Pendulum Lifestyle : ‘इधर चला मैं उधर चला जाने कहां मैं किधर चला…’ गीत की ये लाइनें आजकल के युवाओं के जीवन का हिस्सा बन गई हैं क्योंकि उन्होंने जीवन जीने का ऐसा स्टाइल अपना लिया है जो उन्हें कुछ वक्त के लिए तो ठीक लगता है, लेकिन लौंग टर्म में सेहत, व्यवहार, लाइफस्टाइल, कामकाज सब पर बुरा असर डालता है.

इस लाइफस्टाइल को नाम दिया गया है ‘पैंडुलम लाइफस्टाइल’, जिस का मतलब है ऐसी जिंदगी, जो 2 विपरीत छोरों के बीच झूलती रहती है या कहें इस में व्यक्ति 2 चरम सीमाओं के बीच झूलता रहता है और स्थिरता या संतुलन नहीं बना पाता. इस में या तो हम किसी चीज को जरूरत से ज्यादा करते हैं या फिर उसे पूरी तरह से छोड़ देते हैं. यह लाइफस्टाइल हमारे काम, सेहत, रिश्ते और मानसिक शांति पर बुरा असर डाल सकती है. युवा तो इसे ‘गो विद द फ्लो’ का नाम दे रहे हैं. अब इस से उन के जीवन के फ्लो पर क्या असर पड़ता है यह समझते हैं :

क्या है पैंडुलम लाइफस्टाइल

अत्यधिक काम Vs अत्यधिक आराम : कभीकभी लोग हफ्तों तक बिना अपने खाने और सेहत का ध्यान रखे, बहुत ज्यादा काम करते हैं और फिर अचानक कुछ दिन पूरा दिन सोते हुए या बिलकुल सुस्त हो कर आराम करते हुए बिता देते हैं। उस दौरान काम को हाथ नहीं लगाते.

मूड का ऊपरनीचे होना : अत्यधिक खुशी या प्रेरणा महसूस करना और फिर उदासी या निष्क्रियता में गिर जाना यानी लोग कभी तो बहुत खुश और जोश में होते हैं, तो कभी अचानक उदास और निराश हो जाते हैं. जैसे किसी औफिस प्रोजैक्ट में व्यस्त हैं और उसे कंप्लीट करने के लिए न दिन में आराम न रात की नींद पूरी कर रहे हैं, दोस्तों के साथ वक्त बिताना और खुद को टाइम देना छोड़ दिया है, लेकिन जैसे ही वह काम पूरा होता है उस के बाद समझ नहीं पाते कि अब क्या करें, आप मूडी और चिड़चिड़े हो जाते हैं.

ऐसा स्टूडैंट लाइफ में होता है जब एक छात्र परीक्षा की तैयारी के दौरान दिनरात पढ़ाई करता है और जैसे ही परीक्षा खत्म होती है, वह दोस्तों और परिवार से दूर हो जाता है और अकेले समय बिताने लगता है.

सेहत और डाइट का उतारचढ़ाव : लोग एक समय हैल्दी डाइट और ऐक्सरसाइज का सख्ती से पालन करते हैं और कुछ ही दिनों बाद जंक फूड खाना शुरू कर देते हैं. जैसे कोई व्यक्ति जिम में 1 महीने तक रोज ऐक्सरसाइज करता है और फिर अगले 2 महीने बिलकुल वर्कआउट नहीं करता और न ही हैल्दी डाइट फोलो करता है. फिर दोबारा कुछ दिन अच्छी डाइट, वर्कआउट करता है और फिर सुस्त हो जाता है। पैंडुलम लाइफस्टाइल में यह साइकिल लगातार चलता रहता है.

रिश्तों में अस्थिरता : कभी तो लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ बहुत समय बिताते हैं, तो कभी अचानक दूरी बना लेते हैं. कोई व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ समय बिताने के लिए अपने दोस्तों को नजरअंदाज करता है और बाद में अपने पार्टनर से दूरी बना लेता है. दोनों में कैसे बैलेंस बना कर दोनों को साथ कैसे लेकर चलें वे समझ नहीं पाते.

निर्णय लेने में झिझक : किसी एक निर्णय पर टिके रहने में दिक्कत होती है. एक व्यक्ति किसी नए काम को शुरू करता है, लेकिन थोड़े समय बाद उसे छोड़ कर कोई और काम शुरू कर देता है और इस चक्र में फंस जाता है.

यह लाइफस्टाइल क्यों होती है

संतुलन की कमी : लोग अपनी प्राथमिकताओं (priorities) को सही से तय नहीं कर पाते, जिस से जीवन में बैलेंस नहीं बन पाता. अपने टाइम को काम और परिवार के बीच कैसे बांटना चाहिए, यह मुश्किल हो जाता है.

दबाव और उम्मीदें : लोग दूसरों की उम्मीदों को पूरा करने के चक्कर में खुद को अनदेखा कर देते हैं, दूसरों से बेहतर बनने की होड़ लगी रहती है, लेकिन युवाओं को समझना होगा कि उन्हें अपना खुद का बैस्ट वर्जन बनना है न कि बेमतलब की दौड़ या भेड़चाल करनी है जिस से उन को भविष्य में कुछ हासिल नहीं होगा.

अगर आप का सहयोगी रात की नींद न ले कर, लंच छोड़ कर अपना काम पूरा कर रहा है तो जरूरी नहीं कि आप भी ऐसा ही करें। समय पर भोजन करें, पर्याप्त नींद लें. आप के संस्थान को आप के काम से मतलब है तो आप अपने काम टाइमलाइन के हिसाब से करें, खुद की सेहत का भी बराबर खयाल करें.

भावनाओं पर निर्भरता : अपने गोल को न समझ कर भावनाओं के अनुसार फैसले लिए जाते हैं, जैसे आप का काम करने का मूड या पढ़ाई का मूड नहीं तो उसे लगातार टाला जा रहा है. आखिरकार वह काम तो आप को करना है लेकिन इमोशनल फैसले करने से बाद में वह आप के लिए बर्डन बन जाता है.

पैंडुलम लाइफस्टाइल के नुकसान

फिजिकल ऐंड मैंटल बर्नआउट : लगातार ज्यादा काम करने या बेवजह सुस्ती की वजह से शरीर थक जाता है और मन परेशान रहता है.

रिश्तों में दूरी : आप के अनप्रिडिक्टेबल बिहेवियर के चलते आप के पार्टनर, दोस्तों या सहयोगी से रिश्ते खराब हो सकते हैं.

तनाव और चिंता : अस्थिरता के कारण जीवन में तनाव बढ़ता है.

इनकंसिस्टेंसी : आप के जीवन में इनकंसिस्टेंसी के चलते आप को लौंग टर्म गोल्स को अचीव करने और हैल्दी आदतों को अपनाने में दिक्कत होती है.

पैंडुलम लाइफस्टाइल से कैसे बचें

बैलेंस जरूरी है : काम और आराम के बीच सही तालमेल बनाएं. औफिस का काम खत्म करने के बाद रोज 1 घंटे का समय खुद के लिए रखें.

छोटे लक्ष्य बनाएं : बड़े बदलाव लाने के बजाय धीरेधीरे आदतें बदलें. गोल्स रियलिस्टिक हों अचीवेबल हों, ये आप का संतुलित जीवन का पहला कदम है. नई आदत या काम को शुरू करना है और आप का मन नहीं हो तो शुरू में 10 मिनट उस काम को करें, धीरेधीरे काम के टाइम को बढ़ाएं. अगर वजन कम करना है, तो शुरुआत में रोज 15 मिनट वर्कआउट करें.

रूटीन पर टिके रहें : रोजमर्रा की जिंदगी में एक रूटीन तैयार करें और उसे फौलो करें। हर दिन तय समय पर सोने और जागने की आदत डालें.

अपनों से बात करें : दोस्तों और परिवार के साथ अपनी समस्याओं को शेयर करें। अगर तनाव में हैं, तो किसी करीबी से सलाह लें या डाक्टर के पास जाएं.

ध्यान और रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं : मानसिक शांति के लिए ध्यान, योग या गहरी सांस लेने का अभ्यास करें। यह आप को बर्डन न लगें इस के लिए आप शुरू में 10 मिनट मैडिटेशन करें और फिर धीरेधीरे टाइम बढ़ाएं.

पैंडुलम लाइफस्टाइल सुनने में काफी फैंसी नजर आती है लेकिन इस से बचना जरूरी है, क्योंकि यह हमारी सेहत, काम और रिश्तों पर बुरा असर डालती है. एक संतुलित और स्थिर जिंदगी जीने के लिए हमें छोटेछोटे कदम उठाने चाहिए. इस से न केवल हमारा जीवन बेहतर होगा, बल्कि हमें मानसिक शांति और खुशहाली भी मिलेगी.

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