जब युवा पतिपत्नी अकेले रहते हैं और फिर उन के बच्चे नहीं होते तो वे  अस्पतालों के चक्कर लगाते हैं और तब बिना सासूमां के तानों के भी जीवन में तनाव रहता है. आज जीवन जीने के माने बदल गए हैं. युवा पतिपत्नी अपने अनुरूप स्वतंत्रतापूर्वक जीवन जीना पसंद करते हैं. मौजमस्ती और अपना अलग लाइफस्टाइल. न कोई पारिवारिक बंधन न कोई जिम्मेदारी और न ही किसी की दखलंदाजी. नौकरीपेशा जोड़े अपने परिवार से अलग अपनी दुनिया अपनी शर्तों पर बनाते हैं.

आजकल बच्चे जल्दी करने का चलन समाप्त हो गया है. शादी के बाद कुछ साल वे जिम्मेदारियों को ओढ़ना पसंद नहीं करते हैं. वे अपने कैरियर और मौजमस्ती में ऐसे उल?ाते हैं कि कई बार स्थितियों को नजरअंदाज करना उन के लिए हानिकारक भी सिद्ध होता है क्योंकि कैरियर के कारण बड़ी उम्र में शादी करना व बच्चे न होना हमारे आज के समय की बेहद गंभीर समस्या बन गई है. युवा जोड़ों का अकेले रहना व संतान न होना उन्हें तनाव से घेरने लगता है.

युवा जोड़ों के लिए इस तनाव से गुजरना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. इस का सीधा असर  पारिवारिक रिश्तों पर पड़ता है. पारिवारिक जिम्मेदारियों का नया अनुभव व तालमेल न बैठाना पतिपत्नी के रिश्तों में खटास पैदा कर रहा है.

संगीता व प्रवीण अपनी शादी के बाद अपने जीवन का खुल कर आनंद ले रहे थे. मौजमस्ती, ड्रिंक, लेट नाइट पार्टी करना उन के जीवन का हिस्सा था. कुछ समय बाद उन के दोस्तों के  बच्चे हुए तो उन का आपस में मिलना बंद हो गया.

दोस्त जब अपनी पारिवारिक जिंदगी में व्यस्त हो गए तब दोनों ने भी परिवार को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया. बेहद ऊर्जा के साथ उन्होंने कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए. कहते हैं न समय किसी के लिए नहीं रुकता. दोनों को एहसास हुआ कि देर न हो जाए. इसलिए आपसी सलाह कर के उन्होंने डाक्टर से कंसल्ट किया व अपना पूर्ण चैकअप कराया. डाक्टर ने दवा के साथ हिदायत व महीने के नियम बता कर उन की आशा बांध दी. दोनों सकारात्मक ऊर्जा से प्रयास करने लगे लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं.

दिन महीनों में बीते व महीने साल में. अस्पताल के शुरू हुए चक्कर खत्म नहीं हुए. शहर के बैस्ट डाक्टर से मिले. दूसरे शहर में भी आईवीएफ तकनीक से प्रयास किया लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई.

नियमित सैक्स से दोनों को सैक्स के प्रति ऊब होने लगी. बच्चा न होने का मानसिक तनाव बढ़ने लगा जिस का असर यह हुआ कि दोनों का एकदूसरे पर शिकायतों और आरोपों का दौर शुरू हो गया. कितने भी थके हों बात घूमफिर कर बच्चे पर ही अटक गई.

बच्चा न होने पर तनाव बढ़ने लगा जो किसी न किसी रूप में एकदूसरे पर तानों के रूप में बाहर आने लगा. दोनों को खीज हो रही थी. घर में स्वस्थ वातावरण की जगह माहौल बो?िल हो गया. सामान्य बात भी बच्चे पर आ कर रुक जाती. लोग क्या कहेंगे, समाज हमें बां?ा कहेगा. संगीता के मन में मां न बनने का दर्द इतना बढ़ गया कि उसे दोष प्रवीण में ही नजर आने लगा. मन में नकारात्मकता बढ़ने लगी. वह यूट्यूब, गूगल पर बच्चे होने के उपाय ढूंढ़ने लगी. प्रवीण को विरक्ति होने लगी.

अंत में थक कर प्रवीण ने संगीता से कहा कि अब बस करो मैं रोजरोज की किचकिच से थक गया हूं. कितने ताने देती हो? पैसा भी खूब खर्च हो रहा है. मैं भी तो तुम्हारे साथ वही दर्द ?ोल रहा हूं. तुम्हें घर वाले भी ताने नहीं मारते हैं फिर भी तुम ने जीवन में कितना क्लेश भर लिया है.

दबाव दोस्तों, रिश्तेदारों का सामाजिक दबाव एक बड़ी समस्या है क्योंकि हर सर्कल में अभी भी बच्चों का होना सामान्य माना जाता है. यहां तक कि परिवार और दोस्त भी इस विषय पर तनाव डाल सकते हैं. सामाजिक डर या बातों से अपने रिश्ते को तनाव में डालना उचित नहीं है.

राहुल और नेहा अपने परिवार से दूर दूसरे शहर दिल्ली में रहते हैं. शादी के 6 साल होने के बाद भी उन का कोई इशू नहीं हुआ. फिर घर वालों व दोस्तों ने उन्हें बच्चे के लिए छेड़ना शुरू कर दिया कि परिवार आगे बढ़ाओ. यहां तक कि पड़ोसी भी जब मिलते हंस कर यही कहते.

नेहा हंस कर बात को टालने लगी. एक बार उस की दोस्त ने इस बारे में उस से कहा, ‘‘उम्र बढ़ जाएगी तो इशू में प्रौब्लम आ सकती है.’’

तब उस ने बताया कि राहुल को बच्चे पसंद नहीं हैं, इसलिए मैं पड़ोसी के बच्चों के साथ खेल कर ऐंजौय कर लेती हूं.

अब परिवार वालों ने भी बोलना छोड़ दिया लेकिन उन की दिनचर्या में नीरसता आने लगी. बच्चे की चाहत मन में कुलबुलाने लगी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. उन्होंने बेबी प्लान करने के लिए डाक्टर से बात की. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जीवन में तनाव बढ़ने लगा व स्वास्थ बिगड़ने लगा.

बच्चे की चाहत में बढ़ते मानसिक तनाव से चेहरे की रौनक गायब हो गई. डाक्टर की दिनचर्या के अनुसार उन्हें कंसीव के लिए कुछ विशेष दिन प्रयास करना था. लेकिन राहुल थकने लगा. रोजरोज वही बातें व काम. मन से थकी नेहा को उबकाई होने लगी. आपस में ही आरोपों और तानों के दौर शुरू हो गए. दोनों हीनभावना से ग्रस्त होने लगे कि उन्हें शारीरिक दोष है. पंडित व अंधविश्वास का नया अध्याय उन की जिंदगी में पसरने लगा. मां बनना हर लड़की का स्वप्न होता है. यह खूबसूरत रिश्ता है.

लोगों की बातों से बचने के लिए दोनों ने सामाजिक जीवन जीना ही बंद कर दिया. सब से दूर वे अपने तनाव व निराशा से लड़ने लगे. अच्छे से रहना छूट गया, सजनासंवरना तो दूर चेहरे पर गहन चिंता के भाव उन्हें खुद से विरक्त करने लगा.

आर्थिक प्रैशर व संबंधों का दबाव बच्चे पालने में आर्थिक दबाव भी होता है. शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य आर्थिक जिम्मेदारियों के लिए पैसे का अभाव एक तनाव स्रोत बन सकता है.

अनु व मयंक दोनों मुंबई में रहते हैं. दोनों प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं. दोनों की पगार ठीक है लेकिन महानगरों के खर्चे भी कम नहीं होते. ऐसे में बच्चा करना उन के ऊपर आर्थिक समस्या को बढ़ा सकता है. घर वाले भी साथ नहीं रहते हैं. पहले वे बच्चे के लिए प्रयास नहीं कर रहे थे और जब करना शुरू किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

बच्चे न होने पर संबंधों में तनाव भी हो सकता है और यह समस्या पतिपत्नी के बीच खटास का कारण भी बन सकती है. उन्होंने अपने दोस्तों से मिलना बंद कर दिया. मन से सुकून गायब हो गया और डिप्रैशन होने लगा.

आज 50त्न युवा जोड़े इस समस्या से जू?ा रहे हैं. इस का कारण देर से शादी होना व असंतुलित लाइफस्टाइल ही है. आजकल की जीवनशैली ही इन्फर्टिलिटी का सब से बड़ा कारण है

डाक्टर हर्षा का कहना है कि यह तनाव  ही जीवन में हर समस्या की जड़ है. यदि तनमन से स्वस्थ रहेंगे तो हैप्पी हारमोन रिलीज होंगे जो 4 और × क्रोमोसोम मिलन में सहायक सिद्ध होते हैं. तनाव से प्रजनन क्षमता में कमी आती है. इस से महिलाओं में ऐंडोमिट्रिओसिस हो सकता है, जो प्रजनन में बाधा का कारण बनता है.

तनाव से शरीर के अन्य और्गन भी प्रभावित होते हैं. पर्याप्त नींद लेना भी बहुत जरूरी है. नींद के अभाव से शरीर में थकान होती है. वहीं पुरुषों में नींद की कमी से शुक्राणुओं की संख्या भी कम होती है. तीव्र तनाव हारमोंस को बाधित करता है. तनाव हमारे शरीर में कार्टिसोल को बढ़ाता है जिस से कई बीमारियां हो सकती हैं.

इस तनाव से निबटने के लिए सकारात्मक कदम उठाना जरूरी है. युवा जोड़ों को इस बात का खास खयाल रखना चाहिए. हो सकता है बच्चे न होने का मुख्य कारण तनाव ही हो.

जरूरी नहीं कि हर जोड़े को बच्चे होते हैं. हमारे पास ऐसे कई उदाहरण हैं. जानेमाने सैलिब्रिटीज भी इस समस्या से गुजर चुके हैं फिर भी उन्होंने अपना जीवन सकारात्मक तरीके से जीया है.

सितारे व सफल जोड़े जिन्हें बच्चे नहीं हुए या किसी कारण से उन्होंने बच्चे नहीं किए. कहते हैं यदि शादी के बाद बच्चे नहीं हुए तो रिश्तों में दरार आ जाती है. लेकिन बौलीवुड में कई सैलिब्रिटीज जोड़े ऐसे हैं, जिन के खुद के बच्चे नहीं हैं या फिर उन्होंने बच्चा चाहा ही नहीं. बच्चे के नहीं होने के बावजूद इन की जिंदगी एकदूसरे के प्रति प्यार, सम्मान और हमेशा साथ निभाने की चाहत से भरी हुई है.

दिलीप कुमार और सायराबानो जिन्होंने मिल कर अपनी जिंदगी की इस स्थिति का सामना किया है. इसी तरह जावेद अख्तर और शबाना आजमी जिन के खुद के बच्चे नहीं हैं लेकिन फिर भी उन के जीवन में कोई खालीपन नहीं है. हालांकि जावेद अख्तर को उन की पहली पत्नी हिना ईरानी से 2 बच्चे हुए. अनुपम खेर और किरण खेर अपनी पहली असफल शादी के बाद मिले. लेकिन इन्हें बच्चा नहीं हुआ. मीना कुमारी और कमल अमरोही, साधनाआरके नैयर, मधुबालाकिशोर कुमार, आशा भोसले व आर डी वर्मन ऐसे कई नामचीन नाम हैं जिन्होंने या तो बच्चे नहीं किए या किसी कारण से उन के बच्चे नहीं हुए. कहने का तात्पर्य यह है कि बिना बच्चों के भी इन की जिंदगी में खालीपन नहीं आया,  अपितु जीवन को समर्पित भाव से जीया है. कई ऐसे सितारे हैं जिन्होंने बच्चा गोद लिया और जीवन की दिशा बदल दी.

तनाव कैसे ?ोलें

सम?ों और बातचीत करें:  सब से पहले पतिपत्नी की इस समस्या को सम?ाने का प्रयास करें व एकदूसरे के भावनाओं का खयाल रखते हुए खुल कर बात करें. बातचीत करते समय ध्यान रखें कि इस ही टौपिक पर बात न की जाए एकदूसरे के साथ क्वालिटी समय भी बिताएं. बाहर घूमने जाएं लोगों से मिलें. ऐसे काम करें जिन से आप को खुशी मिलती हो. हंसतेमुसकराते रहें जिस से सेहत पर अच्छा असर होगा. हंसनामुसकराना आप की सेहत पर सकारात्मक असर डालता है.

हैल्थ का ध्यान रखें: यदि तनाव से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं तो डाक्टर से मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी सहायता ले सकते हैं. खानपान व समय का विशेष ध्यान रखें. अच्छा खानपान और अच्छी सोच आप को तनाव से बाहर ले आएगी.

आपसी समर्थन व सहायता: अपने परिवार और दोस्तों से सहायता लेना भी मददगार हो सकता है. अपने परिवार के बड़े लोगों का अनुभव भी आप के काम आ सकता है जिस से आप तनावमुक्त हो सकते हैं. परिवार व दोस्तों का साथ आप में सकारात्मकता ला सकता है. हीनभावना से ग्रस्त न हों. यदि आप अपने शहर से बहुत दूर रहते हैं तो फोन पर ही अपने घर के बच्चों से बातचीत करने की कोशिश करें. बच्चों का साथ तनाव से मुक्त करता है.

आपसी रोमांटिक जीवन: बच्चों के बिना भी सुखमय और संतोषपूर्ण जीवन जी सकते हैं. एकदूसरे के साथ अच्छा समय व्यतीत करें, बाहर घूमने जाएं, अच्छी किताबें पढ़ें जिस से मन सकारात्मक होगा. बच्चा नहीं है तो आपसी रिश्ता खराब न होने दें. पतिपत्नी को एकदूसरे के साथ समय बिताने का अधिक समय मिलता है.

स्वास्थ्य की देखभाल: स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्त्वपूर्ण है. ध्यान करने और सांस को नियंत्रित करने से तनाव का एहसास कम हो जाता है और बेतुके खयाल आना बंद हो जाते हैं. इस से रक्तचाप भी घटता है. योग व मैडिटेशन करें. खानपान का विशेष ध्यान रखें. वाइन का जहर अपने जीवन में न घोलें. तनाव से बचने के लिए ड्रग का सहारा न लें. डाक्टर से सलाह ले कर अपने स्वास्थ्य संबंधित सु?ावों का पालन करें. ऐसे लोगों से ज्यादा मिलेजुलें जिन के बच्चे नहीं हैं.

यदि आप के आसपास बच्चे हैं या ऐसा कोई क्लब है तो आप उसे जौइन कर सकते हैं क्योंकि बच्चों के साथ तनाव दूर होता है. अपने करीबी दोस्तों या पड़ोसियों के साथ मधुर संबंध रखें, मेलजोल बढ़ाएं.

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