मां के कोख से लेकर मां के आंचल में आने तक
मैंने बस इस दुनिया के बारे सुना था मां से
वह बोलती थी- कि ये दुनिया बहुत सुंदर है
यहां हर कोई एक दूसरे के लिये खड़ा रहता है
खुशी हो या या हो गम सब एक दूसरे का सहारा बनते हैं
यहां सब एक दूसरे की बहुत इज्जत करते हैं
बड़ों का आदर छोटों को प्यार, इस सुंदर दुनिया के ये हैं संस्कार
चौरासी लाख योनि के बाद इंसान का जीवन मिलता है
इस लिये "बेटा" तुझे इस जीवन में सर्वश्रेष्ठ बनकर दिखाना है
यही सोच, मुझे आगे बढ़ते चले जाना है मां तेरे दूध का कर्ज मुझे चुकाना है.
आगे बढ़ते चला तो देखा इस सुंदर दुनिया में तो बस पैसों का बोल बाला है.
यह देख मेरा मन दुखी और सोच का मारा है.
जहां पैसो के लिये औरतों का खेल, एक ठिकाना है.
जहां ना गरीबों के लिये एक वक्त का खाना, ना तन को ढ़कने के लिये एक कतरा है.
जहां नन्हे मासूमो से भींक मंगवाना है एक पेशा. क्या यही इस सुंदर दुनिया का प्यार निराला है.
यहां तो भगवान भी पैसों के तराजू में बंटे है, जो जितने पैसे देता हे भगवान उतनी मनोकामना पूरी करते हैं.
जहां बेटों के लिये बेटी की हत्या समाज सुधार का नारा है
मां अब मैं तुझसे पूछता हूं ये कैसी दुनिया हे जहां पैसों का बोल बाला है.
जहां खुद का बेटा मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़, सुकून से सोता है.
क्या उस बेटे का दिल नहीं कचोटता की जिनकी वजह से वो ये जिंदगी जी रहा है
उनको ही खुद की जिंदगी से बाहार निकाल रहा है.