मेरी प्यारी मां,
मैं ससुराल में खुश तो हूं, पर तुम्हारी कमी सी महसूस होती है. लेकिन ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरी भाभी, मेरी मां का इतना ख्याल रखे, इतना प्यार दे, कि उन्हें कभी भी मेरी कमी महसूस न हो.
तुम्हारी समझाइश के अनुसार मैं तुम्हारी याद में रोती तो नहीं, पर हां !आंखों में कुछ नमी सी है. तुम्हारा हर दर्द अब महसूस होता है जब खुद एक मां बन गई हूं. जब-जब सभी को गर्म खाना खिलाकर, खुद ठंडा खाने को बैठती हूं, तब पहला निवाला तुम्हें खिलाने को जी करता है.
याद आता है थक जाने पर वो तेरा, मेरे पैरों को दबाना, और आज जब दूर हूं तो मेरा, तुम्हारे पैरों को दबाने को जी करता है. जब स्कूल से आती थी, झट से कहती थी आ.. बदल ले आके कपड़े, फिर भी मैं फिरती थी तुमसे अकड़े-अकड़े.
आज मां तुम्हें, अपनी बाहों के गर्म शौल पहनाने को जी करता है. मां मुझे सब याद है, मेरे भीगे बालों को अपने पल्लू से सुखाना, रातों को थपथपाकर वो तेरा, मुझको सुलाना. आज खुद लोरी गाकर, तुम्हें सुलाने को जी करता है.
आंखें कमजोर हो गई थी तुम्हारी, चूल्हे पर रोटी बनाते-बनाते, आज तुम्हारी कमजोर आंखों से गिरते हुए हर इक आंसू को पलकों पर उठाने को जी करता है. मेरे जन्म के लिए मन्नते मांगने वाली मां ! आज तुम्हारी खुशियों के लिए मेरा भी, एक मन्नत उठाने को जी करता है. मुझे अकेली पालकर, सभी कुछ तो हार दिया मुझ पर, आज अपना सब कुछ हारकर अपनी मां को जिताने को जी करता है. मुझ पर अपना सब कुछ लुटाने वाली मां ! तुझ पर अपना अस्तित्व लुटाने को जी करता है.