सोम काका ने तुरंत कार निकाली, छोटा सा हॉस्पिटल था, ‘नवजीवन केंद्र ‘ नीरा रिसेप्शन पर भागती हुई ही गयी, फौरन समर सिंह का रूम पूछा, रिसेप्शनिस्ट ने तुरंत डॉक्टर को बुलाया, करीब चालीस साल का डॉक्टर मुख़र्जी, चालाक सा चेहरा, चौकन्ना सा आदमी, आकर नीरा से बात करने के बजाय गीताली को बुलाने चला गया, गीताली ने आकर कहा,” अरे, दीदी, आपको मुझ पर भरोसा नहीं? समू साहब को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी, यहाँ मुझे सब जानते हैं, इसलिए मैं उन्हें यहीं ले आयी, फिलहाल सो रहे हैं.”
डॉक्टर ने भी नीरा से कहा, “ उनका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ गया था, उन्हें रेस्ट की बहुत जरुरत है, आप अब उनसे सुबह आकर मिल लें, गीताली यहां ही है, वह उनका पूरा ध्यान रख रही है, वैसे भी गीताली ने बताया कि आप काफी बिजी हैं.”
नीरा ने गुस्से में पूछा,” मैं अपने पापा को देख तो सकती हूं न?”
“ओह्ह. श्योर,” कहकर डॉक्टर गीताली को कुछ इशारा करके चला गया, नीरा ने पूछा, “तुमने मुझे उसी टाइम फ़ोन क्यों नहीं किया?”
गीताली चुप रही.
नीरा ने आई सी यू में दूर से पिता को झाँका, उसकी आँखों से आंसू बह निकले, करण ने उसके कंधे पर हाथ रखकर तसल्ली दी, थोड़ी देर में नीरा और करण सोम काका के साथ घर लौट आये. नीरा बहुत परेशान थी, घर के बाकी लोग भी परेशान से आकर समर सिंह की तबियत के बारे में पूछने लगे. करण ने कहा,” नीरा, तुम अब आराम करो, हम सुबह ही फिर हॉस्पिटल चलेंगें.”
करण ने फिर अपने रूम की खिड़की से काफी देर बाद झाँक लिया, उसे बहुत दूर से नीरा के बेड रूम की लाइट जलती दिखी, वह समझ गया कि नीरा परेशान है, सो नहीं पा रही है. करण जैसे ही सोने लेटा, बैंगलोर से कपिल का फोन आ गया, यार, एक बड़ा सुराग हाथ लगा है, यहाँ कनकपुरम में जो इस ढोंगी सुखदेव का आश्रम है, आनंद भवन, वहां आयुर्वेदिक स्पा भी होता है, मेरे दोस्त की वाइफ को इस आश्रम में स्पा के लिए जाने का चस्का है, कल मैं इनके घर था, मैंने यूँ ही इन्हे चंद्रन और इरा की फोटो दिखा कर पूछा कि इन्हे आश्रम में कभी देखा है, तो मैडम ने बताया कि उसने आश्रम में बने मून गेट के अंदर इरा को देखा था, ये मैडम आश्रम में काफी सालों से जाती हैं, इन्होने बहुत कुछ बताया, इस मून गेट को पार करके अंदर जाना मना है, मून गेट के अंदर बहुत ही ख़ास लोग आते जाते हैं. इरा सुंदर, लम्बी सी स्टाइलिश लड़की है, इसलिए उसकी शकल मेरे दोस्त की पत्नी को याद थी. गौतम सर ने कहा है कि तुम दोनों अब फौरन यहाँ पहुंचो और अब आश्रम की खोजबीन करनी है, ऐसा लग रहा है, बहुत से राज खुलेंगें. फौरन यहाँ वापस आ जाओ, नीरा को भी साथ लाना,
“ठीक है, मैं नीरा को अभी सब बता कर प्रोग्राम बनाता हूं.”
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करण ने नीरा को फ़ोन करने से ज्यादा मिल कर सब बताना ठीक समझा, वह जाकर नीरा के रूम का दरवाजा नॉक करने ही वाला था कि उसे नीरा की फ़ोन पर आवाज सुनाई दी, वह कह रही थी,” मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए, अब मुझसे यह सब अकेले नहीं संभल रहा है, जिसे पूरी प्रॉपर्टी मिल रही है, उसी ने सबको नचा कर रख दिया है, अरे, प्रॉपर्टी तो ले ली, अब चैन से तो रहने दे!” नीरा की आवाज में एक गुस्सा था, करण ने अभी तक नीरा को किसी भी बात पर गुस्सा करते नहीं देखा था.
करण ने नॉक किया, नीरा चौंकी, पर सारी बात सुन हैरान रह गयी, बोली,” मैंने तो इरा को आज की भीड़ में ही देखा है!”
“हाँ, देखा होगा, पर यहाँ के आश्रम में तो यही पता चला है न कि दोनों यहाँ से निकल चुके, अब पक्का आनंद भवन ही जायेंगें, कल हमें यहाँ से निकलना होगा, नीरा, मैं अभी टिकट्स बुक करता हूं.”
“पर पापा बीमार हैं, उन्हें इस हालत में छोड़ कर मैं नहीं जा सकती.”
“जाना होगा, नीरा, मैं अपने साथी हॉस्पिटल की ड्यूटी पर लगा देता हूं, तुम्हारे पापा का पूरा ध्यान रखा जायेगा, वे सेफ रहेंगें.”
“ठीक है, मैं भी जय को सब बता कर निश्चिन्त हो जाउंगी,” कहकर उसने अपने दोस्त जय को पूरी बात बता कर पापा का ध्यान रखने के लिए कहा और यह भी कहा कि वह जल्दी वापस आएगी.
अगली सुबह करण और नीरा ने अपनी पैकिंग की, जाने से पहले नीरा ने घोषाल बाबू को बुलाया, उनसे बहुत देर बातें की, पापा की हर बात का ध्यान रखने के लिए कहा, फिर घर में काम कर रहे हर सदस्य को सारे निर्देश दिए और हॉस्पिटल पहुंचे. गीताली दोनों को बैग लिए देख चौंकी, नीरा ने उससे ख़ास बात ही नहीं की, सीधे रूम में जाकर समर सिंह के पास गयी, पर वे शायद दवाइयों के असर में गहरी नींद सोये थे. गीताली ने ही बात शुरू की, दीदी, चिंता मत करो, समू साब ठीक हैं, बस उन्हें आराम चाहिए.”
“गीताली, मेरी बात ध्यान से सुनो, पापा को सर के अलावा तुम कुछ नहीं कहोगी, अपनी हद में रहो,” नीरा ने आज एक फटकार लगा ही दी.
गीताली के चेहरे पर नागवारी के भाव आये, पर चुप रही. इतने में जय भी वहां पहुँच गया, नीरा ने उसे करण से मिलवाया, जय ने कहा,” नीरा, अब यहाँ की चिंता मत करना, जाओ, और टच में रहेंगें ही.”
जय और करण के दो साथियों पर, पिता की हेल्थ की जिम्मेदारी छोड़ नीरा बहुत भारी मन से बैंगलोर लौटी. करण गौतम से मिलने चला गया, नीरा उसे ढेर सा थैंक्स कहती अपने फ्लैट पर लौट आयी. करण ने नीरा के जाते ही एक आदमी को फ़ोन करके नीरा पर निगरानी रखने के लिए कह दिया, नीरा को उसने भी अभी क्लीन चिट नहीं दी थी, कुछ संदेह उस पर भी उसे हो रहा था, वह खुल कर बात नहीं करती थी, सबसे बहुत नाप तौल कर बोलती थी, हर समय एक अलर्टनेस थी उसके व्यवहार में. किंजल ने फौरन उसे फ़ोन किया, सब हाल चाल पूछे, अगली सुबह करण का फोन आया, उसने सब स्पष्ट करते हुए कहा,” सब तैयारी हो गयी हैं, आश्रम के अंदर आज शाम को ही जाना है, अंदर जाने का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, खबर मिली है, इरा अंदर ही है और आश्रम में गैर कानूनी काम भी होते हैं, चिंता मत करना, हम दोनों के साथ दो और लोग आज आश्रम के अंदर जा रहे हैं, हम तुम्हे लेने शाम को आ जायेंगें.”
“मेरा जाना जरुरी है? यह काम तो पुलिस अपने आप कर सकती है?”
करण उसके स्वर के रूखेपन पर कुछ हैरान हुआ, फिर कहा,” पुलिस की तरह गए तो कुछ भी हाथ नहीं लगेगा, इनकी पहुँच बहुत ऊपर तक है, सारे मंत्री इनके हर कामों में इनके साथ हैं, कुछ ज्यादा ही गड़बड़ हुई तो देखा जायेगा, अपने कुछ कपडे रख लेना, समय लग सकता है.”
नीरा ने ‘ठीक है ‘ कह कर फ़ोन रख दिया, वह अपने पिता के लिए परेशान थी, उसने फिर जय को फोन किया, जय ने बताया,” अंकल को डिस्चार्ज कर दिया गया, वे काफी ठीक थे, अब उन्हें घर पर ही आराम करना है, तुम चिंता मत करो, मैं घर भी जाता रहूंगा.”
नीरा को बड़ी हैरानी हुई, उसके वहां से हटते ही पापा को घर भेज दिया गया, मतलब गीताली उसे ही पापा से बात करने का मौका नहीं दे रही थी, पता नहीं, क्या होने वाला है, अब यह आश्रम! उसे नहीं जाना किसी बाबा वाबा के आश्रम में, इस इरा ने उसे परेशान कर दिया है! वह थोड़ी देर लेट गयी, आनंद की याद आयी, उससे बात करने का मन हुआ, पर वह तो गायब ही हो गया था, उस पर मुसीबत आते ही भाग खड़ा हुआ था, इतने दिन उसने एक भी फोन नहीं किया था, और वह मूर्ख, उससे शादी के सपने देख रही थी, उसकी आँखें भर आयी, अचानक करण ने फिर फोन किया, सीधे पूछ लिया, “उदास हो? परेशान हो?”
नीरा हैरान हुई, हलके से मुस्कुरा दी, कहा, “आपको मुझसे ब्रेक नहीं चाहिए? कबसे मेरे साथ ही घूम रहे हैं! आप भी तो रेस्ट कर लीजिये, मैं ठीक हूं, थैंक्स.”
“ठीक है, शाम को मिलते हैं.”
करण, नीरा और कपिल शहर से करीब तीस किलो मीटर दूर बने आनंद आश्रम में शाम को पहुँच गए, तीनो ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा रखा था, इसलिए अंदर जाने में दिक्कत नहीं हुई. प्रवेश आसानी से हो गया. तीनो ने सबसे पहले आश्रम पर एक नजर डाली, आश्रम क्या, कोई फाइव स्टार होटल लग रहा था, तीन मंजिल का, सुन्दर, आकर्षक सा आश्रम तीनो को मंत्रमुग्ध सा कर गया, तीनो के रूम्स दूसरी फ्लोर पर थे, हर रूम को खोल कर देखा तीनो ने, किसी होटल का कमरा लग रहा था, अटैच्ड बाथरूम, साफ़, सुन्दर बेड के साथ सारी जरूरी चीजें, तीनो के साथ आश्रम का कर्मचारी मोहन था जो उन्हें सब डिटेल्स देता रहा, वह बता रहा था, आज आप लोग आराम करो, कल सुबह पांच बजे मेडिटेशन के लिए ग्राउंड में पहुँच जाना, स्वामी जी तो विदेश गए हैं कल, विएतनाम में उनका पंद्रह दिन का सेशन है.”
नीरा ने मुँह लटका कर कहा,” ओह्ह, मतलब स्वामीजी के दर्शन नहीं हो पायेंगें? मैं तो उनके प्रवचन सुनने ही आयी थी, बड़ी फैन हूं उनकी.”
“आप चिंता न करें, मैडम, स्वामी चंद्रन हैं यहाँ, वे भी कल ही आये हैं, अब उन्ही के सेशन होंगें, आपको उनसे मिलकर अच्छा लगेगा.”
नीरा ने भोले पन से पूछा,” अच्छा? वे मिलते हैं आम लोगों से?”
मोहन हंसा, आप चिंता न करें, वे आपसे जरूर मिलेंगें. अब आप लोग आश्रम घूमो, आराम करो, कल मिलते हैं, डिनर करने डाइनिंग रूम में आ जाना, चाय पीनी हो तो अभी भी वहां जाकर पी सकते हैं.”
कपिल ने शराफत से हाथ जोड़ दिए, थैंक यू, मोहन भाई.”
करण ने कहा,” ऐसा करते हैं, पहले फ्रेश होकर चाय पीने चलते हैं, फिर जरा आश्रम की खोज खबर ली जाए.”
दोमंजिला डाइनिंग रूम को देख कर तीनो की आँखें फटी की फटी रह गयी, हद से ज्यादा लम्बा चौड़ा डाइनिंग रूम जहाँ लगभग साठ हजार लोग रोज खाना खा सकते थे. तीस पैंतीस सेवक डाइनिंग रूम की ड्यूटी पर थे, सेल्फ सर्विस की पॉलिसी थी तब भी इतने लोग अपनी सेवा दे रहे थे. सात्विक खाना होगा, यह जानकार करण ने मुँह बनाया तो नीरा को हंसी आ गयी, करण ने धीरे से कहा,” हर समय यह ध्यान रखना कि पूरे आश्रम में हजारों सी सी टी वी हैं.” नीरा चौंकी,उसके मुँह से निकल गया,” आपको कैसे पता?”
“जानती हो न मैं किस प्रोफेशन में हूं?”
चाय पीकर तीनो घूमते घूमते उस जगह पहुंचे जहाँ आयुर्वेदिक स्पा होता था, वहां रिसेप्शन पर एक युवा, सुन्दर लड़की ने उनका स्वागत किया, तीनो ने पूछा, हम कब स्पा करने आ सकते हैं?”
लड़की जिसने अपना नाम राधा बताया था, हंसने लगी, बोली,” सबसे पहले लोग स्पा ही करवाते हैं यहाँ, मेडिटेशन बाद में करते हैं.”
कपिल ने सादगी से कहा, मेरे कई रिश्तेदार यहाँ आ चुके हैं, बहुत तारीफ़ सुनी है यहाँ की हर बात की.”
राधा मुस्कुरायी, “आप परसों शाम को आ सकते हैं, आज और कल की बुकिंग तो फुल है.”
“वैसे ये इतना फेमस कैसे है?”
“देखिये, सर, अयूर का मतलब है, जीवन, और वेद का मतलब है विज्ञान, आयुर्वेद हमारा करीब पांच हजार साल पुराना विज्ञान है, जब आप यहाँ का अनुभव लेंगें, आपको अपने तन, मन और आत्मा तक में एक हार्मोनी महसूस होगी, वैदिक मन्त्रों के स्वर के साथ आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की देख रेख में यहाँ जब आप अपना समय बिताएंगें, आपको वह पल जीवन भर याद रहेंगें, विदेशी तो इस जगह के फैन हैं, इस समय भी करीब दो हजार विदेशी आश्रम में मौजूद है.”
नीरा ने अचानक कहा,” ठीक हैं, अभी चलें?” उसने जब करण की तरफ देख कर उलझन से कहा तो सब राधा को,” फिर आते हैं,” कहकर वहां से निकल गए, और नीरा जल्दी जल्दी चलती हुई दूर एक बेंच पर बैठ गयी, कपिल ने पूछा,” क्या हुआ, नीरा? अचानक?”
“कहीं एक कोने से अजीब सी स्मेल आ रही थी वहां, मेरा सर घूमने लगा था.”
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करण हंसा, “मैडम, स्पा के साथ अंदर कोई ड्रग्स भी ले रहा था.” नीरा का मुँह खुला का खुला रह गया.
करण ने यूँ ही इधर उधर नजर डाली, कोई भी नहीं दिख रहा था, पर दूर कुछ सीढ़ियां थीं, दोनों तरफ फूलो से लदे पेड़ थे, सीढ़ियों के ऊपर से पेड़ों को छूता हुआ एक हरी भरी डालियों का मून गेट बना था, मून गेट की खूबसूरती देखते ही बनती थी, बहुत ही सुंदर, तरह तरह के फूलों से भरी डाल ऊपर जाकर दूसरी तरफ के पेड़ों को आधे चाँद की सी गोलाई में छू रही थी, नीचे एक छोटे से सरोवर में फूलों से बने उस चाँद की परछाई की सुंदरता ने सबका मन मोह लिया था, सब इस मून गेट को काफी देर तक निहारते रहे, साइड में एक बड़ा बोर्ड लगा था,” विज़िटर्स आर नॉट अलाउड.” मून गेट के उस पार जाने के लिए कुछ सीढ़ियां बनी थीं, इस समय अँधेरा हो चुका था, शाम के धुंधलके में मून गेट के आसपास लॉन में जलती हलकी हलकी लाइट्स से वहां का माहौल खुशनुमा सा लग रहा था. तीनों ने एक दूसरे को देखा, मून गेट की तरफ चलने का इशारा हुआ ही था कि पता ही नहीं चला कहाँ से एक बाउंसर टाइप हट्टा कट्टा पहलवान सा आदमी आकर गुर्राया,” बस, इसके आगे नहीं जाना है, अब आप लोग अपने रूम में जाइये.”
नीरा ने पूछा,” कितना सुंदर लग रहा है सब, हम आगे नहीं देख सकते?”
“नहीं, अभी आप लोग आज ही आएं है न, बस कल से योग, ध्यान लगाइये, बस, ज्यादा इधर उधर देखना मना है, और मून गेट के उस पार बस आश्रम के ख़ास लोग ही जा सकते हैं, अब आप लोग जाइये.”
करण ने पूछा,” मून गेट के उस तरफ क्या है?”
“क्यों? बता तो दिया, आश्रम के लोग रहते हैं.
तीनो करण के रूम में ही आकर बैठ गए, करण ने गौतम से बात की, गौतम ने फ़ोन पर एक प्लान बताकर सारे निर्देश दिए. करण नीरा और कपिल से भी सब बता कर कहने लगा, “इरा यहीं है, चंद्रन सुबह ही दिखेगा, उसके बाद, नीरा, तुम अच्छी तरह समझ लो कि अब तुम्हे क्या करना है, हमारे और पांच साथी अलग से अभी यहाँ पहुँच चुके हैं, वे सब अलग रूम में ठहरे हैं, यह तो अच्छा है कि यहाँ फोन मना नहीं है, फोटो लेना मना है, और हमारे आने की खबर बाउंसर्स को भी है, सोचो जरा, एक एक विजिटर पर पूरी नजर रखी जाती है, इसका मतलब जम कर कुछ घोटाला है.”
नीरा ने अचानक कहा,” ठीक है, जैसा आप लोग कह रहे हैं, कल कर लूंगी,” कहते हुए नीरा एकदम बेचैन सी लगी, अब जाकर थोड़ा आराम करती हूं,” कहते हुए वह उठ गयी. करण और कपिल को बहुत हैरानी हुई, कपिल ने कहा,”यार, इसे क्या हुआ?”
करण ने धीरे से उठते हुए अपनी विंडो का पर्दा हटाकर बाहर झाँका तो नीरा तेज तेज क़दमों से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों की तरफ जा रही थी. करण ने अपने नए साथियों में से एक अंजलि को फ़ोन करके नीरा का पीछा करने के लिए कहा.
नीरा खुली हवा में घूमती हुई किसी को फोन कर रही थी, अंजलि उसके आसपास सैर करती हुई सुनने की कोशिश करती रही पर जैसे ही अंजलि नीरा के पास से गुजरती, नीरा चुप हो जाती, पर घोषाल बाबू का नाम अंजलि के कानों में पड़ ही गया. अंजलि ने करण को फौरन रिपोर्ट दी. अगली सुबह आश्रम में उपस्थित हर इंसान बड़े ग्राउंड में बिछी बड़ी दरी पर आकर बैठ गया, चंद्रन सफ़ेद कपड़ों में जैसे खुद को भगवान मानता हुआ आया, वहां रखी सुखदेव की बड़ी सी फोटो को नमन किया, करण ने सब लोगों पर एक नजर डाली, काफी विदेशी भी थे, और उसकी नजर अचानक पीछे बैठे गौतम पर पड़ी तो उसे एक करंट सा लगा, गौतम ने मुस्कुराकर उसे सबसे छुपा कर थम्स अप का इशारा कर दिया. करण और उसके साथियों ने एक नजर सब पर डाली, इरा कहीं नहीं थी, सबको थोड़ी निराशा हुई. उधर नीरा जल्दी जल्दी आते हुए मून गेट से थोड़ा दूर मुँह से एक जोर की आह निकालते हुए चक्कर खा कर गिर पड़ी, एक बाउंसर अचानक प्रकट हुआ, उसने मून गेट के अंदर किसी माया को जोर से आवाज दी, माया भागी आयी, घास पर बेसुध पड़ी नीरा को हिला डुला कर देखा, बोली, अभी तो सब ध्यान में लगे हैं, क्या करें, इसे अंदर ले जाएँ?”
बाउंसर कुटिलता से हंसा, ”हाँ, खूबसूरत लड़की तो मून गेट के अंदर जा ही सकती है, ले जाओ इसे अंदर, स्वामीजी भी उस इरा से बोर हो गए होंगें, बहुत दिन बाद नया माल आया है.”
माया हंसी,” चलो, इसे अंदर रखते हैं, यह मून गेट के अंदर रहने लायक ही है.”
दोनों उसे उठाकर अंदर कहीं एक रूम में ले गए, बाउंसर ने माया से कहा,” जाओ, डॉक्टर रीता को भेजो.”
नीरा को माया के बाहर जाने की आहट सुनाई दी, बाउंसर के पदचाप भी थोड़ा दूर होते सुने तो उसने आँखों की झिर्री से देखा, यह एक छोटा सा कमरा था, डॉक्टर रीता ने आकर उसका चेक अप करना शुरू ही किया था कि उसने आँखें खोल दी, कमजोर सी आवाज में बोली,” क्या हुआ?”
बाउंसर ने उसे बताया कि वह बेहोश हो गयी थी. नीरा ने उठने की कोशिश की तो माया ने रीता को कुछ इशारा किया, रीता ने फौरन कहा,” अभी आराम करो, अब यहाँ आयी हो तो स्वामी जी से मिल कर ही जाना.”
“मैं बाहर मिल लूंगी.”
“बाहर तो अभी बहुत भीड़ है और स्वामीजी वहां से सीधे स्पा की तरफ जायेंगें, आज अभी यहीं रुको.”
“जी, ठीक है.”
“शाबाश, आराम करो,” कहकर रीता ने उसे दो गोलियां दी,” इसे खा लो.”
नीरा ने ऐसी एक्टिंग की जैसे उसने खा ली हो, पर निगली नहीं थी, फिर बोली,” मुझे वाशरूम जाना है.”
माया ने उसे बाहर कुछ दूर का रास्ता दिखा दिया, नीरा ने देखा, एक लाइन से कुछ रूम्स थे, सब खुले थे, बस कोने वाले रूम में ताला लगा था, उसे कुछ सूझा, वह उस ताले वाले रूम के पास से धीरे धीरे चलते हुए एक गाने की लाइन गाने लगी “अजीब दास्ताँ है ये“ नीरा कुछ पल रुकी, अंदर से धीरे से आवाज आयी, “कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम “ नीरा की आँखों से आंसू बह निकले, इरा अंदर थी, शायद किसी मुसीबत में, यह गाना दोनों बहनें खूब मिलकर गाती थीं, दोनों की माँ का यह फेवरिट गाना था, वाशरूम में आकर नीरा ने करण को प्लान के अनुसार मैसेज कर दिया.
देखते ही देखते करण अपने साथियों के साथ मून गेट पार करके अंदर जाने लगा,
अचानक दो बाउंसर्स कहीं से अचानक प्रकट हुए, उनके कुछ कहने से पहले ही करण ने सख्ती से कहा, “कोई भी हरकत करने की कोशिश मत करना, हमारे और साथी आते ही होंगें, हमें इस लड़की की ही तलाश थी.”
करण ने ताले वाले रूम की तरफ इशारा किया, इतने में आश्रम के कुछ और दबंग टाइप आकर उन सबको जबरदस्ती मून गेट से बाहर भेजने लगे तो गौतम और कुछ साथियों के साथ आ गया और फिर तो देखते ही देखते इरा शर्मिंदा सी नजरें झुका कर कोने में आकर खड़ी हो गयी.
नीरा इरा पर चिल्लाई,” इरा, यह क्या किया तुमने? शर्म नहीं आयी तुम्हे? पापा को कितनी तकलीफ दी, पता है न?क्यों किया ऐसा?”
करण ने इरा के पास जाकर पूछा,”यह कहाँ मिला तुम्हे ?”
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‘’ काफी दिन पहले मैं एक टूर पर दिल्ली गयी थी, वहीं एक होटल में मुझे चंद्रन मिला, चंद्रन ने ही समझाया कि इस दुनिया में कोई सगा नहीं, सब कुछ क्षणभंगुर है, सारा जगत मिथ्या है, सर्वशक्तिमान के चरणों में ही सुख है, बस, फिर इसकी ही दुनिया में आ गयी.”
इतने में चंद्रन भी कुछ उलझा सा वहां पहुंचा,
करण ने गुस्से से चंद्रन से पूछा,” इसकी प्रॉपर्टी पर नजर है न तुम लोगों की? जानता हूं तुम्हे अच्छी तरह से, इस बेवक़ूफ़ से सब हथिया लेते तुम!”
इरा शर्मिंदा सी हुई पर अभी भी उसकी नजरों में चंद्रन के लिए आसक्ति थी.नीरा ने भरे से स्वर में कहा ,”इरा, इतनी गलतियां कैसे कर दी?तुम तो इतनी इंटेलीजेंट हो,कैसे फस गयी इन लोगों के चंगुल में ?”
”बस,हो गयी गलती!पता नहीं कैसा प्रेशर था,ऑफिस का या बॉयफ्रैंड्स से ब्रेक अप का,पता नहीं क्या हुआ, चंद्रन की बातें अच्छी लगने लगी,और उसे प्यार करने लगी,इसी ने सुखदेव महाराज से यहीं मिलवाया,उन्होंने भी ऐसी बातें की कि सब कुछ छोड़ कर इन्ही लोगों की दुनिया अच्छी लगने लगी,तन मन धन से लुटती रही और पता नहीं किस शान्ति की खोज में इन्ही के साथ रहने लगी,फिर पता चला कि यहाँ ड्रग्स का खूब धंधा है,कलकत्ता में ही थी मैं भी,वहां वाले आश्रम में भी यही सब होता है,वहां से आने ही नहीं दिया जा रहा था मुझे पर मैंने बहुत ज़िद की तो यहाँ आ तो गयी पर चंद्रन को अब लगने लगा था कि मैं यहाँ से भागने की कोशिश कर सकती हूं इसलिए मेरे रूम को बाहर से बंद किया जाने लगा, मुझे पता है,मैंने कई बेवकूफियां कर दीं, कई गलतियां कर दी, अब मैं समझ रही हूं कि मेरी पढाई लिखाई,करियर सब बेकार गया,इन लोगों की बातों में आकर मैं पापा से भी कितना बहस कर के आयी,मेरी अकल पर सचमुच एक पर्दा सा पड़ गया था,बड़ी भूल हुई. पता नहीं,पापा मुझे माफ़ करेंगें या नहीं,नीरा,अब मेरी हेल्प करोगी ?”
गौतम और उसके साथियों ने चंद्रन को भागने का मौका नहीं दिया, मून गेट के अंदर के हिस्से की तलाशी हुई, कई लड़कियां नशे में बेसुध मिली, ड्रग्स का कारोबार खूब चल रहा था, इरा ने स्वीकार कर लिया कि उसने कई आपराधिक कामों में चंद्रन का साथ दिया है, और वह पिता से पैसे लेकर चंद्रन को ही देना चाहती थी. नीरा सचमुच गुस्से से चलती हुई मून गेट के बाहर निकल गयी, पवन ने चंद्रन से कहा, “तुम जरा मेरे साथ चलो. बहुत दिन से तुम पर नजर थी, आज हाथ आये हो.” करण भी उन्हें कुछ कहकर नीरा के पीछे पीछे आया, करण ने धीरे से कहा,” तुमने काफी रिस्क लिया, थैंक यू, पर अभी सोच रहा हूं , नीरा, तुम किसी मुसीबत में भी पड़ सकती थी, मैं आने में देर कर देता तो? करण ने परेशान होकर कहा तो नीरा ने कहा, “तो क्या हुआ? मूवीज में देखा नहीं कि पुलिस सब होने के बाद में ही आती है.”
करण ने उसे घूरा तो वह मुस्कुरा दी, “आज बहुत दिन बाद चैन आया है कि इरा ठीक है, पर उसने जो किया, बहुत बुरा किया. पापा को कितनी चिंता दी.”
उसी समय नीरा ने पिता को एक एक बात बताई, समर सिंह ने ठंडी सांस लेकर कहा,” तुम अपना ध्यान रखना बेटा, मैंने घोषाल बाबू को और वकील साब को बुलाकर सब कुछ तुम्हारे नाम कर दिया है.”
“पापा, आप ठीक रहें, मुझे कुछ नहीं चाहिए,” कहते कहते नीरा का स्वर भर्रा गया. उसने जैसे ही फ़ोन रखा, पीछे से करण ने आकर उसे छेड़ा,” अच्छा, मेरे कुछ सवालों का जवाब दोगी?”
“पूछो.”
“कल किसे फ़ोन कर रही थी?”
“ओह्ह, तो मेरी भी जासूसी हो रही थी?”
“हाँ, पेशे से मजबूर हूं,” कहकर वह हंस दिया. “घर में मौजूद लोगों के बारे में, पापा की हेल्थ के बारे में घोषाल अंकल से पूछती रहती हूं, उन्होंने ही यह भी बताया कि पापा की तबियत उस दिन सचमुच खराब हुई थी जब गीताली उन्हें पास के ही हॉस्पिटल ले गयी थी, अंकल ने कहा कि वह सचमुच पापा का ध्यान रखती है.”
“पर यह समू साब क्या था?”
“जाकर पूछ लेना.”
“ओह्ह, अच्छा! मुझे फिर वहां ले जाना चाहती हो?”
नीरा झेंप गयी, इतने में चंद्रन, इरा और बाकी कुछ लोगों को लेकर गौतम की टीम आश्रम से बाहर निकलने लगी, वहां माहौल में अचानक एक अफरातफरी सी हुई, इरा ने जाते जाते नीरा को ‘सॉरी ‘ कहा तो नीरा की आँखें डबडबा गयीं, उसने पास खड़े करण से पूछा,” इसे और कोई तकलीफ होने से बचा सकते हैं?”
करण ने उसे घूरते हुए कहा,” क्या रिश्वत मिलेगी?”
“मैं आपको एक ईमानदार पुलिस अफसर समझ रही थी.”
“जी, वो तो मैं हूं, पर दिल के आगे बेईमान हो गया हूं.”
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आश्रम के अंदर जो धंधा चल रहा था, वह तो अभी लम्बा केस चलने वाला था. सुखदेव चुप बैठने वाला नहीं था, उसके ऊपर बड़े नेताओं का हाथ था, जो होता, उसमे अभी समय था. फिलहाल नीरा को करण ने उसके फ्लैट पर छोड़ा, दोनों अब तक इस केस और इरा की ही बातें करते रहे थे, नीरा जैसे ही अपने फ्लैट में घुसी, करण का मैसेज आया,” मून गेट के अंदर खड़ी तुम खुद ही एक चाँद का टुकड़ा लग रही थी, और मैं चाहता हूं, कि यह चाँद अब मेरे आँगन में उतरे, मंजूर है?”
नीरा ने बस हार्ट की इमोजी भेज दी थी.