य लें. यहां चाय के बड़ेबड़े शानदार शोरूम हैं, जहां एक कमरा विशेष रूप से चाय के स्वाद का अनुभव करने के लिए बना होता है.

यहां की अंग्रेजी भाषी खूबसूरत लड़कियां एक विशेष अंदाज में आप को 8 से 15 तरह की विभिन्न स्वाद व खुशबू वाली चाय का आस्वादन कराती हैं. छोटेछोटे कप में दी जाने वाली यह चाय बिना दूध व बिना चीनी के बनाई जाती है.

इस तरह बीजिंग के दर्शनीय स्थलों के साथ चाइना वाल की थकानभरी सैर करने के बाद चीनी चाय के स्वाद का लुत्फ थकान को स्वाहा कर पर्यटन की मस्ती को दोगुना बढ़ा देता है.

शंघाई

कई वर्षों से भारत में चर्चा सुनी थी कि मुंबई को शंघाई बनाएंगे तो मन में तमन्ना थी कि देखें आखिर शंघाई में क्या है? वाकई में गगनचुंबी डिजाइनर इमारतों से सजी और रात्रि में रोशनियों से जगमग चकाचौंध भरे शंघाई की खूबसूरती मन को भीतर तक आकृष्ट कर गई. चौड़ी सड़कें, बड़ीबड़ी भव्य इमारतें, डिजाइनर तरीके से किया गया सड़कों का सौंदर्यीकरण हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी था. ऊपर से शाम होते ही ज्योंज्यों रात्रि का अंधकार अपना विस्तार करता गया, इमारतों से निकलने वाली डिजाइनर रोशनियां व लेजर किरणें शहर के सौंदर्य का चमत्कार बढ़ाती गईं. मन इतना मंत्रमुग्ध था कि उस खूबसूरती को निखारते रहने को जी चाहता था.

पूर्वी चीन में यांगजे नदी के किनारे बसा शंघाई चीन का सब से बड़ा शहर है. यों तो चीन की राजधानी बीजिंग है, परंतु चीन के अर्थतंत्र का आधार शंघाई ही है. शंघाई बंदरगाह विश्व के व्यस्ततम बंदरगाहों में से एक है. वर्ष 2005 में तो यह विश्व का सब से बड़ा ‘कार्गो पोर्ट’ ही बन गया. शंघाई दक्षिणपूर्वी देशों का सब से महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन चुका है.

किसी भी पर्यटक के लिए शंघाई में मुख्य रूप से 3 आकर्षण हैं – व्यापार, शौपिंग तथा दर्शनीय स्थल. शंघाई को ‘ओरिएंटल पैरिस’ के नाम से भी जाना जाता है. मौडर्न व फैशनेबल शौक रखने वालों के लिए नांजिंग रोड व हुआइहै रोड उपयुक्त हैं जबकि मध्यम प्रकार की खरीदारी के लिए सिचुआन नौर्थ रोड जाना चाहिए.

दर्शनीय स्थल

ओरिएंटल पर्ल टीवी टावर : यहां का यह टावर पर्यटकों का सब से प्रमुख आकर्षण है. इसे ‘फोटोग्राफिक ज्वैल’ का नाम दिया गया है यानी इसे कैमरे में कैद कर के फोटोग्राफी के शौकीन भरपूर संतुष्टि पा सकते हैं. पुडोंग पार्क में बना यह टावर यांगपू पुल से घिरा हुआ है. इस का दृश्य यों प्रतीत होता है कि जैसे 2 ड्रैगन मोतियों से खेल रहे हों.

468 मीटर ऊंचा यह टावर विश्व में तीसरा सब से ऊंचा टावर है. 3 खंभों पर खड़ा यह टावर रात की रोशनी में और भी अधिक आकर्षक हो उठता है. डबल डैकर एलीवेटर्स में इतनी ऊंचाई तक 7 मीटर प्रति सैकंड की गति से ऊपर जाते हैं. दर्शक 263.5 मीटर की ऊंचाई तक जाते हैं, जहां लगे आब्जर्वेटरी लेवल से पूरे शंघाई का सुंदर नजारा देखा जा सकता है.

टावर का भीतरी भाग अद्भुत मनोरंजक खजाने से भरा है. इस के पैडस्टल में शंघाई म्यूनिसिपल इतिहास संग्रहालय बना है. निम्न तल पर भविष्य का सुंदर अंतरिक्ष शहर व साइटसीइंग हौल है जहां विश्व के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है. इस के अतिरिक्त टावर के बेस में साइंस सिटी बनाई गई है.

टावर के ऊपरी भाग में पर्यटकों के लिए यादगार वस्तुओं की अनेक दुकानें व रोटेटिंग रैस्टोरेंट हैं.

जेड बुद्धा मंदिर : बुद्ध से संबंधित यह मंदिर विश्व के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यहां सफेद जेड (एक प्रकार का अत्यंत कीमती पत्थर) से बनी बुद्ध प्रतिमाएं हैं.

यूयुआन गार्डन : यूयुआन गार्डन शंघाई के सब से प्राचीन गार्डनों में से एक है जो मिंग तथा किग राजाओं के जमाने की वास्तुकला पर आधारित है. यह 6 भागों में विभक्त है, इन भागों का अपनाअपना स्टाइल है. यह 2 हैक्टेअर क्षेत्र में फैला है. यहां 40 ऐसे स्थल हैं जहां से सुंदर व मनोहारी फोटोग्राफी की जा सकती है. पूरा गार्डन देखने में कई घंटे का समय लग जाता है.

शंघाई म्यूजियम : यह संग्रहालय चीन की प्राचीन कला का अद्भुत खजाना है यहां लगभग 1,20,000 कीमती वस्तुएं प्रदर्शित हैं. दूर से देखने पर संग्रहालय का आकार एक कांसे के प्राचीन बरतन जैसा प्रतीत होता है जो 5 हजार वर्ष पूर्व चीन में भोजन पकाने के लिए प्रयोग किया जाता था. यहां 4 तलों पर कुल 11 संग्रहालय बने हैं जिन में अलगअलग कांसे, पाटरी, फर्नीचर, जेड, धातु के बरतन, आभूषण, हस्तकला तथा ग्रामीण आर्ट के संग्रहालय हैं.

क्रूज का आनंद : यहां के विशेष आकर्षण व रात्रि की चकाचौंध का नजारा देखने के लिए हुआंगपू नदी में कू्रज का आनंद अवश्य लें. लगभग 2 घंटे की सैर में आप को इतना आनंद आएगा कि मानो आप सपनों में सैर कर रहे हों.

कू्रज के निचले भाग में एअरकंडीशंड कमरे में बैठ कर खिड़की से दृश्य का आनंद लिया जा सकता है. कू्रज के ऊपरी भाग में हवाओं के झोंके के साथ खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं. यदि रात्रि में इन दृश्यों का आनंद नहीं लिया तो समझिए आप ने शंघाई को देखा ही नहीं और फिर चीन की आप की यात्रा अधूरी मानी जाएगी.

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