मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह बताने लगा कि इस दौरा तीसरी सुमिता से उस की दोस्ती हो गई थी और कोई शाम बेरौनक नहीं रही.
‘‘ओके, आज शाम पहली नंबर की रही मैं फिर फोन करूंगी.’’
रैस्टोरैंट में तनहा कोने वाली मेज पर मोमबत्ती स्टैंड पर लगी मोमबत्तियों का प्रकाश माहौल को बेहद रोमानी बना रहा था.
सुमिता सफेद झालरों और हलके सितारे टंगे सफेद सूट में बहुत दिलकश लग रही थी. मोहित भी मैच करती टीशर्ट और ट्राउजर में था. उस के गले में सोने की मोटी चेन थी. आज वह बेहद स्मार्ट लग रहा था.
आज डांस फ्लोर पर दोनों काफी करीब थे. दोनों चाहेअनचाहे कहीं भी किसी के शरीर को स्पर्श हो जाने पर दूरी बनाए रखने की कोई सावधानी नहीं थी. सुमिता इस बात से निश्चिंत थी कि आज मोहित उस का था और उस की नजरें किसी व्योमबाला या किसी और के लिए नहीं भटक रही थीं.
डांस के बाद हलका ड्रिंक और फिर लजीज खाने का दौर शुरू हुआ. फिर शहर के एक तरफ स्थित पार्क में घूम कर दोनों राजीखुशी विदा हुए. 2-3 दिन बीत गए. मोहित काम में व्यस्त था. तभी मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर नजर डाली तो फोन विज्ञापन कंपनी वाली सुमिता का था.
‘‘अरे, सुमिताजी नमस्ते.’’
‘‘बहुत बिजी रहते हैं आप. जब भी फोन करो स्विच औफ मिलता है. कम से कम शाम को तो फोन औन रखा करो?’’ सुमिता मुदगल के स्वभाव में प्यार भरी शिकायत थी.
अब मोहित क्या कहता. शाम को तो वह बिना काम के ही बिजी रहता है. आखिर 2-2 उस के लिए लालायित थीं, लेकिन अब तो तीसरी भी आ गई थी.
‘‘क्या हुआ? क्या सो गए आप?’’
‘‘नहींनहीं, जरा काम में लगा था.’’
‘‘आज शाम आउटिंग के लिए आ सकते हैं?’’
‘‘नहीं, आज बिजी हूं.’’
‘‘कल?’’‘‘देखेंगे.’’
आज की शाम तो व्योमबाला के साथ थी. व्योमबाला हलके मैरून कलर की साड़ीब्लाउज में अपने गौरवर्ण के कारण बला की हसीन लग रही थी. मोहित भी क्रीम कलर के सफारी सूट में जंच रहा था.
व्योमबाला के साथ डांस अलग अंदाज और हलका जोशीला था. कौल सैंटर वाली सुमिता अगर खिला गुलाब थी, तो व्योमबाला महकता हुआ जूही का फूल थी.
मोमबत्तियों के रोमांटिक प्रकाश में खानापीना हुआ, फिर बोट क्लब पर बोटिंग. दोनों विदा हुए. इस दौरान पहली सुमिता का कोई जिक्र नहीं हुआ. उस के साथ बीती शाम अच्छी थी. यह शाम भी अच्छी रही. तीसरी सुमिता का जिक्र मोहित ने जानबूझ कर नहीं किया.
3 दिन बाद तीसरी सुमिता के साथ डेट थी. संयोग से उसे भी वही रैस्टोरैंट पसंद था. आज मोहित फिर से कैजुअल वियर में था. उस को आभास हो चला था कि तीसरी सुमिता भी पहली सुमिता की तरह उसे बेतरतीब और कैजुअल पहनावे में पसंद करती थी. उसे वह एक चित्रकार, एक कलाकार या दार्शनिक दिखने वाले रूप में ज्यादा पसंद था.
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‘‘आप बैठो, मैं जरा टौयलेट हो आऊं.’’
टौयलेट से बाहर आते ही उस के कानों में 2 व्यक्तियों की बातचीत के अंश पड़े. ‘‘यह लड़का तगड़ा चक्करबाज है, 3-3 हसीनाओं से एकसाथ चक्कर चलाता है.’’
यह जुमला सुन कर मोहित पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया. उस ने तब तक कभी इस पहलू पर सोचा भी न था कि उस के बारे में देखने वाले खासकर उस से परिचित या उस को पहचानने वाले क्या सोचते थे.
‘‘आप को क्या हुआ? आप का चेहरा एकदम उतर गया है?’’ उस के चेहरे पर छाई गंभीरता को देख कर सुमिता ने पूछा. ‘‘कुछ नहीं, मैं अकस्मात किसी ग्राफिक्स के बारे में विचार कर रहा था.’’
‘‘अरे, छोड़ो न. हर समय प्रोफैशन के बारे में नहीं सोचना चाहिए. शाम को ऐंजौय करो.’’
वह शाम भी अच्छी गुजरी. मगर अगले दिन मोहित गंभीर था.
अब से उस ने कभी अपने कार्यस्थल पर काम करने वाले स्टाफ के चेहरे के भावों पर गौर नहीं किया था. मगर अब उसे महसूस हो रहा था कि उस की छवि उन की नजरों में पहले जैसी नहीं रही जब से 3-3 सुंदरियों के साथ शाम बिताने का सिलसिला चला था.
अगले 3 दिन में तीनों सुमिताओं का फोन आया. मगर उस ने मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाल कर फोन अटैंड नहीं किया. सभी कौलें मिस्ड कौल्स में दर्ज हो गईं.
एक सप्ताह तक मिस्ड कौल्स का सिलसिला चलता रहा लेकिन वह अपने काम में व्यस्त रहा. आखिर कौल सैंटर वाली सुमिता से रहा न गया और वह उस के औफिस आ गई.
‘‘क्या बात है, फोन अटैंड क्यों नहीं करते?’’
‘‘कुछ काम कर रहा हूं.’’
‘‘आज शाम खाली हो?’’
‘‘नहीं.’’
‘‘कल?’’
‘‘देखेंगे.’’
उस के स्वर में तटस्थता और उत्साहहीनता को महसूस कर सुमिता चुपचाप चली गई. इस के बाद बारीबारी से व्योमबाला और विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर का आना भी हुआ. मगर मोहित ने उन को भी टाल दिया. उस के ऐसा करने से तीनों देवियों की उत्कंठा और बढ़ी. पहले तो सभी उस के मर्यादित संयमित व्यवहार से प्रभावित थीं अब शाम की डेट टालने से उन की बेकरारी और बढ़ी.
दोनों सुमिताओं ने समझा कि वह उसे नहीं दूसरी को ज्यादा पसंद करता है. मगर तीसरी को पहली दोनों देवियों का पता नहीं था. इसलिए वह असमंजस में थी.
मोहित अब सोच में पड़ गया था किसी चक्करबाज या रसिक के समान 3-3 सुंदरियों के साथ घूमनाफिरना, खानापीना उस के व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं था. उसे किसी एक को पसंद कर के उस से विवाह कर लेना चाहिए. वह इस पर विचार करने लगा किसे चुने.
तीनों ही सुंदर थीं, वैल सैटल्ड थीं. अच्छे परिवार से थीं. जातपांत का आजकल कोई मतलब नहीं था.
उस के साथ तीनों जंचती थीं. तीनों का स्वभाव भी उस के अनुरूप था. उधर वे तीनों उस से स्पष्ट बात कर विवाह संबंधी फैसला करना चाहती थीं. पहली 2 इस पसोपेश में थीं कि मोहित की पहली पसंद कौन थी?
इतने दिन तक डेट के लिए मना करने से उन को गलतफहमी होनी ही थी. दोनों चुपचाप बीचबीच में रैस्टोरैंट का चक्कर भी लगा आईं कि शायद मोहित पहली या दूसरी सुमिता के साथ आया हो. मगर वह नहीं दिखा.
कौल सैंटर वाली सुमिता के ‘वेटर’ ने भी पुष्टि की कि वह नहीं आया था. अब उन का विचार यही बना कि वह काम में ज्यादा व्यस्त था.
मोहित को भी स्पष्ट आभास था कि तीनों उस से विवाह करना चाहती हैं मगर वे तीनों ही उस से इस संबंध में पहल करने की अपेक्षा कर रही थीं.
अब उस ने तीनों में से किसी एक को चुनना था और उसे प्रपोज करना था. इस के लिए क्या करे? कैसे किसी एक का चुनाव करे. तीनों ही सुंदर थीं. अच्छे परिवारों से थी. चरित्रवान थीं. किसी के भी व्यवहार में हलकापन नहीं था.
‘‘मिस्टर मोहित, मैं सुमिता मुदगल बोल रही हूं. आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’ विज्ञापन डायरैक्टर का फोन था.
‘‘आज शाम खाली हैं आप. बोट क्लब आ जाएं?’’ काफी दिन से बाहर नहीं निकला. इसलिए मोहित भी शाम को ऐंजौय करना चाहता था.
‘‘बोट क्लब क्यों? रैस्टोरैंट क्यों नहीं?’’
‘‘आज खानेपीने से ज्यादा घूमने की इच्छा है.’’
‘‘ओके.’’
पैडल औपरेटेड बोट झील में हलकेहलके शांत पानी में धीमेधीमे चल रही थी. झील के बीचोंबीच बोट रोक कर दोनों ने एकदूसरे की आंखों में झांका.
‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं.’’
‘‘किस बारे में,’’ अनजान बनते हुए मोहित बोला.
‘‘आप का विवाह के बारे में क्या खयाल है?
‘‘आप मुझ से विवाह करना चाहती हैं?’’
‘‘जी हां,’’ सुमिता मुदगल ने स्पष्ट कहा.
‘‘अभी हमें मुलाकात किए मात्र 2 महीने हुए हैं इतनी जल्दी फैसला करना ठीक नहीं है.’’
‘‘आप कितना समय चाहते हैं, फैसला करने के लिए?’’
‘‘कुछ कह नहीं सकता.’’
‘‘आप चाहें तो फैसला लेने से पहले एकदूसरे को समझने के लिए ‘लिव इन’ के तौर पर साथसाथ रह सकते हैं. वैसे भी आजकल इसी का चलन है.’’ विज्ञापन डायरैक्टर ने गहरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए कहा.
मोहित भी गहरी नजरों से उस की तरफ देखने लगा. विज्ञापन डायरैक्टर अच्छी समझदार थी. उस का सुझाव आजकल के नए दौर के हिसाब से था.
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‘‘मैं सोचूंगा इस बारे में. अब हम थोड़ी देर बोटिंग कर के खाना खाने चलते हैं.’’
सही फैसले तक पहुंचने के लिए मोहित को एक सूत्र मिल गया था. वह यही था कि विवाह के संबंध में तीनों क्या विचार रखती थीं.
अगले रोज उस ने शाम से पहले कौल सैंटर फोन किया.
‘‘अरे, आप ने आज कैसे याद किया,’’ सुमिता ने तनिक हैरानी से कहा.
‘‘इतने दिन व्यस्त रहा. आज काम की थकान शाम को सैर कर के दूर करने का इरादा है.’’
‘‘ओके, फिर सेम प्लेस एट सेम टाइम.’’
‘‘नोनो, रैस्टोरैंट नहीं नैशनल पार्क.’’
‘‘ओके.’’
नैशनल पार्क काफी एरिया में फैला हुआ था. एक आइसक्रीम पार्लर से आइसक्रीम के 2 कप ले दोनों टहलतेटहलते आगे निकल गए. जहांतहां झाडि़यों व पेड़ों के पीछे नौजवान जोड़े रोमांस कर रहे थे. कई बरसात का मौसम न होने पर भी रंगबिरंगे छाते लाए थे और उन को फैला कर उन की ओट में एकदूसरे से लिपटे हुए थे.
इस रोमानी माहौल को देख कर हम दोनों ही सकपका गए. तन्हाई्र पाने के इरादे से दोनों जल्दीजल्दी आगे बढ़ गए. एक तरफ कृत्रिम पहाड़ी बनाई गई थी. दोनों उस पर चढ़ गए. एक बड़े पत्थर पर बैठ कर दोनों ने एकदूसरे की तरफ देखा.
‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहता था.’’
‘‘किस बारे में?’’
‘‘आप का शादी के बारे में क्या विचार है?’’
मोहित के इस सीधे सपाट सवाल पर सुमिता चौंक पड़ी और फिर मुसकराई.
‘‘विवाह जीवन का जरूरी कदम है. एक जरूरी संस्कार है.’’
‘‘और लिव इन रिलेशनशिप?’’
‘‘इस का आजकल फैशन है. यह पश्चिम से आया रिवाज है. वहां इस के दुष्परिणामों के कारण इस का चलन अब घट रहा है.’’
‘‘आप विवाह को अच्छा समझती हैं या लिव इन को?’’
‘मेरा तो लिव इन में बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’
‘‘और अगर विवाह सफल न रहे तो?’’
‘‘ऐसा तो लिव इन में भी हो सकता है.’’
‘‘मगर लिव इन में संबंध विच्छेद आसान होता है.’’
‘‘अगर संबंध विच्छेद का विचार पहले से ही मन में हो तो विवाह नहीं करना चाहिए और न ही लिव इन में रहना चाहिए.’’
सुमिता के इस सुलझे विचार से मोहित उस का कायल हो गया और प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगा. वह शाम भी काफी अच्छी बीती.
2 दिन बाद मोहित ने व्योमबाला को फोन किया. उस के साथ रैस्टोरैंट में मुलाकात तय हुई. व्योमबाला बिंदास और शोख अंदाज में नए फैशन के सलवारसूट में आई. हलके ड्रिंक और डांस के 2-2 दौर चले. खाने का दौर शुरू हुआ.
‘‘मिस वालिया, आप का विवाह के बारे में क्या विचार है,’’ मोहित ने सीधे सवाल दागा.
‘‘मैरिज लाइफ के लिए जरूरी है. सोशल तौर पर भी और फिजिकली भी.’’
‘‘और लिव इन…’’
‘‘वह भी ठीक है. बात तो आपस में निभाने की है. निभ जाए तो विवाह भी ठीक है लिव इन भी ठीक है. न निभे तो दोनों ही व्यर्थ हैं.’’
‘‘आप किस को ठीक समझती हैं?’’
‘‘मैं तो लाइफ को ऐंजौय करना अच्छा समझती हूं. निभ जाए तो ठीक नहीं तो और सही. मगर घुटघुट कर जीना भी क्या जीना,’’ व्योमबाला दुनियाभर में घूमती थी. रोजाना सैकड़ों लोगों से उस की मुलाकात होती थी. उस का नजरिया काफी खुला और बिंदास था. वह शाम भी काफी शोख और खुशगवार रही.
तीनों सुमिताओं की प्रकृति और सोच मोहित के सामने थी. पहली का लिव इन में विश्वास नहीं था.
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दूसरी बिंदास थी, शोख थी, लाइफ ऐंजौय करना उस का मुख्य विचार था. ऐसी औरत या युवती बेहतर जीवनसाथी या बेहतर लिव इन साथी मिलने पर पुराने साथी को छोड़ सकती थी.
तीसरी विज्ञापन डायरैक्टर काफी व्यावहारिक थी. उस का नजरिया विवाह के बारे में भी व्यावसायिक था. पहले लिव इन सफल रहा तो फिर विवाह. नहीं तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते. मोहित एक चित्रकार था. कलाकार था. दार्शनिक विचारधारा वाला था. उस को अपना सही जीवन साथी समझ आ गया था.
उस ने कौल सैंटर फोन किया.
‘‘अरे, अभी परसों ही तो मिले थे.’’
‘‘आज मैं ने आप से एक खास बात करनी है.’’
वह तैयार हुआ. कैजुअल वियर की जगह वह शानदार ईवनिंग सूट में था. एक मित्र ज्वैलर्स के यहां से कीमती हीरे की अंगूठी खरीदी और रैस्टोरैंट की पसंदीदा मेज पर बैठ कर अपनी भावी जीवनसंगिनी का इंतजार करने लगा.